‘गोवा मांस परियोजना’ में होनेवाली गोवंश की अवैध हत्याएं रोककर लाखों गोवंश को जीवनदान देनेवाले ‘गोवंश रक्षा अभियान’ के श्री. हनुमंत परब !

श्री. हनुमंत परब

उसगांव, फोंडा में गोवा सरकार की ‘गोवा मांस परियोजना’ है । पहले गोवावासियों को ऐसा लगता था कि यहां सबकुछ सरकारी नियमों के अनुसार सुचारूरूप से चल रहा है; परंतु वर्ष २०१३ में ‘गोवंश रक्षा अभियान’ के अध्यक्ष श्री. हनुमंत परब को यह ध्यान में आया कि यहां सभी सरकारी नियमों को ताक पर रखकर गाय के बछडे तथा सशक्त गोवंश आदि की खुलेआम हत्या हो रही है । उसके उपरांत उन्होंने इसके विरोध में फोंडा पुलिस थाने में शिकायत पंजीकृत की तथा मुंबई उच्च न्यायालय की गोवा खंडपीठ में ‘गोवा मांस परियोजना’ में अवैधरूप से चल रही गोवंश की हत्याएं रोकने की मांग करनेवाली जनहित याचिका प्रविष्ट की । उच्च न्यायालय ने एक आदेश के द्वारा ‘गोवा मांस परियोजना’ में अवैधरूप से चल रही गोवंश की हत्याओं पर कुछ प्रतिबंध लगाए । इसके उपरांत उच्च न्यायालय की सभी शर्ताें का पालन करने के लिए यह परियोजना अनेक वर्ष बंद ही थी । ‘गोवा मांस परियोजना’ के आंकडों के अनुसार उस परियोजना में प्रतिदिन लगभग २०० से २५० गोवंश की अवैधरूप से हत्याएं की जाती थी । यह दुष्कृत्य वहां अनेक वर्षाें से अनियंत्रित रूप से चल रहा था । कर्नाटक, महाराष्ट्र जैसे पडोस के राज्यों से यहां हत्या के लिए गोवंश लाया जाता था । 

वर्ष २०१३ में उच्च न्यायालय के आदेश से देवभूमि गोवा में गोवंश का रक्तपात रुक गया । इसके कारण विगत १० वर्षाें में प्रतिदिन २०० गोवंश अर्थात प्रतिमाह ६ सहस्र, जबकि प्रतिवर्ष ७२ सहस्र का आंकडा मान लिया जाए, तो अब तक ७ लाख गोवंश को जीवनदान मिला है । इसका श्रेय ‘गोवंश रक्षा अभियान’ के अध्यक्ष श्री. हनुमंत परब तथा उनके अन्य पदाधिकारियों को जाता है । गोवंश की रक्षा के कार्य में गोवा के एक सक्रिय गोरक्षक के रूप में श्री. हनुमंत परब पूरे गोवा में विख्यात हैं । श्री. हनुमंत परब तथा उनके न्यास के अन्य सदस्य गोवा के नाणूस एवं वाळपई में ‘अखिल विश्व जय श्रीराम गोसंवर्धन केंद्र’ के नाम से गोशाला चलाते हैं । गोवंश की रक्षा के कार्य में उनके अनुभव, इस कार्य में आनेवाली बाधाएं तथा यह कार्य बढने हेतु उनके द्वारा किए जा रहे प्रयासों के विषय में हम उन्हीं के शब्दों में जान लेते हैं ।

विशेष स्तंभ !


छत्रपति शिवाजी महाराजजी द्वारा स्थापित किए गए हिन्दवी स्वराज्य के लिए जिस प्रकार मावळों (छत्रपति शिवाजी महाराजजी के सैनिकों को मावळे कहते थे) तथा धर्मयोद्धाओं द्वारा किया गया त्याग सर्वोच्च है, उसी प्रकार आज भी अनेक हिन्दुत्वनिष्ठ एवं राष्ट्रप्रेमी नागरिक हिन्दू धर्म एवं राष्ट्र की रक्षा के लिए ‘धर्मयोद्धा’ के रूप में कार्य कर रहे हैं । उनकी तथा उनके हिन्दू धर्मरक्षा के संघर्ष की जानकारी देनेवाले ‘हिन्दुत्व के वीर योद्धा’ स्तंभ के द्वारा अन्यों को भी प्रेरणा मिलेगी ! – संपादक

१. ऐसे हुई गोवा की प्रथम गोशाला ‘अखिल विश्व जय श्रीराम गोसंवर्धन केंद्र’ की स्थापना !

