Halalmukt Deepawali : भारत में १०० करोड़ हिन्दुओं को संविधान विरोधी इस्लामी संकल्पना ‘हलाल’ स्वीकारने की बाध्यता क्यों ? – हिन्दू जनजागृति समिति

‘हमारी दीपावली, हलालमुक्त दीपावली’ इस अभियान में सम्मिलित होने का भी आवाहन

मुंबई – भारत में संविधान ने प्रत्येक को व्यक्तिगत स्वतंत्रता दी है । भारत धर्मनिरपेक्ष है, यह बात बार-बार कहीं जाती है । फिर भी, भारत में बहुसंख्यक १०० करोड़ हिन्दुओं को इस्लामी संकल्पना ‘हलाल’ स्वीकारने के लिए बाध्य करना, संविधान विरोधी और हिन्दुओं के मौलिक अधिकारों को नकारना है । भारत सरकार के ‘खाद्य सुरक्षा और प्रमाणन प्राधिकरण’ तथा ‘खाद्य एवं औषध प्रशासन’ को ही खाद्य पदार्थों को विक्रय के लिए प्रमाणपत्र देने का अधिकार है । परंतु, आज अवैध रूप से कुछ निजी इस्लामी संस्थाएं भी शुल्क के रूप में हजारों रुपए लेकर विक्रय का प्रमाणपत्र दे रही हैं । इस हलाल प्रमाणपत्र के बिना मुसलमान दुकान से वस्तुएं नहीं खरीदते । इस्लाम धर्म पर आधारित हलाल की यह संकल्पना सभी गैर मुस्लिमों पर थोपी जा रही है । ऐसा कर, भारत में हलाल की समानांतर अर्थव्यवस्था चलाई जा रही है । इससे प्राप्त धनराशि का उपयोग आतंकवादियों को अभियोग लड़ने में सहायता के रूप में किया जाता है । यह सत्य अब पूरे विश्व को पता चल गया है । इसलिए, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निजी हलाल प्रमाणित वस्तुओं के विक्रय को प्रतिबंधित कर दिया है । हिन्दू जनजागृति समिति ने भी भारत पर आनेवाले भविष्यकालीन संकट को टालने के लिए हलाल प्रमाणपत्र देने वाली देश भर की सभी संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है । इसी प्रकार, पूरे देश में सर्वाधिक खरीदी दीपावली के समय में की जाती है । इसलिए, जनजागृति के उद्देश्य से और राष्ट्रीय सुरक्षा के विचार से भी इस बार, ‘हमारी दीपावली, हलालमुक्त दीपावली’ यह अभियान चलाया जाएगा । इस अभियान से सब लोग जुड़ें यह आवाहन ‘हिन्दू जनजागृति समिति’ के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री रमेश शिंदे ने किया है ।

इस आवाहन में आगे कहा गया है कि कुछ वर्ष पहले केवल मांसाहारी उत्पादों और मुस्लिम देशों में निर्यात के लिए बनाई गई ‘हलाल’ संकल्पना आज भारत में शक्कर, तेल, आटा, मिठाई, औषधियां, सौंदर्य प्रसाधन समेत अनेक वस्तुओं पर लागू की गई है । इससे हिन्दू, सीख, जैन, बौद्ध आदि समाजों को हलाल उत्पाद खरीदने के लिए एक प्रकार से बाध्य ही किया जा रहा है । इसके बाद अब तो ‘इस्लामिक क्वाइन’, तथा ‘हलाल शेअर मार्केट’ भी आरंभ हो गया है । हलाल प्रमाणपत्र देने के लिए मौलानाओं को ‘हलाल निरीक्षक’ पद पर नियुक्त किया जाता है और उन्हें वेतन देना पड़ता है । इसलिए, यह धंधा आर्थिक ही नहीं, धार्मिक स्तर पर भी एक विशिष्ट धर्म को अधिक महत्व देनेवाला है । इसलिए, केवल दीपावली काल में नहीं, सदा के लिए भारत हलमुक्त हो, इसके लिए लगातार प्रयत्न करना आवश्यक है, यह भी श्री शिंदे ने कहा ।