रामपुर (वाराणसी) में शव दफनाने के लिए ‘नट’ समुदाय के लोगों के सामने रखी गई इस्लाम को स्वीकार करने की शर्त !

ऐसा होने के लिए, क्या वाराणसी भारत में है अथवा पाकिस्तान में ? उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार को इस घटना की जांच कर दोषियों पर कठोर कार्यवाही करनी चाहिए, यह हिन्दुओं की मांग है । – संपादक

‘नट’ समुदायने पुलिस थाने में शिकायत प्रविष्ट की

वाराणसी (उत्तर प्रदेश) – यहां के रामपुर में, शवों को दफनाने हेतु नट समुदाय के लोगों के सामने इस्लाम स्वीकारने की शर्त रखी जाने की घटना हुई है । रामपुर स्थित नट समुदाय की सुशीला देवी की मृत्यु हुई थी । इस समुदाय में, शव को दफनाने की प्रथा है । उनका शव दफनाने हेतु उसके पति सचाऊ नट और अन्य संबंधी भरावर बस्ती पहुंचे ; परंतु, शव को दफनाने से पहले उनके सामने इस्लाम स्वीकार करने की शर्त रखी गई । इस घटना की जानकारी मिलते ही हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन के कार्यकर्ता घटनास्थल पहुंचे, साथ ही पुलिस को भी बुलाया गया । उसके उपरांत, पुलिसकर्मियों की उपस्थिति में शव का अंतिमसंस्कार किया गया ।

जिस भूमि पर शव को दफनाने में बाधा उत्पन्न की गई, वह भूमि हिन्दुओं की है तथा वहां पारंपरिक पद्धति से नट समुदाय के लोगों के शवों को दफनाया जाता है । इस प्रकरण में, ३० अक्टूबर को फुलपुर पुलिस थाने में शिकायत प्रविष्ट की गई है । इस शिकायत में उन्होंने भू-समाधि परंपरा में बाधा उत्पन्न किए जाने की बात कही है ।

इसके पीछे मूलतः नट समुदाय के ; परंतु, अब इस्लाम में धर्मांतरित व्यक्तियों की भूमिका ! – हिन्दू जनजागरण मंच

धर्मांतरित और अधिक कडवे होते हैं, यही इससे प्रमाणित होता है ! – संपादक

हिन्दू जनजागरण मंच ने प्रशासन से दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही करने की मांग की है । इस अवसर पर हिन्दू जनजागरण मंच के पदाधिकारी गौरीश सिंह ने बताया, कि इस्लाम का स्वीकार करने के लिए दबाव बनानेवाले लोग पहले नट समुदाय से ही थे । कुछ समय पूर्व उन्होंने इस्लाम का स्वीकार किया था । अब ये लोग धर्मांतरण करने के लिए अन्य लोगों पर दबाव बना रहे हैं । इसके अतिरिक्त, नट समुदाय अनुसूचित जातियों की श्रेणी में आता है । नट समुदाय के कुछ लोगों ने भले ही इस्लाम का स्वीकार किया हो ; परंतु, उन्होंने अपने नाम हिन्दू ही रखे हैं । इसके पिछे समुदाय और सरकार का दिशाभ्रम कर, अनुसूचित जनजातियों को मिलनेवाला सरकारी लाभ उठाते रहने का षड्यंत्र है । (जो जानकारी एक हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन को मिलती है, वह जानकारी जिनके हाथ में सभी प्रकार के तंत्र होते हैं, ऐसे प्रशासन को क्यों नहीं मिलती ?) सरकार को संबंधित उत्तरदायी अधिकारियों पर कार्यवाही करनी चाहिए । साथ ही, धर्मांतरण के उपरांत भी, हिन्दू नामों को स्थाई रखकर सरकारी सुविधाओं का लाभ उठानेवाले लोगों पर कार्यवाही करनी चाहिए ! – संपादक)