नोएडा (उत्तर प्रदेश) – ‘‘प्रत्येक राष्ट्र की संस्कृति होती है, परंतु भारत में ऐसा नहीं है । संविधान की धारा २८ में लिखा है कि हिन्दू पाठशाला में वेद पुराण नहीं पढा सकते; परंतु अन्य पंथीय अपने धर्मग्रंथों का अध्ययन कर सकते हैं । हमें धर्मशिक्षित हिन्दू राष्ट्र चाहिए, जिसमें अन्याय, ईर्ष्या, लालच का स्थान न
हो । हमें क्या मिलेगा, ऐसा विचार न कर हमारी अगली पीढी को क्या मिलेगा, ऐसा विचार करना चाहिए । कुछ समय पूर्व तक संस्कृत के ज्ञानी अधिक थे; परंतु आज अंग्रेजी भाषा ने सभी भाषाओं पर वर्चस्व स्थापित किया है ।’’ ऐसा मार्गदर्शन अधिवक्ता पू. हरि शंकर जैनजी ने किया । यहां के ईशान म्यूजिक कॉलेज, सेक्टर १२ में अधिवेशन का आयोजन किया गया था ।
अहिंसा का अर्थ है, ‘हिंसा रहित समाज’- सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी
इस अधिवेशन में हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने बताया कि ‘‘जब हम समाज की दयनीय स्थिति के बारे में जानेंगे, तभी समाज में परिवर्तन आएगा । शांति स्थापित करने के लिए अशांति को हटाना होगा । अहिंसा का दूसरा अर्थ है, हिंसा रहित समाज । कोई हिंसा कर रहा है तो सरकार, पुलिस और प्रशासन को हिंसा करनेवाले पर कारवाई करने के लिए बाध्य करना भी अहिंसा है । पिछले कुछ दशकों से राजनीति के दुरुपयोग के कारण समाज में अविश्वास निर्माण हुआ है और आज का युवा हिन्दू अपने राष्ट्र व धर्म कर्तव्य के लिए आगे आने के लिए तैयार नहीं है । हिन्दू जब तक कर्म हिन्दू नहीं बनते, तब तक हम स्वयं को हिन्दू नहीं कह सकते । इसके लिए हमें धर्म और अधर्म समझना होगा और ये तभी होगा जब हमरा चित्त शुद्ध होगा ।
हिन्दुओं की शोभा यात्राओं पर आक्रमण हो रहे हैं । – श्री. विनोद सर्वोदय
श्री. विनोद सर्वोदयजी ने कहा ‘‘हिन्दुओं की शोभा यात्रा पर पथराव, गोहत्या, अपहरण यह सभी जिहाद ही है । पहले हिन्दुओं की बारात पर आक्रमण करते थे, आज हमारी शोभा यात्राओं पर आक्रमण कर रहे हैं । मूर्ति तोडते हैं, वेदों को जलाते हैं । इसे मानवता नहीं कहा जाता है ।’’