१. दार-उल-अमन
जहां मुसलमान अल्पसंख्यक और गैरमुसलमान एकजुट हैं, वहां किया जानेवााला जिहाद !
२. दार-उल-हरब
जहां मुसलमान अल्पसंख्यक हैं और गैरमुसलमान एकजुट नहीं हैं, वहां किया जानेवाला जिहाद !
३. दार-उल-इस्लाम
जहां मुसलमान बहुसंख्यक होते हैं, वहां किया जानेवाला जिहाद !
१. दार-उल-अमन (छुपा जिहाद)
इस जिहाद में ‘काफिरों को (गैरमुसलमानों को) मित्र बनाइए; परंतु मन से उन्हें शत्रु मानिए । सदैव एकजुट रहकर अपनी संख्या बढाते रहिए’, ऐसा बोला जाता है । जहां यह जिहाद किया जाता है, उस क्षेत्र के मुसलमान ‘अच्छे हैं’; उदाहरणार्थ ऑस्ट्रेलिया ! यहां के अल्पसंख्यक मुसलमानों ने शरिया कानून की (जिस कानून को इस्लामधर्मी मानते हैं, उसकी) मांग की । उस समय वहां की महिला प्रधानमंत्री ने बताया, ‘जिन्हें शरिया कानून चाहिए, वे अपना बोरिया बिस्तर बांधकर जिस देश में शरिया कानून है, उस देश में चले जाएं ।’ उस पर दूसरे दिन सभी मुसलमान एकत्रित हुए और कहने लगे, ‘शरिया की मांग करनेवाले मौलवी पागल हैं । हम सभी ऑस्ट्रेलिया में जो कानून है, उससे संतुष्ट हैं !’
२. दार-उल-हरब (रक्षात्मक जिहाद)
इस जिहाद में ‘जो इस्लाम के विरुद्ध बोलें, उन्हें मृत्युदंड दीजिए, शरिया कानून की मांग करते रहिए और अपनी संख्या बढाते रहिए’, ऐसा बोला जाता है । जिस क्षेत्र में यह जिहाद चलाया जाता है, वहां आपको ‘अच्छे मुसलमान’ (सामान्य जिहादी) और बुरे मुसलमान (कट्टरपंथी जिहादी) ये दोनों मिलेंगे । इसमें काफिरों का दिशाभ्रम करने के लिए कट्टर जिहादी सामान्य मुसलमानों में घुल-मिलकर जिहाद करते हैं । इसमें जिहादी फिल्में, पत्रकारिता ऐसे जिन माध्यमों से वे जुडे होते हैं; उन माध्यमों से मुसलमानों की अच्छी प्रतिमा दिखाने का प्रयास करते हैं । वे इस माध्यम से ‘मुसलमानों पर कितने अत्याचार हो रहे हैं !’, यह भी दिखाने का प्रयास करते हैं । इस माध्यम से सामान्य मुसलमान जिहाद में सम्मिलित होते हैं, उदा. भारत, फ्रांस, इंग्लैंड और अमेरिका, इन देशों में उक्त जिहाद चलता है । फ्रांस में मोहम्मद पैगंबर का चित्र बनाने के कारण ‘चार्ली हेब्दो’ समाचारपत्र के कार्यालय में घुसकर १७ लोगों को मारा गया और १९ लोगों को घायल किया गया, वहीं भारत में देवताओं के अश्लील चित्र बनानेवाले एम.एफ. हुसैन को अनेक पुरस्कार दिए गए ।
३. दार-उल-इस्लाम (आक्रामक जिहाद)
इस जिहाद में ‘काफीर जहां दिखाई दें, वहां उन पर अत्याचार कीजिए, उनकी स्त्रियों को गुलाम बनाइए और जब तक वे इस्लाम को नहीं मानें, तब तक उनके साथ बलात्कार करते रहिए ।’ ऐसा करना ‘हलाल’ (पुण्य अथवा पवित्र) है । जो इसे ‘हराम’ (पाप) कहेगा, उसे मार देना अनिवार्य है । काफीर गुलाम स्त्रियों से शारीरिक संबंध बनाना हलाल है ।’, ऐसा बताया जाता है ।
जिस क्षेत्र में यह जिहाद चलाया जाता है, वहां सभी कट्टरपंथी दिखाई देते हैं और ‘अच्छे मुसलमान’ कहीं लापता होते हैं !, वर्ष २०१४ में सीरिया में यजिदी धर्म की स्त्रियों और समूह पर जिहादियों ने भीषण अत्याचार किए । आतंकियों ने सहस्रों यजिदी स्त्रियों को यौन गुलाम बनाया । दिन में अनेक बार अल्पायु लडकियों के साथ भी बलात्कार किए । उन्हें १० डॉलर्स से लेकर ५०० डॉलर्स में बेचा । उन्होंने सहस्रों यजिदी पुरुषों को और उनके बच्चों को मार डाला । वहां २ करोड की संख्यावाले यजिदी अब कुछ लाख ही रह गए हैं । यह ‘हलाल’ होने से ‘अच्छे मुसलमान’ इसके मूकदर्शक बन जाते हैं । इन सभी के विषय में ये ‘सामान्य जिहादी’ चुप बैठते हैं । इस्लाम बताता है कि अत्याचार पीडित स्त्रियों से जन्म लेनेवाले लडकों को जिहादी माना जाए । मुहम्मद गोरी, गजनी, बाबर, अकबर, इन सभी की अगणित यौन गुलाम (सेक्स स्लेव्ज) महिलाएं थीं । अधिकतर मुसलमान प्रजा उन्हीं से उत्पन्न हुई है ।
