हिन्दुत्व को ब्राह्मणवादी प्रमाणित कर, उससे संकट होने का हिन्दूद्वेषी वक्ताओं का विषवमन !

३ दिवसीय हिन्दूविरोधी अंतरराष्ट्रीय ऑनलाइन परिषद !

  • भारत में हिन्दू राष्ट्र स्थापना होने के उपरांत, संपूर्ण विश्व के हिन्दू-द्वेषक्ष वैचारिक आतंकियों की दुकानें बंद होनेवाली हैं, इससे वे भलीभांति अवगत होने के कारण, वे हिन्दू राष्ट्र विरोधी हैं । इसलिए, वैश्विक स्तर पर हिन्दू-विरोधी षड्यंत्र रचा जा रहा है । इस वैचारिक आतंकवाद का तेजस्वी हिन्दुत्वनिष्ठ विचारों से उत्तर देना हिन्दुओं का धर्मकर्तव्य है ! – संपादक

  • भारत के पुजारियों की स्थिति दयनीय है । अधिकांश पुजारियों के निर्धन होते हुए भी वे भूधारक (भूमि के स्वामित्ववाले) हैं और वे हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करने का प्रयास कर रहे हैं ; इस आशय के अत्यंत झूठे वक्तव्य देनेवाले हिन्दू-द्वेषियों का हिन्दुओं को हर उपलब्ध मंच से धिक्कार करना आवश्यक ! – संपादक
डिसमेंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व

मुंबई – ३ दिवसीय ऑनलाइन परिषद, ‘डिसमेंटलिंग ग्लोबल हिन्दुत्व’ (हिन्दुत्व का वैश्विक स्तर पर उच्चाटन) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हिन्दुत्व से परे जाकर विकास करना चाहिए । मंदिर के गर्भगृह में स्थित पुजारी शक्तिशाली भूधारक (भूमि के स्वामित्ववाले) हैं । इन पुजारियों को ब्राह्मणवाद की पुनर्स्थापना कर, हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करनी है । यह सब संकटपूर्ण है । यह और ऐसे अनेक अत्यंत झूठे, आधारहीन और प्रमाणरहित, हिन्दू-विरोधी वक्तव्यों की भरमार कर इस परिषद में सहभागी वक्ताओं ने उनकी नस-नस में हिन्दूद्वेष कितना भरा हुआ है ; इसका कडवा प्रदर्शन किया । १० से १२ सितंबर की अवधि में, अंतरराष्ट्रीय स्तर की इस ऑनलाइन परिषद का आयोजन किया गया है । इस परिषद के प्रथम दिन, ‘वैश्विक हिन्दुत्व क्या है ?’, ‘हिन्दुत्व का राजनीतिक अर्थकारण’, साथ ही ‘जातियां एवं हिन्दुत्व’, इन ३ विषयों पर आयोजित परिचर्चाओं में विविध वक्ताओं ने हिन्दूद्वेष से ओतप्रोत हुए अपने विचार व्यक्त किए ।

इस परिषद के आयोजकों की दृष्टि में, तथाकथित विचारकों का एकत्रीकरण किया गया है । ‘डिसमेंटलिंग ग्लोबल हिन्दुत्व’ परिषद के जालस्थल पर दी गई जानकारी के अनुसार, हिन्दुत्व के समर्थक पिछडे वर्ग के (दलित), आदिवासी, अहिन्दू, मुसलमान और महिलाओं के प्रति कठोर (वर्चस्व स्थापित करनेवाले) नीति अपनाते हैं । हिन्दुत्व के प्रति विश्वास रखनेवाले, हिन्दू राष्ट्र की निर्मिति के लिए प्रतिबद्ध हैं तथा वे संविधान में परिवर्तन लाकर संविधान का धर्मनिरपेक्षतावादी एवं लोकतांत्रिक जुडाव तोडने हेतु प्रयासरत हैं ।’ इसका विरोध करने हेतु, तथाकथित विचारकों को वैश्विक हिन्दुत्व से संबंधित राजनीतिक, आर्थिक, जातिवाद, लिंग-भेद, विज्ञान एवं स्वास्थ्य आदि स्तरों पर अपना पक्ष रखने हेतु एकत्रित बुलाया गया है ।

कुछ वक्ताओं द्वारा दिए गए हास्यास्पद एवं हिन्दूविरोधी आधारहीन वक्तव्य !

