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प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) – प्रतिवर्ष दिसंबर के अंत में रूस, साइबेरिया एवं पोलैंड जैसे ठंडे मौसमवाले देशों से सहस्रों (हजारों) विदेशी पक्षी प्रयागराज के पवित्र त्रिवेणी संगम क्षेत्र में आते हैं । आमतौर पर फरवरी के अंत तक चले जाने वाले ये पक्षी वर्तमान में १३ मार्च तक संगम तट पर डेरा जमाए हुए हैं । महाकुंभ पर्व समाप्त होने के १५ दिन उपरांत भी संगम तट पर बडी संख्या में विदेशी पक्षियों की उपस्थिति से वैज्ञानिक अचरज करते हैं । पक्षीविज्ञानियों और जीव विज्ञानियों का मानना है कि यह संगम के शुद्ध जल और वायु की शुद्धता का प्रमाण है । विदेशी पक्षियों की दीर्घकालिक उपस्थिति पर्यावरण की शुद्धता का संकेत है ।
पक्षी विशेषज्ञ प्रा. संदीप मल्होत्रा का कहना है कि लारस रिडीबंडस प्रजाति के इन विदेशी पक्षियों की उपस्थिति इस बात का सूचक मानी जाती है कि पानी प्रदूषण से मुक्त है और हवा स्वच्छ है । ये पक्षी स्वाभाविक रूप से तभी रुकते हैं जब पानी में जलीय जीवन सुरक्षित हो और वातावरण अनुकूल हो । उनकी लम्बी उपस्थिति दर्शाती है कि महाकुंभ पर्व की कालावधि में गंगा के पानी को स्वच्छ रखने के लिए किए गए प्रयास सफल रहे ।
गंगा नदी में डॉल्फिन की संख्या में वृद्धि !
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट भी प्रमाण देती है कि संगम क्षेत्र में पानी और हवा पहले की अपेक्षा पर्याप्त मात्रा में स्वच्छ हो गई है । गंगा नदी में डॉल्फिन की बढ़ती संख्या पानी की स्वच्छता का प्रमाण है । विश्व वन्यजीव दिवस (३ मार्च, २०२५) पर पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, गंगा नदी में डॉल्फिन की संख्या वर्ष २०२१ में अनुमानित ३,२७५ से बढकर ६,३२४ हो गई है । डॉल्फिन की संख्या में वृद्धि हुई है, विशेष रूप से प्रयागराज और पाटलिपुत्र की गंगा नदी घाटियों में । इससे ज्ञात होता है कि गंगा नदी के पानी की गुणवत्ता में सुधार हुआ है।
डॉल्फिन की बढती संख्या से वैज्ञानिक संतुष्ट !
पर्यावरणविदों और पक्षीविज्ञानियों का कहना है कि संगम क्षेत्र में जल और वायु की शुद्धता बनाए रखना जैव विविधता के रूप में लाभकारी होगा । गंगा नदी में विदेशी पक्षियों और डॉल्फिन की बढती संख्या ने इस बात को प्रमाणित किया है कि प्रयागराज का पर्यावरण पूर्व से अधिक अच्छा हो गया है ।
महाकुंभ की समयावधि में किए गए प्रयासों का परिणाम !
महाकुंभ पर्व २०२५ की समयावधि में राज्य सरकार और केंद्र सरकार ने गंगा नदी की सफाई एवं प्रदूषण नियंत्रण के लिए विशेष अभियान चलाए । ‘नमामि गंगे’ योजना के अंतर्गत गंगा नदी में सीवेज डालने पर प्रतिबंध लगाया गया था । इन सरकारी प्रयासों के परिणाम अब दिखने लगे हैं । वैज्ञानिकों का मानना है कि यदि यही स्थिति रही तो आने वाले समय में गंगा नदी का पानी और भी साफ हो जाएगा ।
भविष्य में भी स्वच्छता अभियान जारी रखने की आवश्यकता !
वैज्ञानिकों का मानना है कि सरकार को पानी को साफ करने के लिए उठाए जा रहे कदम जारी रखने चाहिए । महाकुंभ पर्व के पश्चात भी गंगा नदी में सीवेज उपचार परियोजनाओं, अपशिष्ट निपटान एवं प्रदूषण नियंत्रण उपायों को कठोरता से लागू करना आवश्यक है, तभी यह स्थिति लंबे समय तक संजोई जा सकती है ।
संपादकीय भूमिकाक्या गंगा नदी के पानी को अशुद्ध कहनेवाले और उसे गाली देनेवाले अब बोलेंगे ? |