(एक्जिट पोल का अर्थ है मतदान के उपरांत का परीक्षण)
मुंबई (महाराष्ट्र) / रांची (झारखंड) – अक्टूबर अर्थात केवल २ महिने पूर्व ही जिस प्रकार से हरियाणा विधानसभा चुनाव में ‘एक्जिट पोल’के अनुमान बडे स्तर पर झूठे सिद्ध हुए थे, उसी प्रकार का परिदृश्य इस बार भी देखने को मिला । २० नवंबर को मतदान के उपरांत अधिकांश ‘एक्जिट पोल्स’ने महाराष्ट्र में महायुति को विजयी घोषित किया था; परंतु अधिकांश परीक्षणों में महायुति को अधिक से अधिक १६०-१७० सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया था । अकेले ‘पोल डाइरी’ के परीक्षण में भी महायुति अधिक से अधिक १८६ सीटें जीतेंगी, यह अनुमान व्यक्त किया था; परंतु वास्तव में ‘पोल डाइरी’ के अनुमान की तुलना में महायुति को ४५ सीटें (२३१ सीटें) अधिक मिली । इससे पुनः एक बार मतदानोत्तर परिक्षणों की असफलता उजागर हुई है । लोकसभा चुनाव के मतदानोत्तर परीक्षण हो अथवा किसी भी विधानसभाओं के चुनावों में दिखाई देनेवाला यह अंतर अब इन परीक्षणों की विश्वसनीयता पर प्रश्न उठा रहा है, ऐसी सामाजिक माध्यमों पर चर्चा चल रही है ।
झारखंड चुनाव का विचार करने पर भी सामान्यतः यही अनुभव हुआ । यहां झारखंड मुक्ति मोर्चा तथा कांग्रेस के गठबंधन को ५७ सीटें मिली । वास्तव में केवल ‘एक्सिस माइ इंडिया’ने ही उन्हें ४९-५९ सीटें मिलने का अनुमान व्यक्त किया था । अन्य अधिकांश ‘एक्जिट पोल्स’ने भाजपा को बहुमत मिलने का अनुमान व्यक्त किया था, तो कुछ एक्जिट पोल्स ने खंडित जनादेश मिलने का अनुमान जताया था । वास्तव में अभी तक प्राप्त आंकडों से झारखंड मुक्ति मोर्चा तथा कांग्रेस को दो तिहाई से भी अधिक सीटें मिलती हुई दिखाई दे रही हैं ।