नई देहली – चुनाव के समय जनता को निःशुल्क वस्तु देने के विरुद्ध प्रविष्ट की गई याचिका पर सुनवाई करते समय सर्वाेच्च न्यायालय ने यह प्रश्न उपस्थित किया कि मान लीजिए यदि मैंने लोगों को सिंगापुर ले जाने की घोषणा की, तो मेरे ऊपर कौन प्रतिबंध लगा सकता है ? उसी प्रकार की घोषणाएं यदि चुनाव में की जाती हैं, तो जनता को आश्वासन देने के संदर्भ में चुनाव आयोग राजनीतिक दलों पर कैसे प्रतिबंध लगा सकता है ? अब इस विषय पर कल सुनवाई होगी ।
'रेवड़ी कल्चर' दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि मुफ्त योजनाएं एक अहम मुद्दा हैं और इस पर बहस की जरूरत है.#SupremeCourt #Freebies @SinghArvind03 https://t.co/6KCVUcfnlP
— Zee News (@ZeeNews) August 23, 2022
सरन्यायाधीश एन. वी. रमणा ने कहा कि
१. ‘रेवडी कल्चर’ पर (सब कुछ निःशुल्क देने की संस्कृति पर) सभी दल अर्थात भाजपा तथा अन्य दलों का मतैक्य है । सभी के सभी दल निःशुल्क वस्तु देने की घोषणाओं के पक्ष में हैं । यह सूत्र समाज तथा अर्थव्यवस्था के कल्याण के लिए उपस्थित किया गया है ।
२. यदि कल किसी राज्य ने विशिष्ट योजना की घोषणा की, तो उसका लाभ हम सभी को प्राप्त हो सकता है । अतः क्या हम यह कह सकते हैं कि सरकार का यह विशेषाधिकार है तथा न्यायालय उसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता ? इस संदर्भ में वाद-विवाद आवश्यक है । ‘राज्यों को निःशुल्क वस्तु देने की घोषणा नहीं कर सकते । इस संदर्भ में यदि केंद्र ने अधिनियम पारित किया, तो क्या होगा, इसका विचार करना चाहिए ।
३. समाज तथा अर्थव्यवस्था का कल्याण हो, इस सूत्र पर हम सुनवाई कर रहे हैं । हम अन्य कुछ भी नहीं करते । सॉलिसिटर जेनरल ने एक समिति स्थापित करने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया है । अब यह देखना है कि समिति का नेतृत्व कौन करेगा ?
४. क्या आप सभी को चुनाव घोषणापत्र नियंत्रित करने तथा ऐसी घोषणाओं पर प्रतिबंध लगाने की इच्छा है ? इस प्रकार की घोषणाएं चुनाव के समय की जाती हैं । चुनाव आयोग दल इस प्रकार की घोषणाएं करने पर कैसे प्रतिबंध लगा सकता है ?