सर्वोच्च न्यायालय ने संस्कृत भाषा को राष्ट्रभाषा का स्तर देने की मांग से संबंधित जनहित याचिका अमान्य की ! 

संसद में इस पर चर्चा करने का सुझाव !

नई देहली – संस्कृत भाषा को राष्ट्रभाषा का स्तर देने के संदर्भ में अधिवक्ताा के.जी. वंजारा द्वारा प्रविष्ट की जनहित याचिका सर्वोच्च न्यायालय ने अस्वीकार कर दी ! ‘इस याचिका में उपस्थित सूत्रों पर चर्चा एवं विचार करने के लिए संसद योग्य स्थान है । न्यायालय में यह निर्णय लेना योग्य नहीं’, न्यायालय ने इस समय यह स्पष्ट किया । इस याचिका में ‘केंद्र सरकार संस्कृत भाषा को राष्ट्रभाषा का स्तर दे, इस विषय में न्यायालय को निर्देश देना चाहिए’ ऐसी मांग की गई थी । ‘इस प्रकार के निर्देश से किसी भी प्रकार से संविधान की प्रक्रिया का उल्लंघन नहीं होगा । साथ ही हिन्दी एवं अंग्रेजी जैसा संस्कृतभाषा को भी राष्ट्रभाषा का स्तर मिलेगा’, उसमें ऐसा विवेचन किया गया था ।

न्यायालय ने सुनवाई के समय कहा, ‘न्यायालय इस विषय में सूचनापत्र क्यों जारी करे अथवा प्रसार के विषय में घोषणा क्यों करे ? इस संदर्भ में हम आपके विचार सुन सकते हैं, परंतु इस पर चर्चा एवं निर्णय लेने के लिए संसद ही योग्य स्थान है । ऐसा स्तर देने के लिए संविधान में सुधार करने की आवश्यकता है । इस विषय में संबंधित अधिकारी के समक्ष सूत्र उपस्थित करने की स्वतंत्रता है’ ।

संपादकीय भूमिका

वास्तव में जनता को ऐसी मांग करने की आवश्यकता न पडे । केंद्र की भाजपा सरकार को इस विषय में चर्चा कर योग्य निर्णय लेना चाहिए, धर्माभिमानी हिन्दुओं की ऐसी इच्छा है !