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पाखंडी गांधीवादी कांग्रेसवालों का यह इतिहास इतिहासकर्ताओं को समाज के सामने रखना चाहिए । साथ ही केंद्र शासन उसकी सत्यता की पडताल कर उसे विद्यालयीन एवं महाविद्यालयीन पाठ्यक्रम में अंतर्भूत करना चाहिए ! ऐसी कांग्रेस का देश में अभी भी अस्तित्व है, यह हिन्दुओं के लिए लज्जाप्रद !
मुंबई – चित्पावन ब्राह्मण पंडित नथुराम गोडसे द्वारा ३० जनवरी १९४८ को म. गांधी की हत्या किए जाने के उपरांत कांग्रेस के नेताओं ने मुंबईसहित संपूर्ण महाराष्ट्र में ब्राह्मणविरोधी दंगे कराए । इसमें लगभग २० सहस्र ब्राह्मणों के घर और दुकानें जलाई गईं । इन दंगों में २ से ५ सहस्र ब्राह्मणों की हत्याएं की गईं । यह आंकडा ८ सहस्र भी हो सकता है, जिसमें महिलाओं और बच्चों को भी लक्ष्य बनाया गया । इस दंगे में स्वतंत्रतावीर सावरकरजी के भाई नारायण दामोदर सावरकर की भी हत्या की गई । इतना बडा नरसंहार होकर भी पुलिस ने एक भी अपराध प्रविष्ट नहीं किया अथवा किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया । यह कांग्रेस के दबाव के कारण हुआ । प्रसिद्ध लेखक एवं इतिहासकर्ता विक्रम संपत ने समाचारवाहिनी ‘टाइम्स नाऊ’ पर प्रसारित एक कार्यक्रम में यह आरोप लगाया । विक्रम संपत ने २ खण्डों में स्वतंत्रतावीर सावरकरजी का चरित्र लिखा है । उनके नाम हैं, ‘Savarkar (Part 1) : Echoes from a Forgotten Past 1883-1924’
विक्रम संपत ने कहा कि,
१. आज की पीढी इस नरसंहार से अज्ञात है । वर्ष १९८४ में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के उपरांत सिक्खों का नरसंहार हुआ, वैसे ही वर्ष १९४८ में ब्राह्मणों का हुआ था । नागपुर में कांग्रेस के १०० दंगाई कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था; परंतु उन पर किसी प्रकार का अपराध प्रविष्ट नहीं किया गया ।
२. स्वतंत्रतावीर सावरकरजी पर पुस्तक लिखते समय अनेक लोगों से मिलना हुआ । उनमें से कुछ लोगों के पूर्वज इस नरसंहार की बलि चढ गए थे ।
३. म. गांधी हत्या प्रकरण में स्वतंत्रतावीर सावरकरजी को आरोपी बनाया गया था । उसके उपरांत उन्हें राजनीतिक दृष्टि से बहिष्कृत किया गया । विशेष बात यह थी कि न्यायालय ने उन्हें निर्दाेष घोषित किया था ।
४. उस काल के भारतीय समाचारपत्रशें ने इन दंगों के समाचारों को बहुत ही अल्प मात्रा में प्रसिद्धि दी; परंतु विदेश के समाचारपत्रों ने इसे अच्छी प्रसिद्धि दी । उन्होंने लिखा था कि ‘म. गांधी के अनुयायियों द्वारा घटित ब्राम्हणविरोधी हिंसा को भडकाने में कुछ संगठनों ने भी साथ दिया ।
५. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं हिन्दू महासभा के कार्यालयों में भी तोडफोड की गई ।
६. पुलिस ने मुझे इन दंगों से संबंधित कागदपत्र दिखाना अस्वीकार किया ।
'Liberals don't allow different point of view to thrive. In India, there is a narrow historical narrative that needs to be pushed'.
Author of Savarkar – A Contested Legacy, @vikramsampath joins Navika Kumar on #FranklySpeakingWithSampath.
Watch the full episode at 10 PM. pic.twitter.com/vq6w3syFit
— TIMES NOW (@TimesNow) July 25, 2021
७. तथाकथित आधुनिकतावादी लोग उनके विचारों के अतिरिक्त अन्य विचारों को स्थान नहीं देते और जब भारत के इतिहास की चर्चा होती है, तब संकीर्ण विचार आगे बढाया जाता है । इतिहास के अनेक भाग दबाए जाते हैं । उन्हें पुनः बाहर निकालने की आवश्यकता है । स्वतंत्रता के उपरांत शासनकर्ताओं ने अपनी सुविधा के अनुसार भारत के स्वतंत्रतासंग्राम का इतिहास लिखवा लिया ।