नई देहली – तमिलनाडू में सरकारी कर्मचारियों को मंदिर चलाने को देने की अपेक्षा पाठशाला एवं चिकित्सालयों का व्यवस्थापन संभालने के लिए नियुक्त करना चाहिए, कुछ समय पूर्व ही सर्वाेच्च न्यायालय ने ऐसा कहा । न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड के नेतृत्व में खंडपीठ ने टी.आर. रमेश द्वारा प्रविष्ट याचिका पर सुनवाई के समय यह कहा था । ‘तमिलनाडू हिन्दू धार्मिक तथा धर्मादाय कानून, १९५९’ के अंतर्गत राज्य के ४६ सहस्र मंदिर राज्य सरकार के नियंत्रण में हैं तथा वे सरकार द्वारा चलाए जा रहे हैं । इस याचिका के माध्यम से यह सर्वाेच्च न्यायालय के ध्यान में दिया गया । सर्वाेच्च न्यायालय ने तमिलनाडू सरकार को नोटिस देकर प्रत्युत्तर मांगा है ।
खंडपीठ ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सी.एस. वैद्यनाथन को बिना न्यासियों के मंदिरों की संख्या के विषय में प्रतिज्ञा पत्र प्रस्तुत करने की अनुमति दी जहां सरकारी अधिकारियों को नियुक्त किया गया था । ‘इनमें अधिकांश मंदिर छोटे गांव में हो सकते हैं ’, न्यायालय ने ऐसा कहा है । जिन मंदिरों में बडा दान अथवा उद्देश्य है, ऐसे मंदिर सरकारी प्रशासन के भाग हो सकते हैं, जिससे प्राप्त निधि सार्वजनिक कारणों के लिए उपयोग करना संभव हो पाए । मंदिर में नियुक्ति के लिए इतने अधिकारी कहां से मिलते हैं, इस विषय पर न्यायालय ने ऐसा प्रश्न उपस्थित किया ।
अधिकाधिक जीविका (रोजगार) उपलब्ध कराने हेतु सरकार द्वारा इस तंत्र का उपयोग किया जाता है, अधिवक्ता वैद्यनाथन ने न्यायालय को इस पर ध्यान दिलाया ।