‘स्मार्टफोन’ आत्महत्या का कारण बन रहा है ! – शोध

आधुनिक विज्ञान के अतिरेक के दुष्परिणाम !

ऑस्टिन (अमेरिका) – ‘स्मार्टफोन’ (भ्रमणभाष)’ के सन्दर्भ में एक धक्कादायक ब्यौरा सामने आया है । अमेरिका के टेक्सास राज्य में ‘सैपियन लैब्स’ से किए गए शोध के अनुसार १८ से २४ वर्ष आयु के मध्य युवाओं के बिघडते मानसिक स्वास्थ्य का कारण ‘स्मार्टफोन’ हो सकता है । जब इण्टरनेट का उपयोग नहीं होता था, तब १८ वर्ष तक के युवा उनके मित्र तथा परिजनों के साथ १५ से १८ सहस्र घंटे बिताते थे । अब यह समय न्यून होकर ५ सहस्र घंटे तक हो गया है । ब्यौरे में और कहा गया है कि जो लोग स्मार्टफोन का अधिक उपयोग करते हैं, उनके मन में आत्महत्या के विचार आते हैं ।

प्रमुख शोधकर्ता तारा थिआगराजन ने कहा कि ‘स्मार्टफोन’ का प्रयोग इतना बढ गया है कि लोग आपस में बातचीत करना ही भूल गए हैं । जब लोग एक-दूसरे से नहीं मिलते , तब वे किसी व्यक्ति के मुखमंडल के भाव, शरीर की गतिविधियों एवं लोगों की भावनाओं पर ध्यान देने और जीवन की समस्याएं सुलझाने में सक्षम नहीं होते । इस कारण वे समाज से जुड नहीं पाते और उनके मन में आत्महत्या जैसे घातक विचार आते हैं ।

इस शोध में कुल ३४ देशों की जानकारी एकत्रित की गई । शोध से यह सामने आया है कि वर्ष २०१० से स्मार्टफोन पर लोगो निर्भर रहने लगे हैं ।

संपादकीय भुमिका

जिस विज्ञान का निर्माण मनुष्य को सुविधा उपलब्ध कर उनका जीवन सरल बनाने के लिए किया गया, वही मनुष्य के अन्त का कारण सिद्ध हो रहा है ! नि:संशय ही यह विज्ञान का पराभव है । विज्ञान का गुणगान करनेवाले यह स्वीकार करेंगे क्या ?