संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर चिंता व्यक्त की !


न्यूयार्क (अमेरिका) – संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर चिंता व्यक्त की है । उनके अनुसार पाकिस्तान में अपहरण, बलपूर्वक धर्म परिवर्तन और विवाह के प्रकरण नाटकीय रूप से बढ़े हैं । इन पर पूर्ण विराम लगाने के लिए आवश्यक कदम उठाने की आवश्यक है ।

विशेषज्ञों ने कहा है कि अल्पसंख्यकों के विरुद्ध हिंसा को रोकने के लिए बिना किसी पूर्वाग्रह के कार्रवाई की जानी चाहिए । इस संबंध में देश के कानूनों और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार सिद्धांतों के अनुसार कदम उठाए जाने चाहिए ।

आक्रमण के लिए जिम्मेदार लोगों के विरोध में कडी से कडी कार्रवाई की जानी चाहिए । यह सुनकर दु:ख होता है कि १३ वर्ष की लड़कियों का उनके घरों से अपहरण कर लिया जाता है । उसके उपरांत उनकी अवैध तस्करी कर अन्य स्थान में ले जाया जाता है । उनका विवाह उनकी आयु से दोगुनी उम्र के पुरुषों से कर दिया जाता है तथा उनका धर्म परिवर्तन भी कर दिया जाता है । यह सब अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों का उल्लंघन है । हम इसको लेकर चिंतित हैं । हम निराश हैं, कि उन्हें न्याय नहीं मिल रहा है । अपहरणकर्ताओं और धर्मांतरितों का स्थानीय सुरक्षा बलों और न्यायालयों द्वारा समर्थन किया जाता है । पुलिस पीड़ितों के परिजनों की शिकायतों को उपेक्षा करती है । अपराध प्रविष्ट भी नहीं किये जाते ।

अपहरण द्वारा कराए गए विवाह को ‘प्रेम विवाह’ कहा जाता है । अपहरणकर्ता पीड़िता को नकली कागज-पत्रों पर हस्ताक्षर करने और यह दिखाने के लिए विवश करते हैं, कि विवाह उसने स्वेच्छा से किया है । इसलिए पुलिस इसमें कुछ नहीं करती है । इसे रोकने के लिए अधिकारियों को कानूनों का पालन करना चाहिए । जिससे महिलाओं और बच्चों के अधिकारों का हनन नहीं होगा और मानवाधिकारों का भी पालन होगा।

 (सौजन्य : Hindustan Times) 

संपादकीय भूमिका

  • केवल चिंता व्यक्त करने से कोई उपयोग नहीं । संयुक्त राष्ट्र संघ को इस पर कडे से कडे कदम उठाने की आवश्यकता है, अन्यथा यह स्पष्ट हो जाएगा कि ‘संयुक्त राष्ट्र´ केवल बिजूका (भुलावा) है !
  • पाकिस्तान के विरुद्ध कार्रवाई के लिए भारत को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संगठन पर दबाव बनाना चाहिए !