केरल में साम्यवादी सरकार के निर्देशानुसार स्वयंसेवी गुट द्वारा ली जा रही समानता की शपथ मौलवियों द्वारा बंद की गई !

मौलवियों के दबाव के समक्ष केरल की साम्यवादी सरकार घुटनों पर !

तिरुवनंतपुरम – केरल सरकार द्वारा निर्धनता निर्मूलन के लिए लागू की जा रही ‘कुटुंबश्री’ योजना से संबंधित ‘लडके एवं लडकियों के मध्य समानता की शपथ को लेकर विवाद खडा हो गया है । सरकार द्वारा ‘कुटुंबश्री’ योजना के अंतर्गत स्वयंसेवक सहायता गुट अपने स्वयंसेवकों को ‘लडका एवं लडकी को समान अधिकार दें । लडका-लडकी को धन-संपत्ति में समान अधिकार देंगे’, ऐसी शपथ लेने के निर्देश दिए गए थे । ‘यह शपथ शरीयत कानून के विरुद्ध है’, ऐसा कहते हुए मौलवियों ने इसका विरोध किया । मौलवियों के दबाव के आगे घुटने टेक राज्य की साम्यवादी सरकार ने इस शपथ पर प्रतिबंध लगा दिया है ।

१. प्रसारमाध्यमों के दिए वृत्तानुसार केरल की ‘समस्थ केरळ जाम-इयुतुल कुत्बा कमिटी’ नामक मुस्लिम संगठन ने ‘कुडुंबश्री’ योजना के अंतर्गत काम करनेवाली महिलाओं की शपथविधि का विरोध करते हुए कहा है कि यह इस्लाम के शरीयत कानून के विरुद्ध है । मौलवियों ने कहा है कि इस शपथ के माध्यम से राज्य सरकार केंद्र सरकार को समान नागरिकता कानून लागू करने में सहायता कर रही है ।

२. ‘समस्थ केरळ जाम-इयुतुल कुत्बा कमिटी’ के नेता नजर फैजी कुडथाई ने फेसबुक पर एक ‘पोस्ट’ प्रसारित कर कहा था कि यह शपथ संविधान के विरुद्ध है । उन्होंने आगे कहा कि कुरान के अनुसार धन-संप‌त्ति में पुरुष को दो महिलाओं के समान हिस्सा मिलता है और पिताजी की संपत्ति में पुरुष को जो भाग मिलता है, उसका केवल आधा भाग स्त्री को दिया जाता है । लिंग समानता के तले सरकार धर्म के मूलभूत तत्त्वों में हस्तक्षेप कर रही है । फैजी कुदथाई के इस वक्तव्य के पश्चात जमात-ए-इस्लामी सह अन्य अनेक मुस्लिम संगठनों ने उनका समर्थन किया है ।

अब कहां हैं हिन्दुओं के विरुद्ध निर्णय लेने वाले? – भाजपा

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेंद्रन ने कहा कि सरकार कट्टरपंथियों के आगे आत्मसपर्मण कर चुकी है । सबरीमाला मंदिर पर आक्रमण तब हुआ जब हजारों तीर्थयात्रियों ने सभी गटों की महिलाओं को अनुमति देने के फैसले का विरोध किया। उधर, पुलिस ने २ महिलाओं को सुरक्षा देकर मंदिर में प्रवेश करने दिया ।

संपादकीय भूमिका

  • यह है केरल की साम्यवादी सरकार का वास्तविक रूप ! सदैव स्त्री-पुरुष समानता के विषय में बोलनेवाले साम्यवादी मुसलमानों के तुष्टीकरण के कारण किस प्रकार तत्त्वों को छोड देते हैं, यह इसी का उदाहरण है !
  • शबरीमला मंदिर में हिन्दुओं की प्रथा का विरोध कर सर्व आयु की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश मिलने के लिए सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में शपथपत्र प्रस्तुत किया था । वही सरकार मुसलमान स्त्रियों को समान अधिकार देने में इच्छुक नहीं है । इससे साम्यवादी सरकार का हिन्दूद्वेष दिखाई देता है !