INDIA’s True National Anthem : ‘वन्दे मातरम्’ राष्ट्रगान होना चाहिए ! – पू. रामगिरी महाराज, महंत, सद्गुरु गंगागिरी महाराज संस्थान

रवींद्रनाथ टागोर ने जौर्ज पंचम के लिए लिखा हुआ ‘जन-गण-मन’ यह राष्ट्रगान नहीं है !

छत्रपति संभाजीनगर – नगर (अहिल्यानगर) के सद्गुरु गंगागिरी महाराज संस्थान के मठाधिपति महंत रामगिरी महाराज ने मांग करते हुए कहा ‘हम चलचित्र के पूर्व राष्ट्रगान हेतु खडे रहते हैं; परंतु यह गीत रवींद्रनाथ टागोर ने जौर्ज पंचम के स्वागत हेतु वर्ष १९११ में लिखा था । ऐसे गीत को हमारा राष्ट्रगान मानना अनुचित है । इसमें परिवर्तन होना चाहिए । ‘वन्दे मातरम्’ ही हमारा राष्ट्रगीत होना चाहिए ।’ वे एक चलचित्र के ‘ट्रेलर’ के (चलचित्र का छोटा विज्ञापन) शुभारंभ के समय ऐसा बोल रहे थे ।

पू. रामगिरी महाराज ने आगे कहा ‘‘जौर्ज पंचम ब्रिटीश राजा था । वह भारतियों पर अन्याय कर रहा था । उसके समर्थन में रवींद्रनाथ टागोर ने यह गीत गाया था । ‘जन-गण-मन अधिनायक जय हे भारत भाग्यविधाता’ अर्थात भारतियों के आप भाग्यविधाता है’, ऐसा उन्होंने कहा है । रवींद्रनाथ का शिक्षा क्षेत्र में योगदान बहुत बडा है; परंतु तत्कालीन व्यवस्था में काम करते समय ब्रिटिशों की चाटुकारिता के अतिरिक्त अन्य कुछ विकल्प नहीं था ।’’

‘मेरा वक्तव्य राष्ट्रगीत का अनादर नहीं, अपितु उसका विश्‍लेषण है !’

पू. रामगिरी महाराज ने आगे कहा ‘राष्ट्रगीत के संदर्भ में मैंने जो कुछ वक्तव्य किया है, वह राष्ट्रगीत का अनादर होने की अपेक्षा विश्‍लेषण है । इतिहास का शोधकार्य होना चाहिए । राष्ट्रगीत के माध्यम द्वारा देश की स्तुति होनी चाहिए, यह मेरी मांग है ।’

वर्तमान चलचित्रों द्वारा साधुसंतों की प्रतिमा धुमिल करने का प्रयास !

इस प्रसंग में उन्होंने आगे कहा ‘वर्तमान चलचित्रों द्वारा साधुसंतों की प्रतिमा धुमिल की गई है । इसके विपरित कभी भी एकाध मौलाना की प्रतिमा धुमिल करने का उनका साहस नहीं हुआ । हिन्दू धर्म सहिष्णु है, इसका अनुचित लाभ लिया गया । आज तक चलचित्रों ने सनातन धर्म को अपकीर्त (बदनाम) करने का प्रयास किया है । हाल में समाज में जागृति हो रही है । अब उचित स्थिति विशद करनेवाले चलचित्र आ रहे हैं । इस कारण समाज को इसका लाभ होगा ।’