वर्ष २००८ में हमें वाळपई में अवैधरूप से गोवंश की हत्या की जानकारी मिली । हम गोप्रेमी वहां पहुंचे । वहां एक गाय को मार दिया गया था; परंतु अन्य एक गाय को बचाने में हमें सफलता मिली । इस घटना के उपरांत वाळपई में पहली बार गोवंश की अवैध हत्या के विरुद्ध मोर्चा निकाला गया । इसके उपरांत कुछ गोप्रेमियों ने हमें डिचोली में भी यही कृत्य होने की सूचना दी । उसके पश्चात मैं, डिचोली के गोप्रेमी, डिचोली नगरपालिका के तत्कालिन पार्षद श्री. भगवान हरमलकर तथा डिचोली पुलिस जहां गोवंश की हत्या होती थी, वहां गए । वहां २ गोवंश को मारा जा चुका था; परंतु १४ गोवंश को बचाने में हमें सफलता मिली । बचा हुआ गोवंश पहले डिचोली नगरपालिका को सौंपा गया तथा उसके पश्चात भूमि के अभाव से उन्हें सांतीनेज, पणजी ले जाया गया । उसके उपरांत ‘गायत्री परिवार’ के तथा नाणूस, वाळपई के श्री. रामचंद्र जोशी तथा मैं सांतीनेज, पणजी में रखे गए १४ गोवंश की स्थिति देखने के लिए गए, तो वहां के गोवंश की स्थिति बहुत ही दयनीय थी तथा उन्हें ठीक से चारा-पानी नहीं दिया जा रहा था । वह मई का महिना था तथा बहुत शीघ्र वर्षाऋतु आरंभ होनेवाली थी । उस समय अधिवक्ता माणिक थळी से हमारी भेंट हुई । मैं स्वयं, श्री. रामचंद्र जोशी तथा अधिवक्ता माणिकराव थळी हम तीनों ने मिलकर गोवंश को वहां से अन्य स्थान पर ले जा कर वहां गोशाला चलाने का निर्णय लिया । श्री. रामचंद्र जोशी के परिजनों ने नाणूस, वाळपई में गोशाला चलाने हेतु ९९ वर्षाें के किराए पर (‘लीज’ पर) हमें भूमि उपलब्ध कराई । उसके उपरांत हमने सभी गोप्रेमियों ने एकत्र होकर आधिकारिकरूप से एक न्यास गठित कर २५ मई २००८ को गोवा की पहली गोशाला ‘अखिल विश्व जय श्रीराम गोसंवर्धन केंद्र’ की स्थापना की ।

‘अखिल विश्व जय श्रीराम गोसंवर्धन केंद्र’ का वाहन

२. ‘गोवा मांस परियोजना’ में चल रही गोवंश की अवैध हत्याओं पर लगी लगाम !

मैं स्वयं तथा श्री. रामचंद्र जोशी ने वर्ष २००८ में मुंबई उच्च न्यायालय की गोवा खंडपीठ में राज्य में चल रहे सभी अवैध पशुवधगृह बंद करने की मांग करनेवाली जनहित याचिका प्रविष्ट की । उसके उपरांत वर्ष २०१३ में गोवा सरकार की ओर से संचालित ‘गोवा मांस परियोजना’ में अवैधरूप से गोवंश की हत्या की बात ध्यान में आने पर उसे रोकने हेतु मुंबई उच्च न्यायालय की गोवा खंडपीठ में जनहित याचिका प्रविष्ट की । न्यायालय के आदेश से ‘गोवा मांस परियोजना’ में गोवंश की अवैध हत्याओं पर रोक लगी । इसके अंतर्गत ‘गोवंश रक्षा अभियान’ के हस्तक्षेप के कारण ११३ गोवंश को जीवनदान मिला । इस प्रकरण में शियाओं को जीवदान मिला । इस प्रकरण में ‘गोवा मांस परियोजना’ के ३० कसाइयों को न्यायालय में आरोपी बताया गया । उच्च न्यायालय के इस आदेश से गोवंश की अवैध हत्याओं के विरोध में समाज में बडे स्तर पर जागृति आई तथा उससे अवैध गोवंश हत्याओं पर रोक लगी । आगे जाकर बचे गोवंश को ‘अखिल विश्व जय श्रीराम गोसंवर्धन केंद्र’ में लाया गया । वर्ष २००८ से २०१३ की अवधि तक इस केंद्र में १२१ गोवंश था । दुर्घटनाग्रस्त अथवा पशुवधगृह से बचा गोवंश ‘अखिल विश्व जय श्रीराम गोसंवर्धन केंद्र’ में लाया जाता था ।

३. राजनीतिक दबाव के बिना, गोवंश की रक्षा का कार्य करने के लिए भाजपा छोड दी !

