रामनाथी (गोवा) – ‘जयपुर नेशनल युनिवर्सिटी’ के कुलगुरु डॉ. रोशन लाल रैना ने १२ दिसंबर के दिन रामनाथी, गोवा स्थित सनातन आश्रम एवं आध्यात्मिक शोधकेंद्र की दर्शन भेंट की । उन्होंने यहां आरंभ हुए आध्यात्मिक शोध एवं राष्ट्र और धर्म प्रसार के विषयों में आस्था से जानकारी ली । सनातन के साधक श्री. अमोल हंबर्डे ने उन्हें आश्रम में चल रहे इस कार्य के विषय में विस्तार से अवगत कराया ।
महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के अंतर्गत हो रहे आध्यात्मिक शोधकार्य के विषय में श्री. शॉन क्लार्क ने डॉ. रोशन लाल रैना को जानकारी दी । विश्वविद्यालय के अंतर्गत संगीत एवं नृत्य से संबंधित कार्य और शोधकार्याें के विषय में ६३ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर की कु. तेजल पात्रीकर ने उन्हें अवगत कराया और कला एवं अक्षरयोग के अंतर्गत चल रहे व्यापक कार्याें के विषय में श्रीमती जान्हवी शिंदे ने डॉ. रैना को जानकारी दी । आयुर्वेद से संबंधित कार्य के विषय में वैद्या (कु.) अपर्णा महांगडे एवं वैद्या (कु.) शर्वरी बाकरे ने उन्हें जानकारी दी । इस समय सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस एवं श्री. महावीर श्रीश्रीमाळ उपस्थित थे ।
डॉ. रैना ने कहा, ‘‘सनातन आश्रम की भेंट अविस्मरणीय है । शिक्षा एवं शोधकार्याें के विषय में आपका दृष्टिकोण एवं कार्य, भारत एवं विश्व को अधिक अच्छा बनाएंगे । इस माध्यम से मानव आनंदी जीवनयापन कर सकेगा ।’’
डॉ. रोशन लाल रैना का परिचयडॉ. रोशन लाल रैना ‘जयपुर नेशनल युनिवर्सिटी’ के कुलगुरु के तौर पर कार्यरत हैं । इससे पूर्व आप भारत के नामांकित ‘आइआइएम (इंडियन इन्स्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट), लखनऊ’ में ‘व्यवस्थापकीय संवाद’ के विषयों में प्राध्यापक के रूप में कार्यरत थे । इस शैक्षिक संस्था की वृद्धि करने में डॉ. रैना का बहुमूल्य योगदान है । आप देहली स्थित ‘लाल बहादुर शास्त्री इन्स्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट’ के संचालक भी रह चुके हैं । इसके अतिरिक्त अमेरिका, कैनडा, ब्रिटेन, फ्रान्स, जर्मनी आदि देशों के प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों में भी आपने व्यवस्थापन क्षेत्र में विशेष कार्य किया है । डॉ. रैना ने कृषि मंत्रालय, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक शोधकार्य विभाग और वैज्ञानिक एवं औद्योगिक शोधकार्य परिषद, इस तरह से भारत सरकार के अंतर्गत विद्यमान विविध विभागों के लिए महत्त्वपूर्ण कार्य किए हैं । आपने अब तक ३ पुस्तकों का लेखन किया है और १० पुस्तकों का संपादन किया है । आपने ११८ से अधिक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय परिषदों में शोधनिबंध प्रस्तुत किए हैं । |