इसका दूसरा उदाहरण है वर्ष १९९० में कश्मीर में किया गया वंशविच्छेद ! उस समय वहां के बहुसंख्यक मुसलमानों ने मस्जिदों से यह घोषणा कर उन्हें ३ विकल्प दिए, ‘यदि कश्मीर में रहना है, तो ‘अल्ला हू अकबर’ (अल्लाह महान है !) कहना होगा । ‘एक तो मुसलमान बनिए, अन्यथा मर जाइए अथवा आपकी स्त्रियों को यहां छोडकर यहां से चले जाइए ।’ उसमें सहस्रों पुरुषों की हत्याएं की गईं और सहस्रों हिन्दू स्त्रियों, लडकियों और बालिकाओं को वस्त्रहीन कर उन्हें सडक पर घुमाया गया । मुसलमान छात्रों ने अपनी हिन्दू अध्यापिकाओं के साथ बलात्कार किया । उस समय वैज्ञानिक, प्रसारमाध्यम, पुलिसकर्मी, अभियंता, डॉक्टर और परिचारिकाएं, किसी को भी नहीं छोडा । वहां लगभग १०० प्रतिशत मुसलमान कश्मीरी जनता ने आतंकियों की इस जिहाद चलानेवाले आतंकियों की सहायता की थी । तीसरा उदाहरण है म्यांमार का जिहाद ! म्यांमार में वर्ष २०१७ में सुरक्षा बलों ने रोहिंग्या मुसलमानों की बस्ती से हिन्दू लडकियों को छुडाया था । उसके उपरांत मुसलमानों ने उनके गांव पर सामूहिक आक्रमण कर पुरुषों को बहुत ही अमानवीय पद्धति से मार डाला और हिन्दू महिलाओं के साथ दिन-रात बलात्कार किए । आज के समय में जिन ५६ मुसलमान देशों का अस्तित्व था, वे देश पहले हिन्दू, पारसी, ईसाई, यहूदी अथवा बौद्ध देश थे । पाकिस्तान और अफगानिस्तान, इन देशों में हिन्दू अथवा सिख लडकी जब १४ वर्ष की हो जाती है, तब उसका अपहरण किया जाता है और इसके लिए पुलिस में जाने पर यह उत्तर मिलता है, ‘अब वह कलमा पढकर मुसलमान बन चुकी है, अब आपका और उसका कोई संबंध नहीं है ।’ उनका परिवाद भी नहीं लिया जाता । आतंकियों ने इस विषय में प्रमाण सहित समाचार देनेवाले पत्रकार पर हवाई अड्डे के पास आक्रमण किया; परंतु वह उसमें बच गया ।
(साभार – ‘माय इंडिया माय ग्लोरी’ जालस्थल)
(तत्कालीन सांसद डॉ. सुब्रह्मण्यम् स्वामी, अमेरिकी विचारक डेविड वूड्स और आतंकी संगठनों से संबंधित इस्लामी विचारक मोसेब युसूफ के लेखन से इस लेख के संदर्भ लिए गए हैं ।)
१. इस्लामी विचारक ‘जिहाद’ शब्द का अर्थ यह बताते हैं कि वास्तव में जिहाद किसी अन्य के विरुद्ध नहीं, अपितु ‘स्वयं में विद्यमान दुर्गुणों को नष्ट करने के लिए चलाया जा रहा प्रयास’ है । (संदर्भ – टीवी ९ जालस्थल समाचार १३ अप्रैल २०२१) २. इस्लाम में ‘जिहाद’ शब्द को पवित्र माना जाता है; परंतु आज संपूर्ण विश्व में जिहाद के नाम पर जो आतंकवाद, निर्दाेष लोगों की हत्या और आर्थिक हानि चल रही है, उसे देखकर इस पर विश्वास करना कठिन है ! – एक हिन्दुत्वनिष्ठ ३. जिहाद का अर्थ है ‘तलवार के बल पर आगजनी और बलात्कार करते हुए काफिरों की (गैरमुसलमानों की) अंधाधुंध हत्याएं करते हुए उनकी संपत्ति लूटना और उनकी स्थाई और अन्य संपत्ति हडप लेना !’ वास्तव में देखा जाए तो एक पंथ के रूप में इस्लाम का अध्यात्म के साथ थोडा भी संबंध नहीं है । जिहाद का एकमात्र उद्देश्य है ‘काफिरों का सामूहिक हत्याकांड करवाकर उन्हें नष्ट करना और संपूर्ण विश्व में इस्लाम का साम्राज्य स्थापित करना !’ उसके कारण उनके सभी भद्रतापूर्ण प्रयास, ‘सैन्य बल प्राप्त करना और काफिरों के साथ निरंतर लडते रहना’, इस दिशा में होते हुए दिखाई देते हैं । – (पत्रिका ‘मासिक अभय भारत’, १५ जून से १४ जुलाई २०१०) |
भारत में कार्यरत आतंकी संगठनआज संपूर्ण विश्व में १४३ संगठनों को आतंकी संगठन घोषित किया जा चुका है । उनमें से भारत में कार्यरत संगठन हैं –
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