वर्ष १९९७ से मैं गोवा के पर्ये चुनावक्षेत्र में भाजपा का कार्य कर रहा था । लगभग १६ से १७ वर्ष तक मैंने यह कार्य किया । इस अवधि में मैं उत्तर गोवा का भाजपा का प्रवक्ता, साथ ही भाजपा की केंद्रीय समिति का सदस्य भी था । मुझे किसी भी राजनीतिक दबाव के बिना गोवंश रक्षा का कार्य करना सुलभ हो; इसके लिए मैंने भाजपा छोडी । गोवंश रक्षा का कार्य धर्मकार्य, पुण्यदायी तथा मन को संतुष्टि दिलानेवाला था इसलिए मैंने मेरा पूरा समय इस कार्य के लिए दिया ।

‘गोवंश रक्षा अभियान’ संस्था की स्थापना तथा उसका कार्य


गोवा के अनेक स्थानों पर गोवंश की हत्या हो रही है तथा उसे रोकने हेतु बडे स्तर पर तथा संगठितरूप से कार्य करने की आवश्यकता है, यह बात हमारे ध्यान में आई । अतः वर्ष २०१२ में श्रीक्षेत्र, तपोभूमि के पीठाधीश पद्मश्री सद्गुरु ब्रह्मेशानंदाचार्य स्वामीजी के आशीर्वाद तथा उनके मार्गदर्शन के कारण ‘पद्मनाभ संप्रदाय’, ‘गायत्री परिवार’, ‘भारत स्वाभिमान’, ‘विश्व हिन्दू परिषद’, ‘राजस्थानी समाज-गोवा’, ‘हिन्दू जनजागृति समिति’ तथा अन्य संगठनों ने मिलकर ‘गोवंश रक्षा अभियान’ के नाम से इस संस्था की स्थापना की । श्री. हनुमंत परब ‘गोवंश रक्षा अभियान’ के अध्यक्ष हैं । ‘गोवंश रक्षा अभियान’ का कार्य आरंभ होने के उपरांत तहसीलस्तर पर सम्मेलन लिए गए तथा उनमें ‘गोवंश रक्षण’ के विषय पर जागृति लाकर लोगों को संगठित किया गया । इसके उपरांत वर्ष २०१३ में गोवा के पणजी में सबसे बडा सम्मेलन लिया गया । इसमें गोवा के ४५०० सहस्र गोप्रेमी सम्मिलित थे । इस सम्मेलन में (स्व.) आचार्य धमेंद्रजी एवं पद्मश्री सद्गुरु ब्रह्मेशानंदाचार्य स्वामीजी की वंदनीय उपस्थिति थी ।

४. प्रतिशोध लेने के लिए २ बार खटकों ने किया प्राणघातक आक्रमण !

गोवंश की रक्षा का कार्य आरंभ करने के उपरांत वर्ष २०१३ एवं वर्ष २०१४ में २ बार कसाइयों ने मुझ पर प्राणघातक आक्रमण किया । नाणूस, वाळपई में एक बार तथा बेलगांव से गोवा आते समय चोर्लाघाटी में मुझ पर तथा ‘अखिल विश्व जय श्रीराम गोसंवर्धन केंद्र’ के कर्मचारियों पर प्राणघातक आक्रमण किया गया । दुर्भाग्य की बात यह कि यह आक्रमण किसने किए ?, इसकी जांच आज तक गोवा पुलिस कर नहीं पाई है । यह हम गोरक्षों के साथ हुआ अन्याय है । इसमें विशेष बात यह कि नाणूस में पुलिसकर्मियों के सामने हम पर आक्रमण होने पर भी पुलिस प्रशासन इस प्रकरण में सच्चाई सामने नहीं ला सका है । गोवंश की रक्षा का पवित्र कार्य करते हुए भी हमें इस प्रकरण में न्यायालय के कटघरे में खडा किया गया । उसके उपरांत नाणूस में हमारे विरुद्ध प्रविष्ट अभियोग वापस लिया गया ।

गोवा सरकार को ज्ञापन प्रस्तुत करने के अवसर पर बाईं ओर से हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. सुशांत दळवी, श्री. हनुमंत परब तथा श्री. गिरीश परुळेकर

५. अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन से की गई मांग ‘राष्ट्रीय स्तर पर गोवंश हत्या बंदी कानून’ बनाया जाए !’

