मस्जिदें, मजारें (मुस्लिम फकीरों के मकबरे), घरों आदि समावेश ।
देहरादून (उत्तराखंड) – उत्तराखंड राज्य की २५ सहस्त्र एकड वन भूमि पर अतिक्रमण कर लिया गया है । पत्रिका ‘पांचजन्य’ ने इस पर मस्जिद, मजार और घर निर्माण कर लिए जाने के समाचार दिए हैं । वहीं राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि ‘राज्य में कुल अतिक्रमण पर उप समिति गठित कर भुमि को चिन्हित किया जाएगा ।’
उत्तराखंड की वन पंचायतों के अवैध कब्जे होंगे चिन्हित, वन पंचायतों का सीमांकन न होने से हो रहे कब्जे। https://t.co/CoDr5JIaTw via @Vision 2020 News #Illegal #encroachments #forest #panchayats #marked #news #uttarakhandnews #Uttarakhand
— Vision2020 (@newsvision2020) March 5, 2023
१. वन क्षेत्र पर अतिक्रमण का प्रकरण प्रकाश में आने के उपरांत मुख्यमंत्री धामी ने वन मंत्री सुबोध उनियाल को अतिक्रमण की जांच करने का आदेश दिया है । जो जानकारी उजागर हुई है उसके अनुसार वन क्षेत्र की ८० प्रतिशत पंचायतों पर सीमा स्पष्ट नहीं होने के कारण अतिक्रमण कर लिया गया है । प्रदेश के ११ जिलों में ११ हजार ३३६ वन पंचायतें हैं । उनके स्वामित्व में ५ सहस्त्र ४४९ वर्ग किलोमीटर से अधिक भूमि है । इनमें से ९५ प्रतिशत गढवाल में और ८० प्रतिशत कुंमायु जिले में वन पंचायतों का सीमांकन नहीं किया गया है । यहीं पर सबसे अधिक अतिक्रमण हुआ है ।
२. अतिक्रमण करने वालों में अधिकांश राज्य के बाहर के लोग हैं । उन्होंने यहां मिट्टी के घर बना लिए हैं । इनमें अधिकतर मुसलमान हैं। अभीतक वन विभाग की ओर से इनके विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई है ।
३. वन विभाग का कहना है, ‘पंचायतों के नाम से इस भूमि का अधिग्रहण वन पंचायतों ने नहीं किया है ।’ वहीं, इसके लिए राजस्व विभाग को उत्तरदायी बताया जा रहा है ।
४. वन मंत्री सुबोध उनियाल का कहना है कि वन पंचायतों के सीमांकन का दायित्व राजस्व विभाग का है । हमने सभी जिलों के जिलाधीशों के साथ ३ बैठकें की हैं । हमने यह भी सोचा था कि राजस्व विभाग सीमांकन करेगा एवं पुन: भूमि को वन विभाग को सौंप देगा । उसके उपरांत अतिक्रमणकारियों का शोध लेकर उनके विरुद्ध कार्रवाई की जा सकेगी । इस पर निर्णय मंत्रिपरिषद की आगामी बैठक में लिया जाएगा ।
संपादकीय भूमिकाइतनी बडी विस्तृत भूमि पर अतिक्रमण होने तक, क्या वन विभाग और प्रशासन निद्रिस्त थे ? सरकारी भूमि पर ऐसा वृहत् अतिक्रमण विश्व में कहीं अन्य देश में नहीं होगा । ये प्रशासन के लिए अत्यंत लज्जास्पद है ! |