‘आवाजी’ अत्याचारों के समर्थक !

‘आवाजी’ अत्याचारों के समर्थक !


महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे द्वारा मस्जिदों पर लगे अनधिकृत भोंपू के संबंध में लिया आक्रामक चरण केवल महाराष्ट्र में ही नहीं, पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है । वर्षाें से हिन्दुओं ने जो ‘आवाजी’ अत्याचार सहन किए, उस सूत्र में राज ठाकरे ने हाथ डाला है । उन्होंने मस्जिदों पर लगे अनधिकृत भोंगे बंद करने के लिए दी हुई समय सीमा से सरकार और पुलिस की नींद हराम हो गई । उसकी प्रतीति महाराष्ट्र की गली-गली में रही मस्जिदों के सामने रखे गए कडे पुलिस बंदोबस्त द्वारा हुई । यह आंदोलन कुचल देने के लिए हमेशा की भांति पुलिस ने प्रयास किए । उन्होंने श्री. राज ठाकरे के विरुद्ध १ मई को संभाजीनगर में संपन्न सभा के प्रकरण में अपराध प्रविष्ट किया । उसके पीछे लगातार एक आंकडे के अनुसार पुलिस ने मनसे के पूरे ३ सहस्र कार्यकर्ताओं को नोटिस भेजी । इतना ही नहीं, ‘सी.आर.पी.एफ.’ की पूरी ८७ टुकडियां और ३० सहस्र से अधिक गृहरक्षक दल के सैनिक बंदोबस्त के लिए नियुक्त किए थे । पुलिस ने चेतावनी दी, ‘कोई भी कानून हाथ में न ले, अन्यथा कार्रवाई की जाएगी ।’ पुलिस एक ओर हिन्दुओं को ऐसी चेतावनी देती है; परंतु मस्जिदों पर लगे भोंपू निकालने का सर्वाेच्च न्यायालय का आदेश धुतकारकर धर्मांध लोग कौनसा कानून और सुव्यवस्था बनाए रखते हैं ? इस विषय में पुलिस के मुंह में दही क्यों जम जाता है ? सर्वाेच्च न्यायालय ने वर्ष २००५ में ही भोंपू के विषय में मार्गदर्शक सिद्धांत निश्चित किए हैं । मुंबई उच्च न्यायालय ने भी अनधिकृत भोंपू पर एवं ध्वनि की मर्यादाओं का पालन न करनेवालों पर कार्रवाई करने का स्पष्ट आदेश दिया है । न्यायालय के आदेश को कार्यान्वित करने का दायित्व राज्य सरकार और पुलिस पर है । ऐसे समय पर पुलिस ‘न्यायालय को कानून और सुव्यवस्था का प्रश्न निर्माण हो सकता है’, ऐसा अवास्तविक कारण देकर कार्रवाई करने से दूर भाग जाते हैैं, यह वास्तविकता है । अनधिकृत मस्जिद या दरगाह गिराने के संदर्भ में भी पुलिस की यही भूमिका रहती है; परंतु यही पुलिस कानून व सुव्यवस्था बनाए रखने हेतु हिन्दुओं के विरुद्ध सहस्रों, लाखों पुलिस रास्ते पर उतारते हैं ! आजाद मैदान दंगे के समय धर्मांधों ने पुलिस की क्या अवस्था की थी, यह बात पूरे देश ने देखी है । इसलिए पुलिसवाले धर्मांधों के विरुद्ध जाने को तैयार नहीं होते । उलटा मुसलमानों के लिए ‘इफ्तार’ पार्टियां देते हैं । पुलिस की ऐसी निष्क्रिय भूमिका के कारण ही महाराष्ट्र में भोंपुओं का प्रश्न अनेक वर्ष प्रलंबित है ।

‘हिन्दू विरोधी भोंपू’ भी बंद हों !