गोवा का हिन्दू समाज अभी भी सोया हुआ है । गोवा के प्रत्येक राजनीतिक दल तथा संगठनों की नीतियां तथा ध्येय भिन्न-भिन्न होने से गोरक्षा के कार्य की उपेक्षा हुई है । ‘गोवंश की रक्षा हेतु सभी को संगठित होना तथा राष्ट्रीय स्तर पर गोवंश हत्या बंदी कानून’ बनना समय की मांग है । हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से वर्ष २०१३ में रामनाथी, फोंडा, गोवा में आयोजित ‘अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन’ में गोवंश की रक्षा के कार्य में अपना जीवन समर्पित करनेवाले संत गोपालगिरी महाराज की वंदनीय उपस्थिति थी । उस अधिवेशन में गोवंश हत्या बंदी हेतु राष्ट्रीय स्तर पर कानून बनाने की मांग की गई । इसी मांग को लेकर देहली में आंदोलन किया गया । देहली के उस आंदोलन में गोवा के ९६ गोप्रेमी सहभागी थे; परंतु अभी तक यह कानून नहीं बन पाया है । गोवंश रक्षा हेतु महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तरप्रदेश आदि राज्यों में प्रभावी कानून हैं तथा ऐसा ही कानून गोवा में भी बनाया जाना चाहिए । वर्तमान समय में गोवंश की हत्या करनेवाले पर केवल ५० रुपए के आर्थिक दंड का प्रावधान है । इस कानून को कठोर बनाकर यह आर्थिक दंड ५ लाख रुपए किया जाए तथा आरोपी को आजीवन कारावास का दंड मिले, यह हमारी मांग है ।

६. गोरक्षक हनुमंत परब के प्रयासों के कारण गोवा सरकार ने आरंभ की गोशालाओं को आर्थिक सहायता देनेवाली योजना !

इससे पूर्व बताए अनुसार वर्ष २०१३ में ‘गोवा मांस परियोजना’ से बचे ११३ गोवंश को ‘अखिल विश्व जय श्रीराम गोसंवर्धन केंद्र’ में लाया गया । उस समय उच्च न्यायालय की गोवा खंडपीठ के न्यायाधीश ने मुझे ‘क्या आप ११३ बैलों के पालनपोषण का दायित्व उठाएंगे ?’, यह प्रश्न पूछा । तब बैलों के चारा-पानी के खर्चे पर चर्चा हुई । ‘गोवा मांस परियोजना’ में बैलों को लानेवाले कसाई प्रति बैल १०० रुपए दें’, ऐसा न्यायालय ने सुझाव दिया; परंतु कसाई यह खर्चा उठाने के लिए तैयार नहीं थे । उसके उपरांत फोंडा के प्रथमस्तर न्यायालय ने गोवा सरकार को बैलों के चारा-पानी का खर्चा उठाने का आदेश दिया । इस आदेश के २ वर्ष उपरांत भी २ वर्ष पैसे नहीं मिले । इसके कारण गोशाला को बैलों के चारा-पानी के लिए ऋण लेना पडा तथा यह ऋण आगे जाकर बढता चला गया ।

