यह तथ्य न्यायालय को क्यों बताना पड रहा है ? इसे अति महत्त्वपूर्ण व्यक्ति एवं मंदिर प्रशासन स्वयं क्यों नहीं समझते ? – संपादक
चेन्नई (तमिलनाडु) – “यदि मंदिरों में दर्शन करने वाले अति महत्त्वपूर्ण व्यक्ति, भक्तों की परेशानी का कारण हैं, तो ऐसे लोग पाप कर रहे हैं । भगवान उन्हें क्षमा नहीं करेंगे ।” मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एस.एम. सुब्रमण्यम ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए ऐसा कहा, जब तमिलनाडु के तूतीकोरिन जिले के तिरुचेंदूर स्थित प्रसिद्ध अरुलमिगु सुब्रमनिया स्वामी मंदिर से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई हुई ।
मंदिरों में VIP कल्चर पर सवाल, मद्रास हाईकोर्ट ने कहा- यह भक्तों को सबसे ज्यादा निराश करने वाला#VIPCulture | #MadrasHighCourt | #Templeshttps://t.co/6HeOQsStWH
— Asianetnews Hindi (@AsianetNewsHN) March 24, 2022
मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा दी गई सूचनाएं !
१. वी.आई.पी. संस्कृति के कारण, सामान्य लोगों को विशेषत: मंदिरों में कष्टों का सामना करना पडता है । वी.आई.पी. प्रवेश केवल संबंधित व्यक्तियों या उनके परिवारों के लिए उपलब्ध होना चाहिए, अन्य संबंधियों को नहीं ।
२. विभिन्न सरकारी विभागों में, सबसे प्रतिष्ठित व्यक्तियों की श्रेणी में आने वाले अधिकारियों, उनके साथ आने वाले लोगों के साथ-साथ, अन्य विशेष भक्तों तथा अर्पण दाताओं को अलग कतारों में दर्शन की सुविधा नहीं दी जानी चाहिए ।
३. कुछ लोगों को विशेष दर्शन सुविधाएं दी जानी चाहिए, इसमें कोई संशय नहीं । किन्तु, विशेष पद पर कार्यरत लोगों को ही यह सुविधा मिलनी चाहिए । अधिकांश विकसित देशों में, केवल उच्च पदस्थ व्यक्तियों को ही इस प्रकार की सुविधाएं प्रदान की जाती हैं । इन लोगों को संविधान द्वारा सम्मानित घोषित किया होता है । ऐसी सुविधा, लोगों के सामान्य अधिकारों में बाधक नहीं होनी चाहिए ।
४. मंदिरों जैसे स्थानों पर “महनीय व्यक्ति दर्शन” की सुविधा से भक्त त्रस्त हैं और वे व्यवस्था की आलोचना करते हैं । मंदिर प्रशासन को “महनीय व्यक्ति दर्शन” की व्यवस्था इस प्रकार से करनी चाहिए, कि इससे सामान्य भक्तों को कोई असुविधा न हो ।
५. तमिलनाडु सरकार ने “महनीय व्यक्तियों” की सूची तैयार की है । “महनीय व्यक्तियों” के साथ, सुरक्षा रक्षक और कर्मचारी भी होते हैं । ऐसे समय में, महनीय व्यक्तियों के साथ आने वालों को विशेष दर्शन की सुविधा नहीं दी जानी चाहिए । कर्मचारियों को एक सामान्य कतार में या शुल्क का भुगतान करके दर्शन करने के लिए कहा जाना चाहिए ।
६. भक्त अपनी धार्मिक आस्थाओं के कारण भगवान से प्रार्थना करते हैं । ऐसे समय में उनके बीच कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए । यदि महनीय व्यक्ति दर्शन के लिए आते हैं, तो उन्हें सामान्य भक्त के रूप में आना चाहिए ।