१. हिन्दुओं की ‘विश्वगुरु’ संकल्पना का अर्थ उच्चवर्णियों की उनके सर्वोच्च होने की मंशा उत्पन्न करनेवाला प्रयास है ! – ख्रिस्टोफ जैफरलौट, राजनीतिक विश्लेषक, फ्रान्स

२. उच्च वर्णीय नारीवादियों (फेमिनिस्ट) एवं बहुजन नारीवादियों में अंतर है । उच्चवर्णीय नारीवादी, जाति को पकडे रहते हैं । उच्चवर्णीय स्त्रियों को जाती-द्रोही बनना चाहिए । शाहीन बाग में आंदोलन चलानेवाली मुसलमान महिलाएं, दबाए गए समाज की वास्तविक तारणहार थीं । – मीना कंडासामी, लेखिका, तमिलनाडू

‘डिसमेंटलिंग ग्लोबल हिन्दुत्व’ परिषद में सहभागी हिन्दू-द्वेषी वक्ता

पहला सत्र ‘वैश्विक हिन्दुत्व क्या है ?’ में सहभागी वक्ता !

प्रा. ज्ञानप्रकाश (जे.एन.यू. के पूर्व छात्र एवं अमेरिका स्थित न्यूजर्सी के प्रिस्टन विश्वविद्यालय में कार्यरत इतिहास के प्राध्यापक), थॉमस हसन (अमेरिका स्थित स्टैनफर्ड विश्वविद्यालय के प्राध्यापक), ख्रिस्टोफ जैफरलौट (फ्रेंच राजनीतिक विश्लेषक तथा भारत-पाक संबंधों के अध्येता), मीना कंडासामी (तमिलनाडू स्थित लेखिता एवं कार्यकर्त्री) एवं आनंद पटवर्धन (सामाजिक विषयों के लघुचित्र निर्माता)

दूसरे सत्र, ‘हिन्दुत्व का राजनीतिक अर्थकारण’, में सहभागी वक्ता !

श्रीमती राव (वॉर्सेस्टर, मैसेच्युसेट्स, अमेरिका स्थित एसंपशन कॉलेज की प्राध्यापिका), जेन्स लिर्चे (लंडन विश्वविद्यालय के श्रमिक अध्येता), वामसी वाकुलभारनम् (‘युनिवर्सिटी ऑफ मैसेच्युसेट्स‘, अमेरिका के अर्थशास्त्र से संबंधित प्राध्यापक)

तीसरे सत्र, ‘जातियां एवं हिन्दुत्व’, में सहभागी वक्ता !

रूपा विश्वनाथन् (जर्मनी के गटिंगन विश्वविद्यालय में, ‘आधुनिक भारत का अध्ययन’ विषय की प्राध्यापिका), गजेंद्र अय्याथुराई (जर्मनी में, ‘मॉडर्न इंडियन स्टडीज’ विषय पर कार्यरत शोधकर्ता), मीना धांडा (दलित कार्यकर्त्री एवं इंग्लैंड के विश्वविद्यालय में कार्यरत प्राध्यापिका)

परिषद के लिए ४० विश्वविद्यालयों का समर्थन प्राप्त होने का दावा झूठा !

इस परिषद को ४० विश्वविद्यालयों का समर्थन होने का दावा किया गया था ; परंतु, वास्तव में उन विश्वविद्यालयों के संपूर्ण विभाग ही नहीं, अपितु उनमें से एक ही शिक्षक का परिषद में सहभाग होने की वास्तविकता ध्यान में आई । आयोजकों द्वारा संपूर्ण विश्वविद्यालयों के सहभाग होने का दावा, तो लोगों का शुद्ध दिशाभ्रम होने की बात ध्यान में आई ।

सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति के विरोध में आधारहीन आरोप लगानेवाले वीडियो प्रसारित !

इस कार्यक्रम में, लघुचित्र निर्माता एवं वामपंथी आनंद पटवर्धन ने अपने भाषण के आरंभ में और अंत में ‘विवेक’ नामक ध्वनिचित्रचक्रिका (सीडी) के कुछ मिनटों के २ भाग दिखाए । पहले भाग में, आधुनिकतावादियों की हत्याएं, अंनिस के पूर्व प्रमुख डॉ. नरेंद्र दाभोलकर द्वारा धर्म के संदर्भ में किया गया विषवमन आदि चित्रण दिखाया गया है । तो दूसरे भाग में सनातन संस्था, हिन्दू जनजागृति समिति सहित अन्य संप्रदायों और हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों द्वारा निकाली गई स्वरक्षा प्रदर्शनों की प्रस्तुति वाली फेरी का छायाचित्रण दिखाया गया है ।