उलेमा-ए-हिन्द प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने प्रधानमन्त्री मोदी के उस बयान की आलोचना की, जिसमें उन्होंने कहा था कि संविधान में ‘वक्फ’ का जिक्र नहीं है ।
(जकात का मतलब है मुसलमानों का अपनी आय का एक निश्चित हिस्सा धर्म के लिए दान करना)
पाटलिपुत्र (बिहार)- हमारे देश में ऐसे कई लोग हैं जो हिन्दू तथा मुस्लिम से परे सोचते हैं । हम वक्फ संशोधन विधेयक को धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप मानते हैं ।’ वक्फ हमारा धार्मिक अधिकार है । मोदी कहते हैं, ‘संविधान में वक्फ जैसी कोई चीज नहीं है ।’ अल्लाह ने जो कहा वह सही है, पैगंबर ने जो कहा वह प्रथागत है। मुझे आश्चर्य है कि मोदीजी इसे गलत कैसे समझ रहे हैं ?
उलेमा-ए-हिन्द प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने प्रधानमन्त्री मोदी के बयान की आलोचना करते हुए कहा, ”कल वे कहेंगे, ‘जकात और नमाज चलन में नहीं है’, फिर वे इसे भी बन्द कर देंगे ।” मदनी ने यह बयान तब दिया जब यहां इस संगठन का सम्मेलन चल रहा था । २३ नवम्बर को प्रधानमन्त्री मोदी ने दिल्ली स्थित बीजेपी मुख्यालय में कार्यकर्ताओं का मार्गदर्शन करते हुए कहा था कि संविधान में वक्फ का जिक्र नहीं है ।
मौलाना मदनी ने आगे कहा,
१. यह हमारा देश है, चाहे कोई भी धर्म हो । जैसे पांच पुत्र हो सकते हैं; लेकिन माता-पिता एक ही होते हैं । मोदीजी को ऐसी असभ्य बातें नहीं कहनी चाहिए.’ वे देश के प्रधानमन्त्री हैं । इससे देश में मुसलमानों के प्रति नफरत पैदा होती है ।’ (डॉ. मनमोहन सिंह जब प्रधानमन्त्री थे तब उन्होंने बयान दिया था कि ‘देश के संसाधनों पर पहला अधिकार मुसलमानों का है’। यह मुसलमानों ने कैसे मान्य किया? मदनी को इसका जवाब देना चाहिए ! – संपादक)
२. जमीयत उलमा-ए-हिन्द प्यार और पैगंबर के लिए कुर्बानी देता रहा है । हम देश में शान्ति बनाए रखने के लिए काम कर रहे हैं । (यह इस देश में अब तक का सबसे बड़ा मजाक है ! दुनिया जानती है कि देश में सबसे ज्यादा हिंसा, आतंकवाद और अशान्ति कौन फैला रहा है और कौन कर रहा है ! – संपादक)
३. हमारे पूर्वजों ने देश को स्वतन्त्र कराने के लिए बलिदान दिया है । हमने वह इसे देश की परम्परा बनाई है ।’ (वे देश की आजादी के लिए नहीं, बल्कि मुसलमानों के राज्य की पुनः स्थापना के लिए लड़े थे, यही इतिहास है और वे आज भी इसके लिए जिहाद कर रहे हैं ! – संपादक)
४. यदि कोई यह सोचता है कि देश की रीति-नीति हिन्दुओं ने बनाई है तो उसे दुनिया की कोई जानकारी नहीं है । इस देश से हमारा रिश्ता १४५ साल पुराना है । इस बात से कोई इन्कार नहीं कर सकता ।
५. मौलाना अरशद मदनी ने हिमन्त बिस्वा सरमा की आलोचना करते हुए कहा कि असम के मुख्यमन्त्री दिन-रात झारखन्ड में बैठे रहते हैं; लेकिन वहां मौजूद लोगों ने उनके चेहरे पर कालिख पोत दी । (भाजपा यहां विधानसभा चुनाव में हार गई थी) हिन्दू एवं मुस्लिम दोनों झारखन्ड के नागरिक हैं। उन्होंने नफरत की राजनीति पर थूका है । (तो मदनी इस बारे में बात क्यों नहीं कर रहे हैं कि महाराष्ट्र में हिन्दुओं ने ‘वोट जिहाद’ को कैसे हराया ? – संपादक)
६. यदि कोई व्यक्ति गलत करता है तो उसका दन्ड पूरे परिवार को भुगतना पड़ता है । (यदि कोई व्यक्ति चोरी करता है, डाका डालता है, गबन करता है तो उस धन से उसके परिवार के सदस्यों को लाभ होता है; यदि उन्हें भी दण्ड दिया जाता है तो इसमें क्या बुराई है ? – संपादक) अल्लाह ने हमारे सूत्र को स्वीकार कर लिया है । अब कोई हमारे मकानों पर बुलडोजर चला कर दिखाए । (सुप्रीम कोर्ट के फैसले को नजरअंदाज करते हुए कश्मीर में हिन्दुओं की दुकानें तोड़ी गईं। मदनी इस पर क्यों नहीं बोलते ? -संपादक) सुप्रीम कोर्ट में फैसले देने वाले जज मुस्लिम नहीं बल्कि हिन्दू थे । सुप्रीम कोर्ट के फैसले से कुछ लोगों के मन में भ्रम पैदा हो गया है । हमने बार-बार सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और न्याय मांगा है ।
कांग्रेस का उद्देश्य देश को आजादी दिलाना नहीं था !मौलाना मदनी ने कहा कि हमने कांग्रेस के जन्म से पहले ही आजादी की लडाई लडी थी । कांग्रेस का उद्देश्य देश को आजादी दिलाना नहीं था । कांग्रेस की स्थापना ब्रिटिश सरकार और जनता के बीच सामंजस्य स्थापित करने के लिए की गई थी । कांग्रेस मुसलमानों का घर है ! क्या मुसलमानों को धोखा देने वाली कांग्रेस को यह स्वीकार्य है ? क्या वह इस पर अपना मुंह खोलेगी ? |
संपादकीय भूमिका
|