प्रतिवेदन में अनेक बिंदुओं का उचित उल्लेख नहीं ।

प्रयागराज – गंगाजल के विषय में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रतिवेदन पर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय समेत ३ विश्वविद्यालयों के पर्यावरण वैज्ञानिकों ने प्रश्न खडे किए हैं । उनका कहना है कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का प्रतिवेदन अधूरा है । उसमें अनेक महत्वपूर्ण बिंदुओं का उल्लेख नहीं है । गंगानदी का पानी अशुद्ध है । यह स्नान करने और पीने योग्य नहीं है । ऐसा प्रतिवेदन केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने प्रस्तुत किया था ।
#WATCH | Prayagraj, UP | On water quality at Triveni Singam in Prayagraj, Prof Umesh Kumar Singh, Centre of Environmental Science, University of Allahabad, says, “… A few days back, the Centre Pollution Control Board (CPCB) prepared a report which states increased levels of… pic.twitter.com/naalTrODvR
— ANI (@ANI) February 21, 2025
१. इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान केंद्र में कार्यरत प्रा. उमेश कुमार सिंह ने कहा कि प्रतिवेदन में दिखाया गया है कि पानी में घुले प्राणवायु का स्तर सामान्य से अधिक है । इसलिए, इस जानकारी के आधार पर कहा जा सकता है कि त्रिवेणी संगम का पानी स्नान के योग्य है ।
२. दक्षिण बिहार केंद्रीय विद्यालय में सहायक प्राध्यापक आर.के. रंजन ने कहा कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास की जानकारी और वास्तविकता में बहुत अंतर है । इसलिए, ‘गंगाजल स्नान के योग्य नहीं है’, यह निष्कर्ष निकालना, शीघ्रता होगी ।
🚨Shocking Revelation: “Central Pollution Control Board’s Report on Ganga Water Incomplete!” – Scientists 🌊
✒️ Information reveals key parameters missing from the report.
🤔 Was there a sinister motive of the CPCB behind falsely declaring Ganga water impure? A thorough… pic.twitter.com/zHJ3eADW5Y
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) February 22, 2025
३. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पर्यावरण विज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. अमित कुमार मिश्र ने कहा कि अमृत स्नान के गंगाजल का परीक्षण करने पर उसमें फेकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया का स्तर उच्च पाया गया है । इसलिए, निश्चित निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए अधिक जानकारी प्राप्त करनी आवश्यक है ।
संपादकीय भूमिकागंगा नदी का पानी अशुद्ध होने का झूठा प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के पीछे केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कोई गुप्त उद्देश्य तो नहीं था, इस बात की जांच कर संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाई होना आवश्यक ! |