All India Muslim Jamaat : देश में ईश निंदा रोकने हेतु ‘पैगंबर-ए-इस्‍लाम विधेयक’ लाने की फोकट की मांग !

‘ऑल इंडिया मुस्‍लिम जमात’ संगठन की मांग

मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी (बीच में)

बरेली (उत्तर प्रदेश) – ‘इस्‍लाम धर्म के संस्‍थापक मोहम्मद पैगंबर का अनादर करनेवाले लोगों को कठोर दंड देने हेतु ‘पैगंबर-ए-इस्‍लाम विधेयक’ लाने की मांग मुस्लिम संगठनों ने की है । यहां ‘ऑल इंडिया मुस्‍लिम जमात’ के मुख्‍यालय में हुई बैठक में यह मांग की गई । उनका कहना है, ‘इस कानून के कारण अन्य सभी धर्मों के प्रमुख एवं व्‍यक्‍ति के विरुद्ध की जानेवाली अपमानास्‍पद टिप्‍पणियों पर भी प्रतिबंध लगेगा ।’

मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने सरकार एवं राजनीतिक दलों को चेतावनी देते हुए कहा, ‘अनेक बार पैगंबर इस्‍लाम की प्रतिष्‍ठा का अनादर किया गया है; परंतु सभी लोग शांत रहते हैं एवं कोई भी कार्रवाही नहीं होती । (इस प्रकार के अनादर के उपरांत देश में मुस्लिम कभी भी शांत नहीं रहते । वे कानून हाथ में लेते हैं, ऐसा ही आजतक दिखाई दिया है ! – संपादक) इस कारण संसद अथवा विधानसभा में ‘पैगंबर-ए-इस्‍लाम विधेयक’ लाना चाहिए, जिससे कोई भी उनकी प्रतिष्‍ठा अल्‍प करने का प्रयास नहीं करेगा । यदि सरकार की इच्छा हो, तो इस विधेयक का प्रारूप किसी भी नाम से लागू कर सकती है । हमारी मांग है कि पैगंबर साहेब का अनादर करनेवालों के विरुद्ध कठोर कानून होना चाहिए । यह कानून अन्य किसी भी धर्म प्रमुख अथवा देवताओं का अनादर करनेवालों पर कार्रवाही करनेवाला हो । वर्तमान के कानून अपूर्ण हैं; इसीलिए धार्मिक हिंसा की घटनाएं होती हैं ।’

संपादकीय भूमिका

हिन्दुओं के मंदिरों पर, धार्मिक जुलूसों पर, हिन्दुओं पर आक्रमण करनेवालों को, लव जिहाद, लैंड जिहाद, थूक जिहाद आदि जिहाद करनेवालों को कठोर दंड देने की मांग कभी मुस्लिम संगठन क्यों नहीं करती ?

(और इनकी सुनिए…) ‘मुस्लिमों को पीडा दी जा रही है ! ’

मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने आगे कहा, ‘लव-जिहाद, भीड द्वारा हत्‍या, धर्मांतरण, आतंकियों को धन की आपूर्ति एवं आतंकवाद के नाम पर मुस्लिमों को भयभीत कर पीडा दी जा रही है । इसे रोकना होगा । कुछ कट्टरपंथी संगठन मुस्लिमों की बेटियों को भयभीत कर तथा आकर्षक सपने दिखाकर विवाह का प्रयास कर रहे हैं । (इसे कहते हैं, उल्टा चोर कोतवाल को डांटे ! – संपादक) इसे पहचानकर उनके विरुद्ध कार्रवाही करनी चाहिए । ‘प्‍लेसेस ऑफ वर्शिप एक्‍ट १९९१’ के कानून के अंतर्गत धार्मिक स्‍थलों की स्‍थिति स्थायी रूप से बनी रहनी चाहिए, तब भी अनेक अभियोग न्‍यायालय में प्रलंबित हैं । इस कारण देशभर का वातावरण दूषित हो रहा है । समान नागरिकता कोड (uniform civil code) मुस्लिमों को स्वीकार नहीं है ।’

संपादकीय भूमिका

चोरी, उपर से सीनाजोरी !’ यह कहावत सार्थ करनेवाले बरेलवी ! भारत में मुस्लिमों को पीडा नहीं दी जा रही, अपितु मुस्लिम ही हिन्दुओं को पीडा दे रहे हैं, यही वास्तविकता है !