जिनमें से ३९६ को ढूंढने में सफलता
पूना – पुलिस द्वारा दी जानकारी के अनुसार वर्ष २०२२ के पिछले ७ माह में लगभग ८४० युवतियां और महिलाएं लापता हुई थीं, उनमें से ३९६ को ढूंढा गया है । जून माह में सर्वाधिक १८६ महिलाएं लापता हुईं और इसके उपरांत मई में १५३ महिलाएं लापता हुई हैं । पूना के ग्रामीण भाग में पिछले ७ माह में महिलाएं गायब होने की लगभग ७४३ शिकायतें प्राप्त हुई हैं । पुलिस ने ‘मुस्कान योजना’ के अंतर्गत इन युवतियों और महिलाओं की खोज शुरू की है । (महिलाओं को खोजने की योजना का नाम मराठी में क्यों नहीं रखा ? – संपादक)
इस संबंध में महिला और बाल कार्यकर्ता यामिनी अदाबे ने कहा कि, महिलाओं के लापता होने के पीछे अनेक कारण होंगे, तो भी मानव तस्करी की ओर अनदेखी नहीं की जा सकती । प्रेम प्रकरण के कारण अथवा पारिवारिक विवाद के कारण महिलाएं लापता होने के प्रकरणों में वे परिवार के कुछ सदस्यों अथवा मित्रों के संपर्क में होती हैं; परंतु खोज न किए जाने वाली महिलाओं की बढती संख्या सभी के लिए चिंताजनक है । (खोजी ना जा सकने वाली युवती और महिलाएं वास्तव में कितनी हैं, इसके वास्तविक आंकडे सामने आने चाहिएं ! – संपादक)
इस विषय में शिवसेना नेत्री और महाराष्ट्र विधान परिषद की उपसभापति नीलम गोर्हे ने कहा कि, मैंने पिछले २ वर्षों से इन प्रकरणों की जानकारी लेने के साथ इस विषय में पूर्व गृहमंत्री दिलीप वळसे-पाटिल से भेंट की थी । बलात्कार की घटनाएं कम हुई हैं; परंतु उसी समय पारिवारिक हिंसा के कारण महिलाएं गुम होने की घटनाएं बढी हैं । महिलाओं को मुक्त किए जाने के उपरांत उनकी काउन्सलिंग भी करनी चाहिए । हमने हमारे ‘स्त्री आधार केंद्र’ के माध्यम से गुम हुई महिलाओं के विषय में जनजागृति मुहिम चालू करने का निर्णय लिया है । पुलिस ने यदि अज्ञात मृत महिलाओं के छायाचित्र प्रकाशित किए तो उनकी मृत्यु की जानकारी उनके अभिभावकों को मिल सकती है । उन्होंने कहा कि, इस विषय में विशेष पुलिस महानिरीक्षक ( कोल्हापुर परिक्षेत्र) मनोज लोहिया से चर्चा करने पर वे इस विषय में सकारात्मक हैं ।
पूना पुलिस के सामाजिक सुरक्षा विभाग के पुलिस निरीक्षक अण्णा माने ने कहा कि, महिला लापता होने के पीछे पारिवारिक विवाद, रिश्ते, प्रेमी द्वारा विवाह के बहाने से लालच देना ऐसे अनेक कारण हैं । पुलिस की जानकारी के अनुसार महिलाओं के अपहरण होने के प्रकरण बहुत ही कम है ।
संपादकीय भूमिका
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