मस्जिदों पर लगे अनधिकृत भोंपुओं का अत्यधिक दशकों से विरोध हो रहा है । पहले हिन्दू हृदयसम्राट बाळासाहेब ठाकरे को छोड, एक भी नेता ने कभी भी इन कर्णकर्कश भोंपुओं के संदर्भ में कडी भूमिका ली हो, ऐसी प्रविष्टि इतिहास में नहीं है । तदुपरांत अब भोंपुओं के विषय में बाळासाहेब जैसी ही आक्रमक भूमिका उनके भतीजे श्री. राज ठाकरे ने ली है । इसका तो सभी को स्वागत करना चाहिए था । श्री. राज ठाकरे ने चेतावनी दी कि ‘यदि मस्जिदों पर लगे अनधिकृत भोंपुओं की आवाज बंद न हुई, तो मस्जिदों के सामने हनुमान चालीसा का पठ किया जाएगा’ । जैसी अपेक्षा थी, उसी प्रकार उसका विरोध हुआ । तथापि ठाकरे ने बार-बार कहा है, ‘भोंपुओं के सूत्र की ओर धार्मिक दृष्टि से देखना बंद करें ।’ वह सत्य भी है; क्योंकि इस्लाम अनुसार अजान सचेतन व्यक्ति द्वारा दी जाती है । अजान देनेवाले का वह भोंपू द्वारा देना, इस्लाम के विरुद्ध माना गया है । इसलिए कुछ इस्लामी राष्ट्रों में भी अजान के लिए आज भी भोंपुओं का प्रयोग नहीं किया जाता, यह बात ध्यान में लें । श्री. राज ठाकरे द्वारा भोंपू के विषय में प्रस्तुत की हुई वास्तविकता गंभीर है । उन्होंने कहा कि ‘‘भोंपू उतारने की चेतावनी देकर भी मुंबई के १३५ मस्जिदों द्वारा प्रातः ५ से पहले ही अर्थात सर्वाेच्च न्यायालय द्वारा निश्चित किए गए समय का उल्लंघन कर भोंपू द्वारा अजान दी, वह भी कडे पुलिस बंदोबस्त में ! ऐसी मस्जिदों पर सरकार क्या कार्रवाई करेगी ? श्री. ठाकरे ने प्रश्न पूछे हैं कि ‘‘मुसलमानों को जो कुछ प्रार्थना करनी है, वह उन्हें मस्जिद में अथवा घर में करनी चाहिए, उसके लिए भोंपू क्यों चाहिए ? भोंपुओं के माध्यम से आपको अपनी प्रार्थना किसे और किसलिए सुनानी हैं ? ‘भोंपुओं के कारण बीमार, छोटे बच्चे आदि को कष्ट होता है, ऐसे लोगों का विचार करना चाहिए । गंभीर बात ऐसी है कि राज्य की अनेक मस्जिदें अनधिकृत होते हुए भी उन पर लगे अनधिकृत भोंपुओं को पुलिस ने अधिकृत अनुमति दी, ऐसा उन्होंने बताया । ऐसे लोगों पर सरकार क्या कार्रवाई करनेवाली है ?, यह भी हिन्दुओं को ज्ञात होना चाहिए । हिन्दुओं के त्योहारों के समय ध्वनिप्रदूषण का स्मरण होनेवाले आधुनिकतावादी, नास्तिक आदि अब भोंपुओं द्वारा होनेवाले ध्वनिप्रदूषण के विषय में मुंह में दही जमाकर बैठ गए हैं । श्री. राज ठाकरे ने यह आंदोलन एक दिन का नहीं, अपितु इसे जारी रखने की गर्जना की है । इसलिए पुलिस के सामने प्रतिदिन का प्रश्न उठ रहा है । सर्वत्र के अनधिकृत भोंपू हटाना, यही इस समस्या पर रामबाण उपाय है; परंतु पुलिस इन भोंपुओं पर कदापि कार्रवाई नहीं करेंगे, उलटा पुलिस के हिन्दुओं के विरुद्ध कार्रवाई स्वरूप भोंपू नियमित बजते रहेंगे ! वास्तविक रूप से यह भोंपू भी बंद होने की आवश्यकता है !