‘लव जिहाद’ का समर्थन करनेवाले एम.आइ.एम. के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का वक्तव्य !
नासिक – भारत का संविधान प्रत्येक प्रौढ नागरिक को उसकी इच्छा के अनुसार जोडी चयन करने का अधिकार देता है । यदि कोई अपनी पसंद के अनुसार साथी का चयन कर विवाह करता है, तो उस पर अन्य लोगों को कष्ट होने का क्या कारण है ? भाजपा शासित राज्य में जहां जहां लव जिहाद का कानून पारित हुआ, सब संविधान के विरुद्ध है । भाजपा को प्रेम पर इतना क्रोध क्यों आता है ? प्रत्येक घटना को धार्मिक रंग देने की आवश्यकता नहीं है । महाराष्ट्र में किसान अडचन में हैं । इस पर कुछ नहीं कहा जाता । महाराष्ट्र के युवकों के गंभीर प्रश्न हैं । इन पर बात करने को कोई तैयार नहीं । नासिक में माध्यमों के प्रतिनिधियों से चर्चा करते समय एम.आइ.एम.के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने ऐसा असंगत (तर्कहीन) वक्तव्य दिया । (राष्ट्र के सामने आई ‘लव-जिहाद’ की गंभीर समस्या से सभी का ध्यान हटाने हेतु अन्य प्रश्न प्रस्तुत करने का ओवैसी का दयनीय प्रयास ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
Nashik Asaduddin Owaisi : भारताच्या संविधानानुसार आपल्या आवडीच्या व्यक्तीसोबत लग्न करता येतो, असे ओवेसी म्हणाले.https://t.co/efUUrkaWyq#Nashik #Nashiknews
— ABP माझा (@abpmajhatv) January 5, 2023
उन्होंने आगे कहा…
१. ‘लव’ तथा ‘जिहाद’ दोनों भिन्न-भिन्न बातें हैं । (लोगों का दिशाभ्रम करनेवाला वक्तव्य ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) तलवार उठा कर किसी को मारने को लोग ‘जिहाद’ समझते हैं यह भी चूक है । (गत कुछ माह में धर्मांधों की कार्यवाहियां देखते हुए उनमें ‘जिहाद’ कैसे किया गया, यह सर्वश्रुत है । ऐसा होते हुए ‘जिहाद’ को सौम्य तथा नरम करने के ओवैसी के प्रयास से हिन्दू पूर्णतः परिचित हैं ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
२. यदि कोई पैसे देकर धर्म परिवर्तन करने पर विवश करता है, तो उसके विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय २५ वर्ष पूर्व ही परिणाम सुना चुका है; परंतु कोई यदि स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन करता है, तो उसमें अडचन लानेवाले आप कौन ? (वर्तमान समय में स्वेच्छा से धर्मपरिवर्तन करनेवालों की अपेक्षा हठपूर्वक धर्मपरिवर्तन कराने की संख्या अधिक है । यह एक कटु सत्य है । इस विषय में विस्तृत आंकडे बतानेवाले विविध ब्यौरे भी प्रकाशित हुए हैं । इस विषय में ओवैसी महाशय को क्या कहना है ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
३. यदि कोई ईसाई अथवा मुसलमान स्वयं का धर्म परिवर्तित करता है, तब उसे कोई अडचन नहीं होती । वह जो कुछ करना चाहता है, उसे करने देना चाहिए । उसका वह वैधानिक अधिकार है । (ईसाई अथवा मुसलमानों द्वारा धर्म परिवर्तित करने के प्रमाण की अपेक्षा हिन्दुओं का हठपूर्वक धर्मपरिवर्तन करने का प्रमाण अधिक है । इस विषय में एक शब्द भी न बोलनेवाले ईसाई तथा मुसलमानों का समर्थन करनेवाले धर्मांध ओवैसी ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
संपादकीय भूमिका
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