‘आदिपुरुष’ चित्रपट की काल्पनिकता आपत्तिजनक ! – हिन्दू जनजागृती समिति

धर्मग्रंध का अध्ययन कर पौराणिक चित्रपट बनाए जाने की मांग

मुंबई – ‘आदिपुरुष’ प्रभु श्रीरामपर आधारित आगामी चित्रपट का ‘टीजर’ प्रकाशित हुआ, जिस पर अनेक आपत्तियां दर्शाई जा रही है । कुछ लोग इस चित्रपट का समर्थन भी कर रहे हैं । प्रभु श्रीराम पर भव्य चित्रपट बनाना, यह प्रशंसनीय है; लेकिन यह बनाते समय यदि वास्तविकता को दूर रख काल्पनिकता को महत्व दिया गया,  तो असत्य इतिहास समाज मन पर चिन्हित करने का पाप हमारे ऊपर आता है । ‘आदिपुरूष’ इस चित्रपट के टीजर से यही ध्यान में आ रहा है । इस चित्रपट में पौराणिक संदर्भ छोडकर जो काल्पनिक दृश्य दिखाए गए हैं, वे आपत्तिजनक हैं । हिन्दू जनजागृति समिति इसका विरोध करती है । प्रभू श्रीराम संपूर्ण हिन्दू समाज के आराध्य देवता हैं । हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री रमेश शिंदे ने कहा कि श्रीराम पर आधारित चित्रपट कलास्वतंत्रता के नाम पर काल्पनिक न बनाकर धर्मग्रंथों का अध्ययन कर बनाना चाहिए ।

चित्रपट के टीजर में हिन्दू समाज को न पसंद आने वाले दृश्यों का निर्माताओं को समाज की भावना के रुप में समझना चाहिए और उसमें आवश्यक बदलाव भी करने चाहिए ।

टीजर में आपत्तिजनक सूत्र आगे दिए अनुसार हैं !

१. हनुमानजी के वस्त्र चमडे के दिखाए गए हैं, साथ ही उन्हें मुकुट के बिना दिखाया गया है : इस विषय में मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी आपत्ति व्यक्त की है । हनुमान चालीसा के श्लोकों में हनुमानजी के वस्त्रों का भी वर्णन है, उसी अनुसार हनुमानजी की वेशभूषा होनी चाहिए; लेकिन यहां वैसी वेशभूषा नहीं है ।

२. हनुमानजी को दाढी दिखाई; लेकिन मूंछ नहीं ! ऐसी केशभूषा हिन्दुओं के किसी भी देवता की नहीं है। इसके विपरीत मूंछे न रखते हुए दाढी रखना, यह मुसलमानों का ढंग है । हिन्दू देवता को ऐसे दिखाना हिन्दू समाज कभी भी सहन नहीं करेगा ।

३. ‘स्लीवलेस’ (बांहें न होनेवाले) वस्त्रों में माता सीता : माता सीता समान भूदेवी को ऐसे दिखाना अत्यंत अयोग्य है ।

४. रावण को भी मुगलों समान दिखाना : रावण ने तप कर शंकर जी को प्रसन्न किया था, वह प्रकाण्ड पंडित ब्राह्मण था; लेकिन अहंकार और दुर्जन प्रवृत्ति के कारण उसका नाश हुआ । उसकी तुलना मुगल आक्रमणकारियों से कदापि नहीं की जा सकती ।

५. रावण का पुष्पक विमान : यह एनिमेटेड, एक क्रूर पक्षी के रुप में दिखाया गया है । यह अत्यंत अयोग्य है ।

निर्देशक ओम राऊत ने इसके पहले भी अच्छे चित्रपट बनाए हैं । उन्होंने इस चित्रपट में भी अच्छे प्रयास किए होंगे; लेकिन ‘टीजर’ से कुछ आपत्तियां ध्यान में आई हैं । पूरे चित्रपट में और भी आपत्तिजनक दृश्य होने की संभावना को नकार नहीं सकते । हिन्दू जनजागृति समिति की ओम राऊत से मांग है कि, चित्रपट के प्रदर्शन के पूर्व संत-महंत, इतिहास अध्ययनकर्ता, हिन्दू संगठनों के प्रतिनिधियों को दिखाकर उनकी शंकाओं का समाधान करें और तभी चित्रपट प्रदर्शित करें । वर्तमान में चित्रपट के विषय में विवाद निर्माण कर तिजोरी भरनेवाले अनेक चित्रपट निर्माता हैं । ‘आप भी उनके समान न हों’, ऐसी अपेक्षा समिति ने व्यक्त की है ।