पंटून पुल बंद होने की संभावना
प्रयागराज, २ फरवरी (वार्ता) — मौनी अमावस्या के दिन कुंभ मेले में अमृत स्नान के समय हुई दुर्घटना को देखते हुए ३ फरवरी को होने वाले अमृत स्नान को लेकर प्रशासन सतर्कता रख रहा है । त्रिवेणी संगम पर भीड न जुटे, इसके लिए नागरिकों से त्रिवेणी संगम के स्थान पर अन्य घाटों पर स्नान करने की अपील की जा रही है, साथ ही स्नान के उपरांत घाटों पर न रुकने की भी सलाह प्रशासन द्वारा दी जा रही है।
मौनी अमावस्या की दुर्घटना के बाद १ फरवरी से पूरे महाकुंभ क्षेत्र में ध्वनि विस्तारक यंत्रों के माध्यम से लगातार इस संबंध में सूचनाएं दी जा रही हैं । मौनी अमावस्या के बाद महाकुंभ क्षेत्र में भीड़ कम हो गई थी, लेकिन ३ फरवरी को होने वाले अमृत स्नान के चलते श्रद्धालुओं की संख्या फिर से बढ़ने लगी है। मौनी अमावस्या के दिन सुबह स्नान के लिए श्रद्धालु रात से ही त्रिवेणी घाट पर भारी संख्या में एकत्रित हो गए थे । इस भीड़ को नियंत्रित करना पुलिस के लिए संभव नहीं हो पाया था । इसलिए प्रशासन ३ फरवरी को त्रिवेणी संगम पर भीड़ न हो, इसके लिए विशेष सतर्कता रख रहा है । प्रशासन श्रद्धालुओं का अन्य घाटों पर विभाजन करने का प्रयास कर रहा है।
पंटून पुल बंद किए जा सकते हैं।
अमृत स्नान के दिन पंटून पुल (अस्थायी पुल) बंद किए जा सकते हैं, ऐसी सूचना प्रशासन द्वारा ध्वनि विस्तारक यंत्रों के माध्यम से दी जा रही है। मौनी अमावस्या के दिन पंटून पुलों पर अत्यधिक भीड़ के कारण भगदड़ की स्थिति बन गई थी । त्रिवेणी संगम के पंटून पुल पर भीड के चलते श्रद्धालुओं ने पुल से नीचे कूदने तक की घटनाएं हुईं थीं ।
प्रशासन को यह सावधानी बरतनी चाहिए ।
यदि पंटून पुल बंद किए जाते हैं तो वृद्धों, महिलाओं और बच्चों सहित श्रद्धालुओं को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है । इसलिए पंटून पुल बंद करने के स्थान पर यह स्पष्ट सूचना देना आवश्यक है कि कौन से पंटून पुल विशिष्ट व्यक्तियों के लिए हैं और कौन से श्रद्धालुओं के लिए । इसके लिए पुल के पहले ही संकेत के बोर्ड लगाए जाने चाहिए । पंटून पुलों पर श्रद्धालुओं को एक साथ जाने देने के बजाय उन्हें समूहों में भेजा जाना चाहिए । नए श्रद्धालुओं को क्षेत्र की जानकारी न होने के कारण स्नान स्थल तक पहुंचने में कठिनाई होती है । कई बार वे घंटों तक भटकते रहते हैं और जगह-जगह पुलिस उन्हें रोकती है । यही कारण है कि माघी अमावस्या के दिन श्रद्धालु नाराज हो गए थे । इसलिए प्रशासन को घाटों तक पहुंचने के मार्गों की स्पष्ट जानकारी के संकेतक जगह-जगह लगाने की आवश्यकता है ।