बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में कुलपति द्वारा आयोजित इफ्तार पार्टी के कारण छात्रों में प्रचंड आक्रोश !

वाराणसी (उत्तर प्रदेश) – बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में इफ्तार पार्टी का आयोजन किया गया । इसी पृष्ठभूमि में, २७  अप्रैल को विश्वविद्यालय के महिला महाविद्यालय में इफ्तार पार्टी का विरोध किया गया । इफ्तार पार्टी के आयोजक कुलपति प्रा. सुधीर जैन के विरोध में महाविद्यालय परिसर में छात्रों ने मोर्चा निकाला और उनके पुतले को जलाया । इफ्तार पार्टी में मुसलमान शिक्षक और महिला महाविद्यालय की छात्राएं सहभागी हुईं । इस समय, डॉ. मोहम्मद अफजल हुसैन के नेतृत्व में रोजा और रमजान पर भी चर्चा हुई ।

१. इस संबंध में विश्वविद्यालय के छात्रों ने कहा, “पिछले कई वर्षों से यहां इफ्तार का आयोजन नहीं किया गया है । अचानक कुलपति ने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय को ‘जामिया मिलिया उस्मानिया विश्वविद्यालय’ (मुसलमान विश्वविद्यालय) में परिवर्तित कर दिया है । यह मुसलमानों के तुष्टीकरण का एक प्रयास है ।”

२. इफ्तार भोज के उपरांत, विश्वविद्यालय परिसर की दीवारों पर हिन्दू विरोधी नारे लिखे गए हैं । ‘कश्मीर तो बस झांकी है, पूरा कश्मीर बाकी है’, ‘ब्राह्मणों तुम्हारी कब्र खुदेगी’, बीएच‌यू   (बनारस हिंदू विश्वविद्यालय) की भूमि पर ऐसे नारे लिखे हैं । (विश्वविद्यालय में इफ्तार का आयोजन कर कुलपति ने क्या प्राप्त किया ? धर्मांध कट्टरपंथियों का हिन्दू द्वेष जैसा था, वैसा ही है, उसमें कोई बदलाव नहीं आया ! इससे यही विदित होता है । – संपादक )  

 

सम्पादकीय भूमिका

  • अलीगढ मुसलमान विश्वविद्यालय की स्थापना मुसलमान छात्रों में धर्मांध कट्टरता के उद्देश्य से की गई थी । जबकि, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना भावी पीढी, देशभक्त और सुसंस्कृत हो इसके के लिए की गई थी । बनारस विश्वविद्यालय में ‘हिन्दू’ शब्द ही उसकी वास्तविक पहचान है । यदि कुलपति स्वयं इसे मिटाने का प्रयास कर रहे हैं, तो यह अति कष्टप्रद है !

 

  • भारतीय विश्वविद्यालय, जो ‘हिन्दुओं’ के नाम से जाना जाता है, वहां के कुलपति धर्मनिरपेक्षता की आड में इफ्तार का आयोजन करते हैं ! किन्तु, क्या मुसलमानों के शिक्षण संस्थानों या महाविद्यालयों में आरती या पूजा का आयोजन किया जाता है ? यह निश्चित है, कि हिन्दुओं में आत्मघाती धर्मनिरपेक्षता एक दिन उन्हें विनाश की खाई में धकेलेगी !