१. पाकिस्तान द्वारा भेजे गए २४ बमों में से एक दिल्ली के बाजार में विस्फोटकों के साथ मिला, आतंकियों द्वारा देश में विध्वंस का षड्यंत्र
‘१५ जनवरी २०२२ को गणतंत्र दिवस की पृष्ठभूमि पर समाचारपत्र में एक समाचार प्रकाशित हुआ था । उसके अनुसार ‘राजधानी देहली के गाजीपुर में फूलों की मंडी में ‘आईडी’ विस्फोटकों से भरा हुआ एक थैली मिला ।’’ यह जानकारी मिलने के पश्चात विशेष पुलिस दल, आतंकवाद विरोधी दल एवं बम निरोधक दल के साथ अन्य सुरक्षा तंत्र (एजेंसियां) घटनास्थल पर पहुंच गईं । विस्फोटक को विफल करने का काम युद्ध स्तर पर किया गया । पुलिस यह पता लगा रही है कि ये विस्फोटक गाजीपुर के बाजार में कैसे आए ? अर्थात स्वतंत्रता दिवस एवं गणतंत्र दिवस के समय काल में यह सदैव होता है । इन विस्फोटकों के विषय में १४ जनवरी २०२२ को सवेरे पुलिस को दूरभाष पर सूचना मिली थी । तदुपरांत सुरक्षा तंत्र ने शोध अभियान आरंभ किया । यदि दूरभाष न आता, तो ये विस्फोटक फट जाते जिससे भारी मात्रा में प्राणहानि एवं वित्तहानि हुई होती । १८ जनवरी २०२२ को देहली पुलिस ने बताया, यह बम पाकिस्तान से भारत में भेजे गए २४ बमों में से एक था । ये बम भारत में विध्वंस करने के लिए भेजे गए थे । इससे पूर्व पंजाब एवं जम्मू-कश्मीर में भी विस्फोटक मिले थे । विस्फोटकों से संबंधित उपकरण जप्त कर लिए गए ।
२. गाजीपुर में विस्फोटक रखने के पीछे अपराधी टोलियां एवं ‘स्लीपर सेल’ का हाथ होने का संशय
एक समाचार के अनुसार अन्वेषण यंत्रणाओं ने ऐसा अनुमान लगाया है कि ‘विस्फोटक एवं अन्य कुछ उपकरण भारत में तस्करी के माध्यम से आए होंगे’, ऐसा अनुमान अन्वेषण तंत्र ने लगाया । गाजीपुर में ३ किलो आरडीएक्स, न्यूक्लियर चार्ज एवं सेकंडरी चार्ज के रूप में अमोनियम नायट्रेट था । पुलिस एवं अन्वेषण यंत्रणा ने गणतंत्र दिवस की पृष्ठभूमि पर देहली अथवा देश के अन्य भागों में भी छानबीन की । गाजीपुर में विस्फोटकों में टायमर एवं ‘एबीसीडी स्विच’ (आतंकवादियों द्वारा बम के लिए उपयोग में लाया जानेवाला एक उपकरण) लगाया गया । विशेष बात यह है कि इस ‘एबीसीडी स्विच’ का निर्माता पाकिस्तान है । कश्मीर एवं अफगानिस्तान में आतंकवादी बमविस्फोटों के लिए प्रमुख रूप से इस ‘एबीसीडी स्विच’ का उपयोग करते हैं । ‘एबीसीडी स्विच’ एवं ‘टाइमर’ का उपयोग कर, विस्फोट करवाने का समय कुछ मिनट से लेकर ६ माह तक निश्चित किया जाता है ।
१४ जनवरी को गाजीपुर के साथ ही श्रीनगर एवं अटारी में भी विस्फोटक मिले । देहली में पाए गए विस्फोटक एवं गत कुछ समय से पंजाब में पाए जा रहे विस्फोटकों में समानता पाई गई । इसलिए ये विस्फोटक कहीं पंजाबमार्ग से ही तो नहीं आए ? इसका भी अन्वेषण तंत्र कर रहा है । वर्ष २०२१ में केवल पंजाब में ऐसे विस्फोटक मिले थे । इसके साथ ही कश्मीर में भी ड्रोन के माध्यम से शस्त्रास्त्र एवं अमली पदार्थ भेजे जा रहे हैं, ऐसा अनेक बार प्रमाणित हुआ है । गाजीपुर में विस्फोटक रखने के पीछे उत्तरप्रदेश की अपराधी टोलियां एवं ‘स्लीपर सेल’ के हाथ होने का संशय है ।
३. विदेश में भी भारतीय वंश के लोगों की हत्या के पीछे पाकिस्तान का हाथ !
