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पालघर – सिंधुदुर्ग जिले के मालवण में राजकोट किले पर छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति ढह गई है, मैं उनके समक्ष झुककर क्षमा मांगता हूं । छत्रपति शिवाजी महाराज सिर्फ एक नाम नहीं, वे हमारे आदर्श हैं ।
महाराष्ट्र की धरती पर आते ही आज मैंने सबसे पहले मेरे आराध्य देव छत्रपति शिवाजी महाराज के चरणों में सिर झुकाकर क्षमा मांगी। पिछले दिनों सिंधुदुर्ग में जो हुआ, उसके लिए मैं उनसे भी क्षमा मांगता हूं, जो छत्रपति शिवाजी महाराज को पूजते हैं। pic.twitter.com/WKOREc3VYz
— Narendra Modi (@narendramodi) August 30, 2024
मेरी संस्कृति अलग है । मैं क्षमा मांगने में निपुण हूं । मैं उन लोगों में से नहीं हूं जो स्वातंत्र्यवीर सावरकर के अपमान के लिए क्षमा नहीं मांगते।’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मेरी संस्कृति अलग है! उन्होंने यह वाढवण बंदरगाह के भूमि पूजन के समय कहा ।
𝗜 𝗲𝘅𝘁𝗲𝗻𝗱 𝗺𝘆 𝗮𝗽𝗼𝗹𝗼𝗴𝗶𝗲𝘀 𝘁𝗼 𝗮𝗹𝗹 𝘁𝗵𝗼𝘀𝗲 𝘄𝗵𝗼 𝘄𝗼𝗿𝘀𝗵𝗶𝗽 𝗖𝗵𝗵𝗮𝘁𝗿𝗮𝗽𝗮𝘁𝗶 𝗦𝗵𝗶𝘃𝗮𝗷𝗶 𝗠𝗮𝗵𝗮𝗿𝗮𝗷 as their revered as their revered deity. I know their sentiments are hurt.
– PM Narendra Modi in Palghar Maharashtra👉 Our values are… pic.twitter.com/tU3mwP0IdN
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) August 30, 2024
उन्होंने कहा, ”आज महाराष्ट्र के विकास के लिए ऐतिहासिक दिन है। हमारी सरकार ने महाराष्ट्र के लिए बड़े निर्णय लिए हैं ! यह मेरी सरकार का तीसरा कार्यकाल है। महाराष्ट्र के पास विकास के लिए आधारभूत ढांचा है । महाराष्ट्र में राज्य एवम देश के विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसी के चलते वाढवण के बंदरगाह पर भूमि पूजन किया गया। इस बंदरगाह पर करीब ७६ सहस्त्र करोड रुपये व्यय होंगे। यह बंदरगाह महाराष्ट्र की औद्योगिक प्रगति कराएगा ! विश्व के सबसे गहरे बंदरगाहों में से एक वाढवण बंदरगाह होगा। सर्वाधिक आयात-निर्यात इसी बंदरगाह से होगा। वर्ष २०१४ से पहले वाढवण बंदरगाह का काम रोक दिया गया था। हमारी सरकार आने के बाद हमने इस परियोजना पर काम करना आरंभ किया । तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस ने इस परियोजना का दायित्व उठाया। वर्ष २०१९ में हमने सत्ता खो दी ! फिर ढाई वर्ष तक इस परियोजना का काम रुका रहा। इस परियोजना में १२ लाख करोड रुपये का निवेश होगा । जनता को यह नहीं भूलना चाहिए कि किसी ने इतना बड़ा निवेश रोक रखा है। कुछ लोग महाराष्ट्र के विकास को रोकने का प्रयास कर रहे हैं; लेकिन केंद्र तथा राज्य सरकार महाराष्ट्र को देश का अग्रणी (नंबर वन) राज्य बनाना चाहती है ।