उक्त चित्र प्रकाशित करने का उद्देश्य किसी की धार्मिक भावनाएं आहत करना नहीं है । केवल जानकारी के लिए प्रकाशित किया गया है । – संपादक
नई देहली – श्री कालीमाता का आपत्तिजनक चित्र प्रसारित करने वाली चित्रपट निर्मीत्री लीना मणिमेकलाई को बंदी बनाए जाने पर उच्चतम न्यायालय ने रोक लगा दी है । लीना ने उनके पोस्टर में श्री कालीमाता के हाथ में समलैंगिता का झंडा लेकर सिगरेट पीते हुए दिखाया था, जिसका देशभर में विरोध हुआ था । उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, देहली और अन्य स्थानों पर अपराध प्रविष्ट किए गए थे । इस पर न्यायालय ने सभी राज्यों को नोटिस भेजकर इस अपराध पर कार्यवाही करने से मना किया है । इस प्रकरण पर २० फरवरी को आगे की सुनवाई होगी ।
SC protects filmmaker Leena Manimekalai from arrest in ‘Kaali’ poster row#SC #filmmakers #LeenaManimekalai #Kaali https://t.co/itoy7f4NV1
— Oneindia News (@Oneindia) January 20, 2023
न्यायालय ने आदेश में कहा है कि, लीना के अधिवक्ता ने बताया कि, याचिकाकर्ता यॉर्क यूनिवर्सिटी, कनाडा से स्नातक हैं । उन्होंने ‘काली’ यह लघुचित्रपट बनाया है । इससे किसी की भी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना उनका उद्देश्य नहीं है । लघुचित्रपट का उद्देश्य देवी को एक सर्वसमावेशी के रुप में दिखाना था ।
नूपुर शर्मा और लीना मणिमेकलाई के संबंध में उच्चतम न्यायालय की अलग-अलग भूमिका को लेकर जनता में चर्चा !
लीना के प्रकरण में उच्चतम न्यायालय ने जो भूमिका ली, यह इसके पूर्व नूपुर शर्मा के प्रकरण में नहीं ली थी, ऐसा समाज की ओर से कहा जा रहा है । नूपुर शर्मा ने इस्लामी पुस्तक का संदर्भ देकर पैगंबर की पत्नी के विषय में विधान किए थे । उस न्यायालय ने नूपुर शर्मा को देश में उत्पन्न हुए असंतोष के लिए उत्तरदायी ठहराया था, साथ ही शर्मा के विरोध में देश में अलग-अलग स्थानों पर की गई याचिका को एक ही स्थान पर सुनवाई पर भी कठोर टिप्पणी की थी । साथ ही न्यायालय ने ऐसा भी विधान किया था कि, ‘नूपुर शर्मा देश की सुरक्षा के लिए खतरा है’ । न्यायालय ने उन्हें ‘अहंकारी’, ‘दुराग्रही’ आदि शब्दों का प्रयोग करते हुए फटकार लगाई थी । देश से क्षमा मांगने के लिए भी कहा था । इसके विपरीत लीना के प्रकरण में न्यायालय का दृष्टिकोण अलग दिख रहा है, ऐसा कहा जा रहा है ।