बांग्लादेश के चिकित्सकीय महाविद्यालय में सभी धर्माें की छात्राओं को हिजाब पहनना अनिवार्य !

यह फतवा तो बांग्लादेश के सर्वाेच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन होने का हिन्दू संगठनों का दावा

  • भारत सरकार को इस प्रकरण में हस्तक्षेप कर बांग्लादेश को इस निर्णय को बदलने पर बाध्य बनाना चाहिए, यही हिन्दुओं को लगता है ! – संपादक
  • कर्नाटक के हिजाबविरोधी आंदोलन से भारत में अल्पसंख्यकों के अधिकारों का हनन होने का आक्रोश करनेवाले इस्लामी देश बांग्लादेश के अल्पसंख्यक हिन्दुओं के धार्मिक अधिकारों के हो रहे हनन के विषय में एक शब्द भी नहीं बोलते, इसे ध्यान में लीजिए ! – संपादक

     ढाका (बांग्लादेश) – बांग्लादेश के जेस्सोर के ‘अद्-दीन सकीना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल’ ने अब वहां शिक्षा ले रही सभी धर्माें की छात्राओं के लिए हिजाब पहनना अनिवार्य किया है । उसके कारण अब गैरमुसलमान छात्राओं को भी हिजाब पहनना पडेगा । हिजाब न पहनने पर उन्हें महाविद्यालय में प्रवेश नहीं दिया जाएगा । ‘अकीज ग्रूप्स लिमिटेड’ द्वारा संचालित सभी महाविद्यालयों में भी हिजाब अनिवार्य बना दिया गया है । विशेष बात यह है कि ४ अक्टूबर २०१० में बांग्लादेश के सर्वाेच्च न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश में ‘किसी भी व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरुद्ध धार्मिक वेशभूषा धारण करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता’, ऐसा कहा गया है ।

हिन्दू संगठनों का विरोध

     बांग्लादेश के हिन्दू संगठनों ने इसका विरोध किया है । हिन्दू संगठनों ने इस प्रकरण में प्रधानमंत्री शेख हसीना से हस्तक्षेप करने की मांग की है । बांग्लादेश का हिन्दू संगठन ‘बांग्लादेश जातीय हिन्दू महाजोट’ ने कहा है कि देश के किसी भी शिक्षा संस्थान में गैरमुसलमानों को इस्लामी वेशभूषा धारण करने हेतु बाध्य नहीं किया जाना चाहिए । बांग्लादेश के अल्पसंख्यक छात्रों और छात्राओं का उत्पीडन करने में ‘अद्-दीन सकीना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल’ के शेख अफिलुद्दीन का हाथ है ।

     ‘बांग्लादेश हिन्दू नेशनल ग्रैंड एलायंस’ के प्रवक्ता पलाश कांति डे ने बताया कि यह निर्णय बांग्लादेश न्यायपालिका के विरुद्ध है । शिक्षा संस्थान छात्र-छात्राओं को इस्लामी वेशभूषा धारण करने हेतु बाध्य नहीं कर सकते । अब महाविद्यालय छात्रों को प्रवेश देते समय उनसे इस्लामी वेशभूषा धारण करने के बारे में लिखित अनुमति ले रहे हैं व इसकी अनुमति न देनेवालों को प्रवेश नहीं दिया जा रहा । महाविद्यालय के संस्थापक के पिता शेख मोहिउद्दीन १९७१ के बांग्लादेश की स्वतंत्रता के विरोधी थे । तब वे ‘जमात-ए-इस्लामी’ के छात्र संगठन ‘छात्र शिविर’ के सदस्य थे । उनके परिजनों पर १९७१ में हिन्दू शरणार्थियों से लूटमार करने का भी आरोप था ।

यह निर्णय पुराना होने का प्रशासन का दावा !

     महाविद्यालय के प्रशासनिक अधिकारी सुब्रता बासक ने यह दावा किया है कि वर्ष २०११ में इस महाविद्यालय की स्थापना हुई, तभी से यह नियम लागू है । उन्हें इस संदर्भ में सर्वाेच्च न्यायालय के आदेश के विषय में पूछने पर उन्होंने कोई उत्तर नहीं दिया ।

धर्मांधों ने इससे पूर्व ही दी है हिजाब के बारे में धमकी !

     बांग्लादेश के धर्मांधों ने इससे पूर्व ही वहां के हिन्दुओं को यह धमकी दी है कि यदि भारत के शिक्षा संस्थानों में मुसलमान छात्राओं को हिजाब पहनने की अनुमति नहीं दी गई, तो उसके गंभीर परिणाम भुगतने पडेंगे । (२.३.२०२२)