आधे-पके चावल से कर्क रोग (कैन्सर) होने की संभावना  ! – शोध का निष्कर्ष

  • चावल में ‘आर्सेनिक’, यह विषैला घटक हो सकता है !

  • आधे-पके चावल से हो सकती है उल्टी, पेट दर्द एवं दस्त  !

प्रतिकात्मक छायाचित्र

मुंबई – एक शोध से ये निष्कर्ष सामने आया है, कि पकाते समय कच्चे रहे चावल खाने से कर्क रोग (कैंसर) का संकट हो सकता है ।

१. इंग्लैंड में क्वीन्स विश्वविद्यालय के एक अध्ययन के अनुसार, मिट्टी में स्थित औद्योगिक विषैले घटक एवं कीटनाशकों में विद्यमान रसायन, चावल में होने की संभावना अनेक गुना बढ गई है । ऐसे रसायनों से दूषित चावल खाने से, ‘आर्सेनिक’ इस विषैले घटक से बाधा हो सकती है । इससे कर्क रोग हो सकता है ।

२. कैलिफोर्निया में चावल पर किए गए एक अध्ययन में कुछ महिलाओं का निरीक्षण किया गया । यह अध्ययन, महिलाओं को होनेवाला कर्क रोग, स्तन कैंसर एवं इससे जुडे संकटों के संबंध में था । अध्ययन में, ९ सहस्र ४०० महिलाओं में स्तन एवं फेफडों का कैंसर पाया गया । इसे चावल में स्थित ‘आर्सेनिक’ घटक सहायक सिद्ध हुआ है ।

३. शोधकर्ताओं का कहना है, कि ‘आर्सेनिक’ खनिजों में पाया जाने वाला एक रसायन है । इस घटक का उपयोग कीटनाशकों में किया जाता है । साथ ही, अनेक देशों में भूजल में आर्सेनिक बडी मात्रा में होता है । इसके कारण, ये घटक भोजन अथवा पानी के माध्यम से हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं, जिसके कारण उल्टी, पेट दर्द, दस्त, कैंसर जैसे रोग होते हैं । वर्तमान में, संपूर्ण संसार के अनेक क्षेत्रों से उपलब्ध चावल में आर्सेनिक की मात्रा पाई जाती है । चावल ठीक से पकाकर न खाने की स्थिति में, ऐसे आधे-पके चावल में भी यह घटक रह जाते हैं एवं स्वास्थ्य के लिए संकट निर्माण करते हैं ।

चावल पकाते समय यह सावधानी लें !

चावल में पाया जाने वाला ‘आर्सेनिक’, चावल के माध्यम से पेट में न जाएं, इसलिए, खाना पकाने से पूर्व चावल को केवल ३ बार पानी में धोना पर्याप्त नहीं है । अपितु, चावल को पानी में भिगोना भी महत्वपूर्ण है । चावल में स्थित आर्सेनिक की पूरी निकासी होने के लिए, यदि चावल प्रातः काल पकाना है, तो चावल पूर्व की रात्रि में भिगोना आवश्यक है ।

क्वीन्स विश्वविद्यालय के अध्ययन में पाया गया है, कि रात्रि में चावल भिगो कर प्रातः पकाने से, चावल के ‘आर्सेनिक’ घटक की मात्रा ८० प्रतिशत तक न्यून हो जाती है । इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए उन्होंने कुछ प्रयोग भी किए हैं । उसमें से एक प्रयोग में, २ भाग पानी के साथ १ भाग चावल पकाया गया । दूसरी पद्धति में, ५ भाग पानी तथा १ भाग चावल लिए गए । चावल पकाते समय जब उसमें से अतिरिक्त पानी निकाला गया, तब पाया गया, कि चावल में आर्सेनिक की मात्रा आधी शेष रह गई थी ।

भोजन के लिए चावल शीघ्र पकाने की आवश्यकता होने की स्थिति में, न्यूनतम ३ से ५ घंटे के लिए चावल भिगोने ही चाहिए । चावल को इस प्रकार से धोकर भिगोने से, चावल से आर्सेनिक जैसे विषैले घटक निकल जाते हैं । ऐसे चावल खाने के लिए सुरक्षित होते हैं ।