भैयादूज के निमित्त बहन को उपहार के रूप में चिरंतन ज्ञानामृत से युक्त सनातन संस्था के ग्रंथ भेंट कर, साथ ही राष्ट्र-धर्म के प्रति गौरव बढानेवाले ‘सनातन प्रभात’ के पाठक बनाकर अनोखा उपहार दीजिए !

भैयादूज के निमित्त सर्वत्र के हिन्दू भाईयों से आवाहन !

१. भैयादूज तथा उसके उपलक्ष्य में दिया जानेवाला उपहार !

कार्तिक शुक्ल द्वितीया अर्थात भैयादूज अथवा यमद्वितीया ! इस वर्ष २६.१०.२०२२ को भैयादूज है तथा हिन्दू संस्कृति के अनुसार इस दिन का महत्त्व है । इस दिन भाई बहन के घर भोजन के लिए जाता है । ‘भाई उसकी रक्षा करे’, इसके लिए वह भाई की आरती उतारती है और तब भाई बहन को उपहार देता है । इस उपलक्ष्य में बहन को विशेष उपहार देने की पद्धति है । अनेक बार भाई बहन को नए वस्त्र, आभूषण आदि उपहार देते हैं, तो कुछ लोग नकद धनराशि भी देते हैं ।

२. आज के समय के अनुसार श्रेष्ठ उपहार !

भैयादूज के दिन बहन को उक्त प्रकार की अशाश्वत भेंटवस्तुएं देने की अपेक्षा चिरंतन ज्ञान का प्रसार करनेवाले सनातन की ग्रंथसंपदा के ग्रंथ उपहार के रूप में दिए जा सकते हैं, उसी प्रकार बहन को ‘सनातन प्रभात’ नियतकालिक का पाठक भी बनाया जा सकता है । आज के काल के अनुसार यह उपहार देना यथार्थ सिद्ध होगा ।

३. सरल भाषा में धर्मशास्त्र बताकर धर्म के प्रति श्रद्धा बढानेवाले सनतान के ग्रंथ !

सनातन संस्था ने सितंबर २०२२ तक अध्यात्म, साधना, देवताओं की उपासना, आचारधर्म, बालसंस्कार, राष्ट्ररक्षा, धर्मजागृति आदि विषयों पर आधारित ३५७ ग्रंथों तथा लघुग्रंथों की हिन्दू, अंग्रेजी, मराठी, गुजराती, कन्नड, तमिल, तेलुगु, मलयालम, बांग्ला, ओडिया, असमिया, गुरुमुखी इन भारतीय; तथा सर्बियन, जर्मन, स्पैनिश, फ्रांसीसी एवं नेपाली, इन विदेशी भाषाओं में ९० लाख ७३ सहस्र प्रतियां प्रकाशित की हैं । ये ग्रंथ १७ भाषाओं में उपलब्ध हैं तथा वे पाठकों को ‘काल के अनुसार आवश्यक साधना कौनसी है ?, देवताओं की उपासना कैसे करनी चाहिए ?, धार्मिक उत्सव कैसे मनाने चाहिए ?’ आदि विषयों का सरल भाषा में अमूल्य ज्ञान देते हैं । अतः हम जिन्हें ऐसे उपहार देते हैं, उनमें धर्म के प्रति श्रद्धा बढती है ।

४. साधना का महत्त्व अंकित करनेवाला तथा स्त्रियों में प्रतिकूल प्रसंगों का सामना करने का मनोधैर्य उत्पन्न करनेवाला सनातन प्रभात !

आज के समय में सामाजिक परिस्थिति भयावह होने से स्त्रियों को अनेक समस्याओं का सामना करना पड रहा है । इसलिए उन्हें इन समस्याओं के प्रति अवगत कर सतर्क करना समय की मांग है । ‘सनातन प्रभात’ अविरतता से यह समाजोपयोगी कार्य कर रहा है । इन नियतकालिकों में स्वरक्षा के लिए प्रेरित करनेवाले, साथ ही ‘साधना का आधार लेकर प्रतिकूल प्रसंगों का कैसे सामना करना चाहिए ?’, इन विषयों की जानकारी देनेवाले लेख नियमित रूप से प्रकाशित किए जाते हैं । उसके कारण स्त्रियों में कठिन प्रसंगों का सामना करने का मनोधैर्य उत्पन्न होने लगता है ।

बहन के मन पर साधना का महत्त्व अंकित कर उसके जीवन में आमूलचाल परिवर्तन लानेवाले ‘सनातन प्रभात’ के पाठक बनाना और उसे उसमें समाहित अमूल्य जानकारी पढने के लिए प्रेरित करने की अपेक्षा और कौनसा श्रेष्ठ उपहार होगा ?

बहन को उपहार के रूप में देने के लिए सनातन के ग्रंथ तथा लघुग्रंथ चाहिए हों, तो स्थानीय वितरकों से उनकी मांग की जा सकेगी । बहन को ‘सनातन प्रभात’ के पाठक बनाने के लिए https://sanatanprabhat.org/subscribe/ लिंक देखें अथवा स्थानीय साधकों से संपर्क करें । (२७.९.२०२२)