जनवरी २०२२ में आतंकवादियों ने अबू धाबी के विमानतल के समीप ३ विस्फोट किए और तेल के ३ टैंकरों पर बम गिराया । इसमें भारतीय वंश के दो व्यक्तियों की मृत्यु हो गई । गत अनेक वर्षाें से राष्ट्रीय त्योहारों के समय पाकिस्तान से निर्धारित विस्फोटक भेजे जाते हैं और विस्फोट करने का प्रयत्न भी किया जाता है । बंदी बनाए गए आतंकवादियों ने भी यह माना है कि उन्हें पाकिस्तान में प्रशिक्षण दिया गया है ।
४. भारत में चुनावों के काल में खालिस्तानियों द्वारा आतंकवादी गतिविधियां होने की संभावना
२६ जनवरी २०२१ में कृषक आंदोलन के निमित्त से खालिस्तानी समर्थकों ने देहली में बहुत कोलाहल मचाया था । तदुपरांत धर्मांधों ने देहली में दंगे किए । हाल ही में एक समाचार के अनुसार पंजाब में होनेवाले विधानसभा चुनावों के काल में प्राणघातक गतिविधियां करने का षड्यंत्र पाक की गुप्तचर संस्था ‘आइएसआइ’ ने रचा है । भारत में चुनावों के काल में खालिस्तानियों द्वारा आतंकवादी कार्यवाही होने की संभावना है ।
५. आतंकवादियों का पोषण करनेवाला भारत !
प्रसार माध्यमों के अनुसार, पाकिस्तानी एवं खलिस्तानी आतंकवादी प्रत्येक बार किसी न किसी निमित्त से भारत में अशांति निर्माण करने का प्रयत्न करते हैं । इससे भारतीय सुरक्षा तंत्र बब्बर खालसा, इंटरनेशनल खालिस्तानी कमांडो फोर्स, यूथ फेडरेशन जैसी अनेक आतंकवादी संगठनों की गतिविधियों पर कडी निगरानी रखे है । उत्तरप्रदेश में चुनाव लडना इतना सरल नहीं होता ।
प्रत्येक आतंकवादी कृत्य पाकिस्तान के बताने पर ही होता है । तदुपरांत आतंकवादियों को पकडकर उनपर छुटपुट कार्यवाही की जाती है । उनके विरोध में अभियोग प्रविष्ट किए जाते हैं और उनका बरसों कारागृह में ही पोषण किया जाता है । इसके साथ ही न्यायालयीन लडाई के लिए करदाताओं के पैसों से ही उन्हें बडे-बडे अधिवक्ता दिए जाते हैं । अनेक दशकों के पश्चात उन्हें फांसी दी जाती है, यह सब हम देखते ही आ रहे हैं ।
६. भारत को पाक के विरुद्ध कठोर से कठोर कार्यवाही कर, इजरायल समान नीति का अवलंबन करना चाहिए !
