Maulana Shahabuddin Razvi On Mahakumbh : (और इनकी सुनिए…) ‘पवित्र कुंभमेले में राजनीति करनेवालों पर अखाडा परिषद तथा राज्य सरकार नियंत्रण रखें !’

बरेली (उत्तर प्रदेश) के मौलाना शहाबुद्दीन रजवी द्वारा कुंभमेले में संतों की ओर से लगाए गए फलक को लेकर मांग

मौलाना शहाबुद्दीन रजवी

बरेली (उत्तर प्रदेश) – प्रयागराज के महाकुंभ मेले के स्थान पर अनेक संतों ने विविध होर्डिंग लगाए हैं । इसमें रत्नागिरी के नाणीजधाम के जगद्गुरु रामानंदाचार्य महाराज ने भी कुछ फलक लगाए हैं । इनमें एक फलक पर ‘सनातन सात्त्विक है, पर कायर नहीं’, दूसरे फलक पर ‘डरेंगे तो मरेंगे’, जबकि तीसरे फलक पर ‘वक्फ के नाम पर संपत्ति की लूट है । धर्मनिरपेक्ष देश में ये कैसी छूट है ।’ऐसे वचन लिखे गए है । इसका अब मुसलमानों की ओर से विरोध होने लगा है । मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि कुंभमेला धार्मिक पवित्र मेला है, यहां राजनीति करना इस मेले की पवित्रता के विरुद्ध होगा । सरकार तथा अखाडा परिषद को चाहिए कि ऐसे कृत्य करनेवाले लोगों को नियंत्रण में रखे ।

सनातन मंडल को मेरा समर्थन !

मौलाना ने आगे कहा कि असहाय विधवाओं की सहायता के लिए वक्फ बोर्ड स्थापित किया गया था । वक्फ बोर्ड की पूरी भूमि मुसलमानोें को दी गई है । एक भी हिन्दू ने बोर्ड को भूमि नहीं दी है तथा इस मंडल पर सरकार का नियंत्रण है । उसी सामान यदि ‘सनातन मंडल’ की (बोर्ड की) स्थापना हुई तो मेरा उसको समर्थन है । मंदिर तथा मठों की भूमि तथा संपत्ति पर ध्यान रखने हेतु सनातन मंडल स्थापित करना अत्यंत आवश्यक है ।

(और इनकी सुनिए…) ‘साधु-संत हिन्दू-मुसलमान एकता के शत्रु !

मौलाना ने आरोप लगाया कि साधु-संत हिन्दू-मुसलमान एकता के शत्रु हैं । वे देश में हिन्दू-मुसलमान एकता के नाम पर अंतर करना चाहते हैं, जो निश्चित रूप से नहीं होगा । मेरी सरकार से प्रार्थना है कि ऐसी बातें भडकाने वाले तथा समाज में अंतर करनेवालों पर कडी कार्यवाही हो । (साधु-संत हिन्दुओं को धर्मनिरपेक्षता की आत्मघाती ग्लानि से जागृत कर रहे हैं । इसलिए धर्मांध मुसलमानों को कष्ट होने लगा है । अत: वे इसका विरोध कर रहे हैं । मुसलमानों को भारत का विभाजन कर २ देश होने पर भी हिन्दू-मुसलमान एकता नहीं हो सकी इसलिए कि यह एकता एकतरफा थी । हिन्दुओं को अब यह समझ में आने लगा है ! – संपादक )

संपादकीय भूमिका 

संंतों द्वारा फलकों के माध्यम से उठाए सूत्र वास्तविक स्थिति है तथा हिन्दुओं को जागृत करने हेतु है । इससे रजवी के पेट में क्यों दर्द हो रहा है ? हिन्दुओं के धार्मिक उत्सव में साधु-संतों के कार्य पर इस प्रकार की आपत्ति उठानेवालों पर ही सरकार को कार्यवाही करनी चाहिए !