कर्नाटक सरकार के मंत्री दिनेश गुंडुराव का आपत्तिजनक बयान !
बेंगलुरु (कर्नाटक) – स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर चितपावन ब्राह्मण थे, फिर भी वे सार्वजनिक स्थानों पर गोमांस खाते थे और उसका प्रचार करते थे। सावरकर ने कभी भी गोहत्या का विरोध नहीं किया। इस बारे में उनके विचार बेहद प्रगतिशील थे, ऐसा बयान कर्नाटक के कांग्रेस सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री दिनेश गुंडुराव ने दिया। वे महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे।
महात्मा गांधी कट्टर शाकाहारी थे।
गुंडुराव ने आगे कहा कि महात्मा गांधी हिंदू सांस्कृतिक रूढ़िवाद का मूर्त रूप थे, लेकिन वे कट्टर शाकाहारी थे। साथ ही, गांधी लोकतांत्रिक नेता थे। (गांधी ने देश का नुकसान किया। उन्होंने भारत और हिंदुओं को जितनी हानि पहुंचाई, उतनी मुसलमान आक्रांताओं ने भी नहीं की। – संपादक) मोहम्मद अली जिन्ना कट्टर नहीं थे, लेकिन वीर सावरकर कट्टर थे। (जिन्ना के कारण ही देश का विभाजन हुआ, जबकि सावरकर विभाजन के विरोध में थे। यह कांग्रेसी कभी नहीं बताएंगे! – संपादक) कुछ लोग दावा करते हैं कि जिन्ना प्रतिबंधित सूअर का मांस स्वाद से खाते थे, फिर भी जिन्ना मुसलमानों के नायक बने।
'Veer Savarkar, despite being a Brahmin, consumed beef !' – An outrageous statement by Dinesh Gundu Rao Minister in Congress Government, Karnataka
Maharashtra Deputy CM Devendra Fadnavis Slams Congress!
Congress leaders don’t know anything about Veer Savarkar. They… pic.twitter.com/cspDavNABj
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) October 3, 2024
गोरक्षा के नाम पर होने वाली मारपीट सावरकर के विचार नहीं थे !
मंत्री गुंडुराव ने कहा कि देश में नाथूराम गोडसे के विचारों की जड़ें मजबूत हो रही हैं। (महात्मा गांधी के आत्मघाती अहिंसावादी विचारों के बजाय गोडसे के प्रखर राष्ट्रवादी विचार क्यों मजबूत हो रहे हैं, यह कांग्रेस को सोचना चाहिए! – संपादक) इसी विचार ने महात्मा गांधी की हत्या की। गांधी धार्मिक थे, लेकिन वर्तमान समय में कट्टरता फैल रही है। गोरक्षा के नाम पर किसी को भी पीट-पीटकर मारा जा रहा है। ये विचार वीर सावरकर के नहीं थे। उनके विचार कट्टर थे, लेकिन दूसरी ओर, वे आधुनिक भी थे। सावरकर के कट्टरवाद का सामना करने के लिए गांधी के विचार आज भी प्रेरक हैं।
कांग्रेस झूठी है ! – केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर
कांग्रेस झूठी है। भारत स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर का अपमान कभी बर्दाश्त नहीं करेगा। सावरकर से कांग्रेस ने आज तक कोई शिक्षा नहीं ली। कांग्रेस स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान नहीं करती, यह एक बार पुनः सिद्ध हुआ, ऐसी आलोचना केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता अनुराग ठाकुर ने की। (केंद्रीय मंत्रियों को गुंडुराव के विरुद्ध मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कराने के लिए सरकारी स्तर पर प्रयास करना चाहिए! – संपादक)
Disrespecting Veer Savarkar shows Congress doesn't respect freedom fighters – BJP MP @ianuragthakur Slams Congress!
"India will not tolerate the disrespect of #VeerSavarkar"
👉The Union Ministers should make efforts at the government level to register a case against Gundu Rao… https://t.co/Ln4tmgHdDf pic.twitter.com/e43MF2egTG
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) October 3, 2024
मंत्री गुंडुराव के विरुद्ध मानहानि का मुकदमा दर्ज करेंगे! – रणजीत सावरकर
स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर के पोते रणजीत सावरकर ने कांग्रेस की आलोचना की। उन्होंने कहा कि चुनाव समीप आते ही सावरकर की बार-बार बदनामी करना कांग्रेस की रणनीति है। पहले राहुल गांधी यह कर रहे थे, अब उनके नेता बयान दे रहे हैं। कांग्रेस हिंदू समाज को जातियों में बांटकर चुनाव जीतना चाहती है। यह ‘फूट डालो और राज करो’ की ब्रिटिश नीति की भांति ही है। इंदिरा गांधी ने सावरकर की नीतियों को अपनाया था। सावरकर गोमांस खाते थे और गोहत्या का समर्थन करते थे, यह गुंडुराव का बयान गलत है। मैं उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज करूंगा।
इन लोगों को सावरकर के बारे में कुछ भी ज्ञात नहीं ! – देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री महाराष्ट्र
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि इन लोगों को सावरकर के बारे में कुछ भी ज्ञात नहीं । उनका बार-बार अपमान किया जा रहा है। सावरकर के विरुद्ध ऐसी झूठी बातें बोलने की प्रक्रिया राहुल गांधी ने आरंभ की और मुझे लगता है कि वे इसे आगे बढ़ाने का भी प्रयास कर रहे हैं।
स्वतंत्रता सेनानी सावरकर मांसाहारी थे, लेकिन उन्होंने कभी गोमांस नहीं खाया ! – दुर्गेश परूलकर, हिंदुत्ववादी वक्ता और लेखक
सावरकर ने कभी गोमांस नहीं खाया। साथ ही, उन्होंने कभी गोहत्या का समर्थन नहीं किया। ‘युद्ध की स्थिति में, यदि शत्रु पक्ष गायों का झुंड आगे करके हिंदुओं पर हमला करने का प्रयास करता है, तो ऐसी स्थिति में आवश्यकता पड़ने पर गायों को मारना पड़े, तो भी चलेगा, लेकिन शत्रु को जीवित नहीं छोड़ना चाहिए,’ ऐसे सावरकर ने कहा था। इसमें ‘आवश्यकता पड़ने पर’ शब्द महत्वपूर्ण है। इसका अर्थ यह नहीं है कि ‘सर्वत्र गायों की हत्या करें’। अगर मुसलमान हिंदुओं की भावनाओं को आहत करने के लिए गायों की हत्या कर रहे हों, तो गोहत्या करने वाले अहिंदुओं को हरि सिंह नलवा द्वारा दी गई सजा की तरह सजा दी जानी चाहिए, ऐसा सावरकर ने कहा था। (हरि सिंह नलवा ने सिख साम्राज्य का विस्तार अफगानिस्तान तक किया था। उन्होंने ऐसा भय पैदा किया था कि उनके द्वारा गोहत्या पर लगाए गए प्रतिबंध का पालन कश्मीर जैसे स्थान पर भी किया जाता था।)
संपादकीय भूमिका
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