इंदौर (मध्यप्रदेश) में हिन्दू जनजागृति समिति की द्विदशकपूर्ति के निमित्त वर्षगांठ समारोह का आयोजन
इंदौर (मध्यप्रदेश) – अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एकतरफा नहीं हो सकती । अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड में हिन्दू देवी-देवताओं और भारतमाता केनग्न चित्र बनानेवाले हिन्दूद्वेषी म.फि. हुसैन और देशविरोधी गतिविधियों में संलिप्त डॉ. जाकीर नाईक जैसे धर्मद्रोहियों को रोकने के लिए हिन्दू जनजागृति समिति ने प्रचंड प्रयास किए । हम भी महाकाल मंदिर में गोमांस भक्षण करनेवालों को प्रवेश करने नहीं देते । अब हिन्दुओं का पवित्र नवरात्रि महोत्सव निकट आ रहा है । आज के समय में उसे धर्मविरोधी मनोरंजन के नाम पर षड्यंत्र का शस्त्र बनाया जा रहा है । उसे आप होने मत दीजिए । नवरात्रि के पश्चात भ्रुणहत्याएं बढती हैं । हिन्दू जनजागृति समिति उत्सवों की पवित्रता टिकाए रखने के लिए बहुत पहले से प्रयास कर रही है ।
अब हमें इस अभियान को अधिक गतिमान बनाने की आवश्यकता है । मध्य प्रदेश जनअभियान परिषद के उपाध्यक्ष (राज्यमंत्री की श्रेणी) श्री. विभाष उपाध्याय ने ऐसा प्रतिपादित किया । हिन्दू जनजागृति समिति की द्विदशकपूर्ति के निमित्त मध्य भारत हिन्दी साहित्य समिति के सभागार में इस वर्षगांठ समारोह का आयोजन किया गया था, उस समय वे उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए ऐसा बोल रहे थे ।
इस अवसर पर श्री. विभाष उपाध्याय के हस्तों हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा प्रकाशित हिन्दी भाषी ग्रंथ ‘हलाल जिहाद’ का लोकार्पण किया गया । समिति के मध्यप्रदेश एवं राजस्थान समन्वयक श्री. आनंद जाखोटिया ने उपस्थित लोगों के सामने समिति के विगत २० वर्षाें की सफलता की यात्रा विशद की । समिति के श्री. श्रीराम काणे ने ‘हिन्दू राष्ट्र की आवश्यकता’ विषय पर संबोधन दिया । हिन्दू राष्ट्र-स्थापना की प्रतिज्ञा लेकर इस कार्यक्रम का समापन किया गया ।
इस अवसर पर सप्तर्षि गुरुकुल के संस्थापक डॉ. देवकरण शर्मा ने कहा, ‘‘द्विदशकपूर्ति के निमित्त हिन्दू जनजागृति समिति आज युवावस्था में पदार्पण कर रही है., जिसकी फलोत्पत्ति हमें हिन्दू राष्ट्र के रूप में मिलनेवाली है ।’’
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‘हिन्दू महासभा’ के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. जितेंद्रसिंह ठाकूर, ‘मातृभाषा उन्नयन संस्थान’ के अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन तथा धर्मप्रेमी श्री. पवन चौधरी ने हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा उन्हें प्राप्त अनुभव कथन किए ।
श्री. विभाष उपाध्याय ने कहा, ‘‘मंदिरों का संचालन भक्तों के द्वारा ही होना चाहिए और मंदिर हिन्दू चेतना के केंद्र बनने चाहिएं । धर्म एवं अधर्म के मध्य का युद्ध हमें जितना प्रत्यक्षरूप से दिखाई देता है, उतना ही वह सूक्ष्म जगत से भी लडा जा रहा है । इस संदर्भ में हिन्दू जनजागृति समिति के प्रेरणास्रोत सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी हमारा मार्गदर्शन कर रहे हैं ।’’ |