
दिनांक के अनुसार ६ मई को सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी का जन्मदिन था । इसी समय तमिलनाडु के कांचीपूरम् में प्रवास के समय सायंकाल में तीव्र गति से तुफानी हवा बहने लगी थी । इस हवा की तीव्रता इतनी अधिक थी जिससे ऐसा प्रतीत हो रहा था कि ‘युद्ध आरंभ होगा तथा यह भारत-पाकिस्तान युद्ध के माध्यम से तीसरे महायुद्ध का आरंभ ही है’, ऐसी संभावना लग रही थी । इस समय मुझे ऐसी अनुभूति भी हुई कि कांचीपुरम में यह तुफानी हवा जोर से बह रही है, इसका अर्थ है श्री कामाक्षीदेवी इस युद्ध में सम्मिलित होंगी । (कांचीपुरम् श्री कामाक्षीदेवी का स्थान है ।) ‘कांचीपुरम् ब्रह्मांड का देवीलोक है एवं ऐसा प्रतीत हुआ मानो वह कामाक्षी देवी ही युद्ध में सम्मिलित हो ?’
उसी प्रकार मेरे साथ सेवा करनेवाले श्री. विनीत देसाई तथा श्री. स्नेहल राऊत दोनो साधक भी ६ मई को सायं में चेन्नई से कांचीपूरम आ रहे थे । उन्हें मार्ग में बिजली की कडकडाहट तथा जगमगाहट दिखाई दी । एक क्षण तो बिजली चमकते समय उसका आकार त्रिशूल समान दिखाई दिया । इससे प्रतीत हुआ कि ‘अगला उपक्रम अर्थात ‘ऑपरेशन त्रिशूल’ हाे सकता है ?’
७ मई को सुबह जब पता चला कि भारत ने पाक अधिग्रहित कश्मीर पर ‘एयर स्ट्राईक’ किया, तब मुझे उपरोल्लिखित अनुभूति का अर्थ स्पष्ट हुआ । इसके साथ भारतीय सेना ने इस उपक्रम का नाम ‘आपॅरेशन सिंदूर’ रखा था । इसमें ‘सिंदूर’ शब्द कुमकुम से संबंधित है तथा सात्त्विक कुमकुम के उत्पत्ति का स्थान कांचीपुरम में है । इससे श्री कामाक्षीदेवी के स्थान तथा उपक्रम के नाम का स्पष्टिकरण मिला ।
– श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळ, कांचीपुरम्, तमिलनाडू. (७.५.२०२५)