वर्ष २०१६ में मैंने गोवा सरकार के तत्कालिन पशुसंवर्धनमंत्री तथा गोवा विधानसभा के वर्तमान सभापति रमेश तडवकर को गोशाला में स्थित गोवंश का पालनपोषण करना, गोशाला का अन्य खर्चा उठाना तथा गोवा में और नई गोशालाएं बनें; इसके लिए गोशालाओं की आर्थिक सहायता करनेवाली योजना बनाने का प्रस्ताव दिया । निरंतर समीक्षा करने के उपरांत तथा इस विषय पर अनेक बैठकें होने के उपरांत वर्ष २०१८ में प्रत्येक गोवंश के लिए चारा-पानी के लिए प्रतिदिन ७५ रुपए आर्थिक सहायता देने की योजना आरंभ की । आगे जाकर ‘अखिल विश्व जय श्रीराम गोसंवर्धन केंद्र’ में आयोजित एक कार्यक्रम में तत्कालिन राज्यपाल मृदुला सिन्हा के हस्तों मंत्री रमेश तवडकर को सम्मानित किया गया । वर्ष २०१९ में डॉ. प्रमोद सावंत के मुख्यमंत्री बनने के उपरांत उनसे इस आर्थिक सहायता की धनराशि बढाने की मांग की गई । इसके उपरांत वर्ष २०२२ से गोवा सरकार प्रति गोवंश के चारे के लिए १५० रुपए की आर्थिक सहायता कर रही है ।

७. सरकार चारा आपूर्ति नीति लागू करें !

गोवा सरकार गोशालाओं के लिए चारा आपूर्ति की नीति लागू करे । वर्तमान में कर्नाटक आदि पडोसी राज्यों से चारा लाना पडता है । गोवा में चारा आपूर्ति नीति लागू की गई, तो उससे गोवा के किसान चारे का उत्पादन करेंगे, जिससे उन्हें रोजगार मिलेगा, साथ ही गोशालाओं को चारा मिलेगा ।

‘अखिल विश्व जय श्रीराम गोसंवर्धन केंद्र’में गायों पर किए जा रहे उपचार

८. ‘अखिल विश्व जय श्रीराम गोसंवर्धन केंद्र’ चलाता है विभिन्न धार्मिक एवं सामाजिक उपक्रम

‘अखिल विश्व जय श्रीराम गोसंवर्धन केंद्र’ में मासिक अमावास्या कार्यक्रम होता है । इसमें गायत्री महायज्ञ, गायत्री चालीसा, गोपूजन, गोपालकृष्ण पूजन तथा उसके उपरांत प्रवचन एवं कीर्तन जैसे उपक्रम चलाए जाते हैं । इस केंद्र में प्रतिवर्ष श्रीकृष्णजन्माष्टमी, गोपालकाला, सप्त गोमाता मंदिर तथा ‘अखिल विश्व जय श्रीराम गोसंवर्धन केंद्र’ की वर्षगांठ से संबंधित आदि कार्यक्रम लिए जाते हैं, साथ ही प्रतिमाह यहां कुडाळ (जिला सिंधुदुर्ग, महाराष्ट्र) के वैद्य सुविनिय दामले का आयुर्वेदिक चिकित्सा शिविर होता है ।

‘अखिल विश्व जय श्रीराम गोसंवर्धन केंद्र’ में गीर, श्वेतकपिला, खिल्लारी बैल आदि गोवंश, साथ ही पंढरपुरी भैंसे हैं । केंद्र की ओर से वाळपई, होंडा, साखळी आदि गोशाला के परिसर में दूध की आपूर्ति की जाती है । गोप्रेमी नागरिक केंद्र के लिए गोदान, केंद्र की गोद लेने की योजना अथवा अन्य उपक्रम के माध्यम से गोशाला की आर्थिक सहायता कर सकते हैं ।

९. गोसंवर्धन केंद्र में घायल गोवंश के लिए चलाई जाती है ‘हेल्पलाईन’ योजना !

‘अखिल विश्व जय श्रीराम गोसंवर्धन केंद्र’ में घायल गोवंश को चिकित्सकीय उपचार देने के लिए सत्तरी तहसील तक सीमित ‘हेल्पलाईन’ योजना चलाई जाती है । इसके लिए इच्छुक नागरिक ७०८३६८४७५५ अथवा ८३०८५०४७५५ इन क्रमांकों पर संपर्क कर सकते हैं । आवश्यक साधनसुविधाएं तथा मानव संसाधन उपलब्ध हुआ, तो यह योजना आरंभ में उत्तर गोवा तथा उसके उपरांत पूरे गोवा राज्य में चलाई जाएगी ।

बाईं ओर से श्री. हनुमंत परब तथा अन्य मान्यवरोंसहित श्रीक्षेत्र तपोभूमि के पीठाधीश पद्मश्री सद्गुरु ब्रह्मेशानंदाचार्य स्वामीजी

१0. अनेक संतों एवं मान्यवरों ने ‘अखिल विश्व जय श्रीराम गोसंवर्धन केंद्र’ का किया अवलोकन !

