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विश्व के किसी इस्लामी राष्ट्र में भी अल्पसंख्यकों के लिए इतनी सुविधाएं नहीं हैं, उतनी भारत के अल्पसंख्यकों को मिल रही हैं ! तब भी अल्पसंख्यक समाज ‘वन्दे मातरम्’ बोलने के लिए तैयार नहीं है !
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अल्पसंख्यकों को मुख्य धारा में लाने का चाहे कितने भी प्रयास क्यों न किए जाए; परंतु तब भी अल्पसंख्यकों के लिए उनका धर्म ही ‘प्रथम’ होता है, इसे ध्यान में रखिए !
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इस सुविधा के कारण जिहादी उनके लोगों को प्रशासन में घुसा देंगे, यह शंका किसी के मन में आई, तो उसमें आश्चर्य कैसा !
मुंबई (महाराष्ट्र) – प्रशासन में उच्च पद पर नौकरी मिलने के लिए, साथ ही अल्पसंख्यक मुख्य धारा में आएं; इसके लिए महाराष्ट्र के अल्पसंख्यक विकास विभाग की ओर से प्रतिवर्ष ५० अल्पसंख्यक छात्रों को केंद्रीय लोकसेवा आयोग की परीक्षा के पाठ्यक्रम का विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है । सरकारी उच्च पदों में अल्पसंख्यक छात्रों की संख्या बढे; इसके लिए महाराष्ट्र में वर्ष २००९ से अल्पसंख्यक छात्रों को सरकार की ओर से आवश्यक सुविधाएं दी जा रही हैं । ‘इस प्रकार की सुविधाएं कब तक दी जाएंगी ?’ इस विषय में सरकार ने किसी भी प्रकार की नीति नहीं बनाई है ।
इसमें सरकार की ‘यशदा’ योजना के अंतर्गत १० अल्पसंख्यक छात्रों को प्रशिक्षण दिया जाता है । इनमें से प्रत्येक छात्र को १० माह तक प्रशिक्षण दिया जाता है । इनमें से प्रत्येक छात्र को सरकारी की यशदा योजना के अंतर्गत १ लाख रुपए दिए जाते हैं । इसके साथ ही सरकार की ओर से छात्रों के निवास एवं भोजन का भी प्रबंध किया जाता है । इसके अतिरिक्त राज्य शासन के प्राधिकरण संघ की ओर से मुंबई, सोलापुर, नागपुर एवं संभाजीनगर, इन ४ विभागों से प्रत्येक विभाग के १० अल्पसंख्यक छात्रों को यह प्रशिक्षण दिया जाता है और प्रतिमाह इन्हें ४ सहस्र रुपए भी दिए जाते हैं । पूर्वपरीणा, साथ ही अन्य गुणवत्ता परीक्षाओं में सफल छात्रों को ही ये प्रशिक्षण दिया जाता है । आगे जाकर ये छात्र लोकसेवा आयोग की परीक्षा में उत्तीर्ण होते हैं, तो भारतीय प्रशासनिक सेवा में उनकी नियुक्ति की जाती है ।