परंतु, धर्मांतरण के पश्चात, जाति के अनुसार आरक्षण देना न्यायालय ने अस्वीकार किया !
चेन्नई (तमिलनाडु) – एक धर्म से दूसरे धर्म में धर्मांतरण के पश्चात भी एक व्यक्ति की जाति वही रहती है, ऐसा निर्णय मद्रास उच्च न्यायालय ने आरक्षण से संबंधित एक प्रकरण की सुनवाई के समय दिया ; परंतु, उसी समय याचिका कर्ताओं को आरक्षण के लाभ देने की मांग अस्वीकार कर दी ।
Dalit man becomes Christian and marries a Dalit girl to claim ‘inter-caste marriage certificate’, Madras HC dismisses plea: Read whyhttps://t.co/jSySYMAGD1
— OpIndia.com (@OpIndia_com) November 26, 2021
१. इस प्रकरण में, एक दलित व्यक्ति ने धर्म परिवर्तन कर ईसाई धर्म अपना लिया था । इस व्यक्ति का विवाह दलित समुदाय की एक युवती से हुआ था ; परंतु, इस युवती ने धर्म परिवर्तन नहीं किया था । ‘मेरा विवाह अंतरजातीय है,’ ऐसा उस व्यक्ति ने कहा । ‘मुझे सरकारी नौकरियों में जाति के आधार पर आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए’, ऐसी मांग उसने न्यायालय में याचिका के माध्यम से की ।
२. इस पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि, किसी दलित व्यक्ति द्वारा धर्म परिवर्तन करने पर उसे कानून के अनुसार आरक्षण के लिए ‘पिछडा वर्ग’ का माना जाता है ; परंतु, इसे ‘अनुसूचित जाति’ में नहीं गिना जाता है ।
३. उच्च न्यायालय में याचिका प्रविष्ट करने वाला व्यक्ति आदि-द्रविड समुदाय से संबंधित था । यह समाज ‘अनुसूचित जातियों’ में सम्मिलित है ; परंतु, इस व्यक्ति ने धर्मांतरण कर ईसाई पंथ अपनाया । परिणामस्वरूप, उन्हें ‘पिछडा वर्ग’ का दर्जा दिया गया ।