प्रत्येक राष्ट्रप्रेमी एवं धर्मप्रेमी नागरिक के मन में विचार है कि ‘अण्वस्त्रों का उपयोग कर पाकिस्तान को विश्व के मानचित्र से हटाना ही चाहिए’, इससे सदा के लिए भारत का सिरदर्द दूर हो जाएगा । विभाजन के समय धर्मांधों को स्वतंत्र राष्ट्र दिया, तब भी उनका हिन्दूद्वेष नहीं रुका । एक समय पर जो उनकी मातृभूमि थी, न उसके प्रति उनका द्वेष समाप्त हुआ है और न ही हिन्दुओं के प्रति ! इसलिए भारत को पाक के विरोध में कठोर से कठोर कार्यवाही कर, इजरायल समान नीति का अवलंब करना चाहिए ।
७. एक-एक आतंकवादी को मारने की अपेक्षा उन्हें निर्माण करनेवाले पाकिस्तान को ही सदा के लिए नष्ट कर दें !
भारत के विरुद्ध प्रचार करने के प्रकरण में पाक द्वारा संचालित की ३५ ‘यू ट्यूब’ वाहिनियां, २ इन्स्टाग्राम खाते (अकाउंट), २ ट्विटर खाते, २ फेसबुक खाते एवं २ जालस्थल प्रतिबंधित किए गए हैं । ऐसा देखने में आया है कि यह बंदी लगाने से पूर्व ‘उस पर समाचार एवं ऑडियो के क्लिप देखनेवालों की संख्या १३० करोड से भी अधिक है ।’ जानकारी एवं प्रसारण खाता के सचिव विक्रम बोले, ‘‘ये सर्व खाते एवं वाहिनियों द्वारा भारतीय सेनादल एवं जम्मू-कश्मीर में कथित अत्याचारों के विषय में दुष्प्रचार किया जा रहा था, इसके साथ ही अलगाववादी विचारधारा को बढावा देकर कानून-सुव्यवस्था को भी संकट में डालने का काम किया जा रहा था ।’’
कुछ दिन पूर्व समाचार आया था कि पाकिस्तान ने भारत के साथ १०० वर्ष युद्ध न करने की नीति अपनाई है । देखा जाए तो आज तक हुए सभी युद्धों में पाक ने भारत से मुंह की खाई है । वह भारत से आमने-सामने युद्ध नहीं कर सकता । ऐसा होते हुए भी भारत से आतंकवादी कृत्य एवं दंगों के माध्यम से पाकिस्तान सतत अघोषित युद्ध करता ही रहेगा । इसलिए जगत के इतिहास से, इसके साथ ही मानचित्र से पाकिस्तान का नाम ही पोछ डालना चाहिए । इसी में भारत का सौख्य है । वर्तमान में राष्ट्रप्रेमी सरकार यही निश्चित रूप से कर सकती है । इस विषय में अनुवर्ती प्रयास लेने का काम हम नागरिकों को अवश्य करना होगा ।
पाकिस्तान ने दाऊद इब्राहिम, धर्मांध एवं राष्ट्रविरोधी लोगों से हाथ मिलाकर भारत में वर्ष १९९३ एवं उसके उपरांत (अब तक) अनेक स्थानों पर बमविस्फोट किए । उसमें सहस्रों लोगों को अपने प्राण गंवाने पडे । सहस्रों नागरिक घायल हुए । इन आक्रमणों का व्रण (घाव) उन घायलों को आज भी उस भयावह स्थिति का स्मरण करवाता है । भारतीय न्यायव्यवस्था प्राणघाती आतंकवादी आक्रमण करनेवालों को भी ५ से २० वर्ष जीवनदान देती है । पाकिस्तान द्वारा पोषित एक आतंकवादी ने मुद्रित संदेश के माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय के एक अधिवक्ता को धमकी दी थी । इसलिए एक-एक कर, मारने की अपेक्षा अब संपूर्ण पाकिस्तान को ही समाप्त कर दें, तो गत ७५ वर्षाें से हो रहा भारत का सिरदर्द पूर्णत: समाप्त हो जाएगा ।’
।। श्रीकृष्णार्पणमस्तु ।।
– (पू.) अधिवक्ता सुरेश कुलकर्णी, संस्थापक सदस्य, हिन्दू विधिज्ञ परिषद एवं अधिवक्ता, मुंबई उच्च न्यायालय. (२.२.२०२२)