दिनभर में कितना और किस समय पानी पिएं ?

ऋते शरन्‍निदाघाभ्‍यां पिबेत् स्‍वस्‍थोऽपि चाल्‍पशः ।

– अष्‍टांगहृदय, सूत्रस्‍थान, अध्‍याय ५

अर्थ : शरद व ग्रीष्‍म ऋतु छोडकर निरोगी मनुष्‍य दिनभर में थोडा पानी ही पिए ।

     प्‍यास व भूख लगना ईश्‍वर का मानव को दिया हुआ वरदान है । जब हमें पानी व भोजन की आवश्यकता होती है, तब हमें क्रमशः प्यास व भूख लगती है । आयुर्वेद कहता है कि ‘प्यास लगने पर एक ही समय गटगट पानी न पीकर थोडा थोडा पानी पिएं।’

     संस्‍कृत में ‘क’ का अर्थ है पानी व उस ‘क’ से अर्थात पानी से ‘कफ’ फलित होता है । अनावश्‍यक पानी पीने से शरीर में कफदोष बढकर पाचनशक्‍ति मंद होती है । कुछ लोगों को चिकित्‍सक द्वारा उनके रोग अनुसार भरपूर पानी पीने के लिए कहा जाता है । रोगी वह पानी एक ही समय न पीकर दिनभर में थोडा थोडा पिए ।

     जो पाव, ब्रेड जैसे मैदे के पदार्थ खाना नहीं टाल सकते, वे ऐसे पदार्थ खाते समय बीच बीच में कुनकुना पानी पिए, जिससे वे पदार्थ पचते हैं ।

भोजन करते समय पानी पिएं अथवा न पिएं ?

समस्‍थूलकृशा भक्‍तमध्‍यान्‍तप्रथमाम्‍बुपाः।

– अष्‍टांगहृदय, सूत्रस्‍थान, अध्‍याय ५

अर्थ : भोजन करते समय बीच बीच में थोडा थोडा पानी पिएं । इससे पाचन व्‍यवस्‍थित होता है । भोजन के उपरांत (अधिक) पानी पीने से व्‍यक्‍ति स्‍थूल बनता है अर्थात अनावश्‍यक चरबी बढती है । भोजन से पूर्व पानी पीने से भूख कम हो जाती है, भोजन कम ग्रहण होता है तथा व्‍यक्‍ति कृश बनता है; परंतु ऐसा कृश होना स्‍वास्‍थ्‍य के लिए हानिकारक है । भोजन करते समय बीच बीच में थोडा थोडा पानी पीना ही उचित है । भोजन में द्रव पदार्थ प्रचुर मात्रा में हो, तो पानी पीने की आवश्‍यकता नहीं होती ।