Sambhal Jama Masjid : संभल (उत्तर प्रदेश) में शाही जामा मस्जिद की रंगाई  करने की आवश्यकता नहीं है !

  • पुरातत्व विभाग ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में प्रतिवेदन प्रस्तुत किया

  • मस्जिद समिति ने रमजान के अवसर पर  रंगाई  करने का अनुरोध किया था।

शाही जामा मस्जिद

प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) – उत्तर प्रदेश के संभल जिले में श्री हरिहर मंदिर स्थल पर बनी शाही जामा मस्जिद में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा किए गए निरीक्षण के उपरांत  इलाहाबाद उच्च न्यायालय को एक वस्तु स्थिति निरीक्षण प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया है। यह प्रतिवेदन  मस्जिद के आंतरिक बनावट  में किए गए परिवर्तनों के संबंध में जानकारी प्रदान करता है। यह भी स्पष्ट किया गया है कि ‘मस्जिद को  अभी किसी रंगाई या मरम्मत की आवश्यकता नहीं है।’ न्यायालय को बताया गया कि मस्जिद के डिजिटल सर्वेक्षण के लिए कार्य योजना को अनुमति दे दी गई है। मस्जिद समिति ने रमजान के अवसर पर मस्जिद को रंगने की अनुमति मांगी थी। न्यायालय ने पुरातत्व विभाग को इसकी पुष्टि कर निरीक्षण प्रतिवेदन प्रस्तुत करने को कहा था।

१. उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार पुरातत्व विभाग के संयुक्त निदेशक मदन सिंह चौहान, स्मारक निदेशक जुल्फिकार अली और पुरातत्वविद् विनोद सिंह रावत के एक दल ने २७ फरवरी की देर संध्या मस्जिद को भेंट दी और उसका निरीक्षण किया। इस निरीक्षण का प्रतिवेदन  २८ फरवरी को न्यायालय में प्रस्तुत किया गया ।

२. २२ दिसम्बर १९२० को अधिसूचना संख्या  १६४५ /११३३ -एम के अंतर्गत संभल जामा मस्जिद को ‘प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम, १९०४ ‘ के अंतर्गत ‘संरक्षित’ घोषित किया गया।

३. न्यायालय के आदेश के अनुसार, पुरातत्व विभाग मस्जिद की नियमित स्वच्छता , धूल हटाने और आसपास की वनस्पति को हटाने का काम करेगा। इसके लिए मस्जिद कमेटी को किसी भी प्रकार की बाधा उत्पन्न न करने तथा पूर्ण सहयोग प्रदान करने के निर्देश दिए गए हैं।

पुरातत्व विभाग की अनुमति के बिना मस्जिद में अनेक बदलाव किये गये !

पुरातत्व विभाग के निरीक्षण से ज्ञात हुआ कि मस्जिद समिति ने पहले भी मरम्मत और जीर्णोद्धार का काम कराया था, जिसके परिणामस्वरूप ऐतिहासिक संरचना में अनेक अवांछित बदलाव हुए। मस्जिद के फर्श को पूरी तरह से टाइल्स और पत्थर से बदल दिया गया है। मस्जिद के आंतरिक भाग को सुनहरे, लाल, हरे और पीले रंग से रंगा गया है, जो मूल सतह को ढकता है। मस्जिद का आंतरिक भाग अच्छी स्थिति में है और उसे तत्काल मरम्मत की आवश्यकता नहीं है। यद्यपि  बाह्य भाग में कुछ स्थानों  पर  रंग फीका पड गया है;  किन्तु  स्थिति इतनी गंभीर नहीं है कि तुरंत कुछ किया जाए। मस्जिद के उत्तर और पश्चिम में स्थित छोटे कक्ष , जिनका उपयोग ‘भंडार’ के रूप में किया जा रहा है, जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं। विशेष रूप से इन कक्षों की लकडी की छतें कमजोर हो गई हैं और उन्हें मरम्मत की आवश्यकता है।

संपादकीय भूमिका 

न्यायप्रिय जनता का मानना है कि न्यायालय को पुरातत्व विभाग की अनुमति के बिना परिवर्तन करने वाली मस्जिद समिति को भंग कर देना चाहिए तथा संबंधित लोगों को दंड देकर कारावास में भेजने का आदेश देना चाहिए !