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ढाका (बांग्लादेश) – भारत से सटी हुई बांग्लादेश की सभी सीमाएं भारत ने बंद की हैं । बांग्लादेशी सेना ने शीघ्र ही एक अभियान (ऑपरेशन) आरंभ कर उस माध्यम से हिन्दुओं की हत्या का षड्यंत्र रचा गया है । वर्ष १९७१ के उपरांत पहली बार ही हिन्दुओं की इतनी दयनीय स्थिति निर्माण हुई है । हम पर हुए अत्याचारों के विरुद्ध न्यायालय में याचिका प्रविष्ट (दाखिल) करने का विचार करें, तो वहां भी ‘जमात-ए-इस्लामी’ के जिहादी कार्यकर्ता उपस्थित रहते हैं । इसलिए हमें न्यायालय का दरवाजा खटखटाना भी असंभव हो गया है । यह जानकारी बांग्लादेश के हिन्दुत्वनिष्ठ ने ‘सनातन प्रभात’ को दूरभाष से बताई ।
हिन्दुत्वनिष्ठ द्वारा प्रस्तुत बांग्लादेश की भयंकर स्थिति !
१. हिन्दुत्वनिष्ठों पर प्रचंड दबाव !
जो हिन्दुत्वनिष्ठ लव जिहाद और लैंड जिहाद के विरुद्ध कार्य कर रहे हैं, वे यहां की सरकार एवं जिहादी मुसलमानों के लक्ष्य पर (‘हिट लिस्ट’ पर) हैं । ऐसे ही एक हिन्दुत्वनिष्ठ को कुछ दिन पहले हमारे सेनाधिकारी ने बुलाकर चेतावनी दी और हिन्दुत्व के लिए कुछ न करने के लिए दबाव डाला । हिन्दुत्वनिष्ठों की प्रत्येक गतिविधी पर निकट से ध्यान दिया जा रहा है ।
२. बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख डॉ. महंमद युनूस को हिन्दू अच्छे नहीं लगते !
वर्तमान सरकार में आसिफ नाझरूल जैसे कुछ नेता हैं, जो अत्यंत कट्टर हैं और उन्होंने मदरसे से शिक्षा प्राप्त की है । वर्तमान अंतरिम सरकार के प्रमुख डॉ. महंमद युनूस अमेरिका के हस्तक हैं और उन्हें हिन्दू कतई अच्छे नहीं लगते ।
३. उत्तर बांग्लादेश में ‘जमात-ए-इस्लामी’ जाल फैल रहा है !
उत्तर बांग्ला देश में जहां हिन्दू बहुसंख्यक हैं, वहां ‘जमात-ए-इस्लामी’ अपना जाल फैला रहा है । ५ अगस्त को शेख हसीना ने पदत्याग और पलायन करने पर केवल २ दिनों में ही जमात-ए-इस्लामी के जिहादियों ने छात्रों के आंदोलन में घुसकर ढाका के कारागृहों से कुख्यात आतंकवादियों को मुक्त किया । उस समय पुलिस भी असहाय हुई थी । उनपर भी आक्रमण हो रहे थे ।
संपादकीय भूमिकाभारत के हिन्दुओ, बांग्लादेश के हिन्दुओं का नरसंहार सफल होने के पश्चात अगली बारी भारत की ही है, यह समझ लें ! अभी से जागृत हो जाईए और प्रत्येक मतदाता संघ में सहस्रों की संख्या में एकत्रित होकर विधायकों तथा सांसदों से मिलें ! उन्हें बांग्ला देश के हिन्दुओं की सुरक्षा के लिए कुछ ठोस कार्यवाही करने के लिए भारत सरकार पर दबाव डालने को कहें ! |