मुसलमान बहुल लक्षद्वीप की पाठशालाओं में अब शुक्रवार के स्थान पर रविवार को अवकाश रहेगा ! – प्रशासन का निर्णय

मुसलमानों का विरोध !

  • यदि लक्षद्वीप में मुसलमानों की संख्या सबसे अधिक होने के कारण, उनके धार्मिक वार के अनुसार अवकाश दिया जा रहा था तथा उन्हें इसे बनाए रखने की अपेक्षा है, तो चूंकि संपूर्ण भारत हिन्दू बहुल है, हिन्दुओं को अब उनके धार्मिक वार, अर्थात् गुरुवार को सार्वजनिक अवकाश की मांग करनी चाहिए एवं केंद्र सरकार को इसे स्वीकार करना चाहिए ! – संपादक

  • विगत ७४ वर्षों से भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश होते हुए भी, लक्षद्वीप में मुसलमानों के धर्म के अनुसार शुक्रवार को अवकाश क्यों दिया जा रहा था ; यह अब तक की सर्वदलीय सरकारों को बताना चाहिए ! – संपादक

लक्षद्वीप – मुसलमान बहुल लक्षद्वीप में, सरकार ने पाठशालाओं को शुक्रवार के स्थान पर अन्य राज्यों के समान रविवार को साप्ताहिक अवकाश देने का निर्णय किया है । लक्षद्वीप शिक्षा विभाग ने नई दिनदर्शिका प्रकाशित की है । इसमें, पाठशालाओं के लिए, शुक्रवार के दिन काम तथा रविवार के दिन अवकाश की घोषणा की है । इस नए आदेश के कारण, लक्षद्वीप में धार्मिक कारणों से साप्ताहिक अवकाश शुक्रवार के दिन रखने का विशेषाधिकार निरस्त किया है ; परंतु, इस कारण यहां विरोध होने लगा है ।

१. लक्षद्वीप जनपद पंचायत के उपाध्यक्ष, सह-परामर्शदाता पी पी अब्बास ने प्रशासन के परामर्शदाता प्रफुल खोडा पटेल को पत्र लिखकर शिक्षा विभाग के आदेश पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है । उन्होंने कहा है कि, “लक्षद्वीप में अधिकांश जनसंख्या मुसलमान है तथा उनकी श्रद्धा के अनुसार शुक्रवार को अवकाश होता है ; क्योंकि, शुक्रवार को नमाज पठन एक धार्मिक प्रथा मानी जाती है ।” उन्होंने प्रशासन से इस विषय पर चर्चा के लिए निर्वाचित जनप्रतिनिधियों एवं अन्य संबंधितों के साथ बैठक करने का अनुरोध किया है ।

२. लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैसल ने कहा है कि, “जब से छात्रों को शिक्षित करने के लिए, ६ दशक पूर्व, पाठशाला खोली गई थी, तब से शुक्रवार को साप्ताहिक अवकाश था । जबकि, शनिवार को अर्ध दिन का काम तथा अर्ध दिन का अवकाश होता था । अवकाश बदलने का निर्णय अब बिना किसी पाठशाला, जनपद पंचायत अथवा स्थानीय सांसद का परामर्श लिए किया गया है । यह निर्णय लोगों के अधिकार में नहीं है । यह प्रशासन का एकपक्षीय निर्णय है । जब भी स्थानीय व्यवस्था में कोई परिवर्तन किया जाता है, तब उसकी चर्चा लोगों से करनी चाहिए ।” (मूल रूप से, शुक्रवार के अवकाश का निर्णय अनुचित था । यदि अभी उसमें सुधार किया जा रहा है तथा इसका विरोध किया जा रहा है, तो विरोधियों पर कठोर कार्यवाही की जानी चाहिए ! – संपादक)