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भोपाल (मध्य प्रदेश) – भारत एक पारंपरिक समाज है । भारत अभी तक सामाजिक विचारधारा के उस स्तर तक नहीं पहुंचा है, जहां किसी भी धर्म की अविवाहित युवती केवल मनोरंजन के लिए युवकों के साथ यौन संबंध रखेगी । भोपाल उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सुबोध अभ्यंकर ने एक याचिका पर सुनवाई के समय कहा कि, विवाह अथवा भविष्य का कोई आश्वासन होने पर ऐसी बातें हो सकती हैं । इस समय बलात्कार के प्रकरण में आरोपी का प्रतिभूति का आवेदन न्यायालय ने निरस्त कर दिया ।
लग्नाच्या हमीशिवाय भारतात अविवाहित मुली शरीरसंबंध ठेवत नाहीत : मध्य प्रदेश हायकोर्ट https://t.co/HXp67xvH3y #MadhyaPradesh | #HighCourt | #Indore | #SubodhAbhyankar | #Rape |
— TV9 Marathi (@TV9Marathi) August 15, 2021
१. न्यायाधीश सुबोध अभ्यंकर ने आगे कहा कि यौन संबंध बनाने का निर्णय लेने से पूर्व, युवक को भी उसके परिणामों के संबंध में भान रखना चाहिए तथा कुछ अप्रत्याशित होने पर उसका सामना करने में सक्षम होना चाहिए । ऐसे प्रकरणों में सर्वदा युवतियों को ही भुगतना पडता है ; क्योंकि, यदि उसके गर्भवती होने एवं इस संबंध के विषय में अन्यों को जानकारी होने पर समाज द्वारा उत्तरदायी ठहराए जाने का उसे भय होता है । परंतु, युवाओं को भी परिणामों का विचार कर उनका सामना करने के लिए तैयार रहने की आवश्यकता है । आप उसके साथ केवल सहमति से यौन संबंध रख कर कुछ समय पश्चात उसे छोड नहीं सकते हैं ।
२. उच्च न्यायालय में प्रविष्ट इस प्रकरण में एक युवक पर विवाह का प्रलोभन देकर एक युवती पर बलात्कार करने का आरोप था । बलात्कार, अपहरण आदि धाराओं के अंतर्गत अपराध प्रविष्ट किए गए थे ; परंतु, आरोपी के अधिवक्ता ने यह दावा किया कि, ‘आरोपी एवं पीडिता में विगत दो वर्षों से संबंध हैं । विवाह के आश्वासन के पश्चात २१ वर्षों से अधिक आयु की युवती ने स्वयं की इच्छा से उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए थे । यह युवती अब नाटक कर रही है कि, यह प्रकरण ३ वर्ष पूर्व हुआ था ।’
३. दंपति के माता-पिता ने न्यायालय को बताया कि वे विवाह के विरुद्ध थे ; क्योंकि, वो दोनों अलग-अलग धर्मों के थे । यह तर्क दिया गया था कि, ‘सहमति से रखे गए यौन संबंध को बलात्कार नहीं कहा जा सकता ।’
४. आरोपी ने युवती से कहा, ‘मेरा विवाह अन्य किसी के साथ निर्धारित हुआ है तथा मैं तुमसे विवाह नहीं कर सकता ।’ इसके पश्चात, युवती ने विष पीकर आत्महत्या करने का प्रयास किया था ।
५. ‘युवती द्वारा आत्महत्या का प्रयास करने से यह प्रतीत होता है कि वह इस संबंध के संदर्भ में अधिक गंभीर थी एवं उसने केवल मनोरंजन के लिए यौन संबंध नहीं रखा था’, ऐसा निष्कर्ष निकालते हुए न्यायालय ने आरोपी को प्रतिभूति देना अस्वीकार कर दिया । न्यायालय ने यह भी कहा है कि, ‘बलात्कार पीडिता को हर बार आत्महत्या करने का प्रयास करने की आवश्यकता नहीं है ।’