इतिहासकर्ता विक्रम संपत ने समाचारवाहिनी ‘टाइम्स नाऊ’ के कार्यक्रम में लगाए गंभीर आरोप

  • म. गांधी की हत्या के उपरांत महाराष्ट्र में भडके दंगों में ५ सहस्र ब्राह्मणों की हत्या की गई !

  • स्वतंत्रतावीर सावरकरजी के भाई की हत्या !

  • २० सहस्र घर और दुकानों को जला दिया गया !

  • एक भी अपराध प्रविष्ट नहीं !

  • दंगों के पीछे कांग्रेस के नेता और ब्राह्मणद्वेषी संगठन !

  • तत्कालीन समाचारपत्रों ने समाचार दबाए !

पाखंडी गांधीवादी कांग्रेसवालों का यह इतिहास इतिहासकर्ताओं को समाज के सामने रखना चाहिए । साथ ही केंद्र शासन उसकी सत्यता की पडताल कर उसे विद्यालयीन एवं महाविद्यालयीन पाठ्यक्रम में अंतर्भूत करना चाहिए ! ऐसी कांग्रेस का देश में अभी भी अस्तित्व है, यह हिन्दुओं के लिए लज्जाप्रद !

इतिहासकार विक्रम संपत

मुंबई – चित्पावन ब्राह्मण पंडित नथुराम गोडसे द्वारा ३० जनवरी १९४८ को म. गांधी की हत्या किए जाने के उपरांत कांग्रेस के नेताओं ने मुंबईसहित संपूर्ण महाराष्ट्र में ब्राह्मणविरोधी दंगे कराए । इसमें लगभग २० सहस्र ब्राह्मणों के घर और दुकानें जलाई गईं । इन दंगों में २ से ५ सहस्र ब्राह्मणों की हत्याएं की गईं । यह आंकडा ८ सहस्र भी हो सकता है, जिसमें महिलाओं और बच्चों को भी लक्ष्य बनाया गया । इस दंगे में स्वतंत्रतावीर सावरकरजी के भाई नारायण दामोदर सावरकर की भी हत्या की गई । इतना बडा नरसंहार होकर भी पुलिस ने एक भी अपराध प्रविष्ट नहीं किया अथवा किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया । यह कांग्रेस के दबाव के कारण हुआ । प्रसिद्ध लेखक एवं इतिहासकर्ता विक्रम संपत ने समाचारवाहिनी ‘टाइम्स नाऊ’ पर प्रसारित एक कार्यक्रम में यह आरोप लगाया । विक्रम संपत ने २ खण्डों में स्वतंत्रतावीर सावरकरजी का चरित्र लिखा है । उनके नाम हैं, ‘Savarkar (Part 1) : Echoes from a Forgotten Past 1883-1924’

विक्रम संपत ने कहा कि,

१. आज की पीढी इस नरसंहार से अज्ञात है । वर्ष १९८४ में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के उपरांत सिक्खों का नरसंहार हुआ, वैसे ही वर्ष १९४८ में ब्राह्मणों का हुआ था । नागपुर में कांग्रेस के १०० दंगाई कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था; परंतु उन पर किसी प्रकार का अपराध प्रविष्ट नहीं किया गया ।

२. स्वतंत्रतावीर सावरकरजी पर पुस्तक लिखते समय अनेक लोगों से मिलना हुआ । उनमें से कुछ लोगों के पूर्वज इस नरसंहार की बलि चढ गए थे ।

३. म. गांधी हत्या प्रकरण में स्वतंत्रतावीर सावरकरजी को आरोपी बनाया गया था । उसके उपरांत उन्हें राजनीतिक दृष्टि से बहिष्कृत किया गया । विशेष बात यह थी कि न्यायालय ने उन्हें निर्दाेष घोषित किया था ।

४. उस काल के भारतीय समाचारपत्रशें ने इन दंगों के समाचारों को बहुत ही अल्प मात्रा में प्रसिद्धि दी; परंतु विदेश के समाचारपत्रों ने इसे अच्छी प्रसिद्धि दी । उन्होंने लिखा था कि ‘म. गांधी के अनुयायियों द्वारा घटित ब्राम्हणविरोधी हिंसा को भडकाने में कुछ संगठनों ने भी साथ दिया ।

५. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं हिन्दू महासभा के कार्यालयों में भी तोडफोड की गई ।

६. पुलिस ने मुझे इन दंगों से संबंधित कागदपत्र दिखाना अस्वीकार किया ।

७. तथाकथित आधुनिकतावादी लोग उनके विचारों के अतिरिक्त अन्य विचारों को स्थान नहीं देते और जब भारत के इतिहास की चर्चा होती है, तब संकीर्ण विचार आगे बढाया जाता है । इतिहास के अनेक भाग दबाए जाते हैं । उन्हें पुनः बाहर निकालने की आवश्यकता है । स्वतंत्रता के उपरांत शासनकर्ताओं ने अपनी सुविधा के अनुसार भारत के स्वतंत्रतासंग्राम का इतिहास लिखवा लिया ।