‘अखिल विश्व जय श्रीराम गोसंवर्धन केंद्र’ में गोसेवा के कार्य में सक्रिय पू. गोपाळ मणी महाराज, राजस्थान के गोऋषि दत्त शरणानंदजी महाराज, शिवकृपानंद स्वामी, गोवा की तपोभूमि के पीठाधीश पद्मश्री सद्गुरु ब्रह्मेशानंदाचार्य स्वामीजी आदि का चरणस्पर्श हुआ है । इसके साथ ही गोवा की तत्कालिन राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने २ बार इस गोशाला का अवलोकन किया है । योगऋषि बाबा रामदेवजी के करकमलों से गोशाला की गाएं मये के किसानों को सौंपी गई हैं । उत्तर गोवा के सांसद तथा केंद्रीय राज्यमंत्री श्रीपाद नाईक, गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत, गोवा के पशुसंवर्धन मंत्री नीलकंठ हळर्णकर आदि मान्यवरों ने गोशाला का अवलोकन किया है ।

विगत १८ वर्ष से मैं गोसेवा में अविरत कार्यरत हूं । ‘अखिल विश्व जय श्रीराम गोसंवर्धन केंद्र’ न्यास के अध्यक्ष के रूप में वर्ष २००८ से मैं इस कार्य का दायित्व निभा रहा हूं । भगवान श्रीकृष्ण एवं प्रभु श्रीराम की कृपा से ही यह कार्य चल रहा है । कर्ता-धर्ता तो वे ही हैं । यह गोशाला चलाते समय अनेक समस्याएं आईं; परंतु ईश्वर की कृपा से ही हमने इन बाधाओं पर विजय प्राप्त की ।

– श्री. हनुमंत परब, वाळपई, गोवा.

जिस मंदिर में गाय की समाधि पर भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति विराजमान है, ऐसा देश का पहला मंदिर है ‘सप्त गोमाता मंदिर !’

वर्ष २००८ में वाळपई में अवैधरूप से गोवंश की हत्या की जाती थी । वहां जाने पर एक गाय को मारा गया था, जबकि एक गाय को बचाने में हमें सफलता मिली थी । जिस गाय की हत्या की गई थी, उस पर धनगर (मवेशी) समुदाय के साखरू शेळके की जीविका चलती थी । इस हत्या के कारण उसकी स्थिति विकट हुई । उस समय सभी गोप्रेमियों ने ७ सहस्र रुपए का चंदा इकट्ठा कर साखरू शेळके को दिया, जबकि जो बची हुई गाय थी, उसे साक्ष्य के रूप में बार-बार न्यायालय ले जाना पडता था । इसके कारण इस गाय के मालिक को हमने मूल्य के रूप में पैसे दिए । वर्ष २०१७ में उस गाय की मृत्यु हो गई । इसके उपरांत ‘अखिल विश्व जय श्रीराम गोसंवर्धन केंद्र’ में इस गाय का मंदिर बनाया गया । वर्ष २०१९ में इस मंदिर का निमार्ण कार्य पूरा हुआ तथा गोवा की तत्कालिन राज्यपाल (दिवंगत) मृदुला सिन्हा के हस्तों इस मंदिर का उद्घाटन किया गया । इस अवसर पर गोवा के वर्तमान मुख्यमंत्री तथा गोवा विधानसभा के तत्कालिन सभापति डॉ. प्रमोद सावंत उपस्थित थे । उस अवसर पर तत्कालीन राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने कहा, ‘‘पशुवधगृह से छुडाई गई गाय की समाधि पर भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति विराजमान है, ऐसा ‘सप्त गोमाता मंदिर’ देश का पहला मंदिर है । ’’ ‘कामधेनू’, ‘नंदिनी’, ‘सुरभि’, ‘सुशीला’, ‘सुमन’, ‘नंदा’ एवं ‘धेनू’ इन सप्त गोमाताओं के लिए इस स्थान का प्रयोजन है । इस मंदिर में वर्तमान में ७ गायों का पालनपोषण किया जाता है । इन ७ गायों में से एक गाय के पालनपोषण का खर्चा गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत के पिता श्री. पांडुरंग सावंत उनकी पत्नी की स्मृति में उठा रहे हैं । इसी प्रकार स्थानीय सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल यहां के सप्तगायों के पालनपोषण का खर्चा उठा रहा है ।