(और इनकी सुनिए… ) ‘हिमालय के संत-महात्माओं का कोई उपयोग है क्या ?’ – छगन भुजबळ

छगन भुजबळ का हिन्दू -विरोधी वक्तव्य

छगन भुजबळ

नासिक – “हिमालय में बहुत से संत-महात्मा हैं । उनका क्या करना है ? उनका कोई उपयोग है क्या ? मुझे बताइए,” हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला बयान राष्ट्रवादी कांग्रेस के अजित पवार गुट के नेता छगन भुजबळ ने एक कृषि महोत्सव में दिया था । इस वक्तव्य के बाद उनकी कडी आलोचना हो रही है ।

“आपकी पार्टी ने आपको ही हिमालय भेजने की व्यवस्था कर दी है ।” – तुषार भोसले, आध्यात्मिक मोर्चा, भाजपा

कुछ साधु-संत समाज में रहकर कार्य करते हैं, जबकि कुछ समाज की भलाई के लिए हिमालय में जाकर तपस्या और साधना करते हैं । भुजबळ जैसे लोग समाज के संसाधनों का दुरुपयोग कर अपना घर तो भरते ही हैं और साथ में अपने बेटों व भतीजों का भी, विधायक-सांसद बनाने के लिए समाज में उनका उपयोग करते हैं । भुजबळ जी, आपकी पार्टी ने आपको ही हिमालय भेजने की तैयारी कर रखी है, उस पर ध्यान दीजिए ।

“साधु-संत समाज का प्रबोधन करते हैं और सभी को दिशा प्रदान करते हैं,” ऐसा उत्तर कृषि और पूर्व सैनिक कल्याण विभाग के कैबिनेट मंत्री दादा भुसे ने छगन भुजबळ को दिया ।

संपादकीय भूमिका 

आज विश्व की कई संस्कृतियां नष्ट हो चुकी हैं और कुछ नष्ट होने की कगार पर हैं । भारत पर कई आक्रमण हुए, लेकिन समाज और हिमालय में तपस्या करने वाले साधु-संतों के कारण भारतीय संस्कृति और भारत का अस्तित्व आज भी बना हुआ है । क्योंकि भुजबळ स्वयं को प्रगतिशील मानते हैं, उनसे साधु-संतों के योगदान और आध्यात्मिक महत्व को समझने की आशा नहीं की जा सकती । इन्हीं साधु-संतों के कारण भारत विश्वगुरु बन सकता है, जो भारत की असली पहचान है । लेकिन केवल प्रगतिशीलता का दिखावा करने वाले भुजबळ इसे क्या समझेंगे ?