मुंबई – हमारा हिन्दुत्व सनातन है यह सत्य पर आधारित है। ‘हमारा मुख्यमंत्री आएगा तो हम हिन्दुत्व का काम करेंगे’ कहने वाले राजनीतिक हिन्दुत्ववादियों को उनका पद धन्य हो। सत्ता आएगी और जाएगी; लेकिन हम हिन्दुत्व की रक्षा के लिए काम करते रहेंगे । हिन्दू विधिज्ञ परिषद के राष्ट्रीय सचिव और मुंबई उच्च न्यायालय के अधिवक्ता संजीव पुनालेकर ने कहा, भले ही ओवैसी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन जाएं, फिर भी हम हिन्दुत्व के लिए ही काम करेंगे। वे २० अगस्त को सनातन संस्था की ओर से दादर (पश्चिम) के कित्ते भंडारी सभागार में ‘अंधविश्वास निर्मूलन कि छुपा अर्बन नक्सलवाद?’ विषय पर आयोजित विशेष कार्यक्रम में बोल रहे थे। इस समय सनातन संस्था के प्रचारक श्री. अभय वर्तक एवं प्रख्यात सर्जन (शल्यचिकित्सक) डाॅ. अमित थडानी उपस्थित थे।
इस अवसर पर अधिवक्ता संजीव पुनालेकर ने कहा, ”जो लोग हिन्दू राष्ट्र का विरोध करते हैं, वे हिन्दुत्व का काम करते हुए हमारा विरोध करते रहते हैं तथा जिनका हिन्दुत्व राजनीतिक है, वे भी हमारा विरोध कर रहे हैं । अजित पवार के साथ नवाब मलिक है ; लेकिन जो राजनीतिक हिन्दू हैं वो इस पर बात करने को तत्पर नहीं हैं । लोकतंत्र विफल हो गया है। जिहादी दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। जब जिहादी हिन्दुओं पर आक्रमण करते हैं तो हम उनसे लोकतांत्रिक ढंग से नहीं लड़ सकते। उस समय यह कहना कि ‘हमारा लोकतंत्र बड़ा है, संविधान सर्वोत्तम है’ कोई अर्थ नहीं है। हिन्दुओं को सड़कों पर उतर कर आक्रमणकारियों से अपनी रक्षा के लिए इसी प्रकार संघर्ष करना होगा। इसके लिए हिन्दुओं को सिद्ध रहना होगा । लोकतंत्र समाप्त हो गया है । अब सिर्फ अंतिम संस्कार ही बाकी है । जिहादी लोकतंत्र को समाप्त करने के लिए अधीर हैं ! अतः ‘नहीं लड़ेंगे’ जैसा काम नहीं होगा । कार बंद होने पर ‘मेरे पास ड्राइविंग लाइसेंस है’ कहने का कोई उपयोग नहीं है। कार चालू करने के लिए मिस्त्री बुलाना पड़ता है । हम हिंसा का समर्थन नहीं करते; किंतु यदि स्वयं के प्राण संकट में हो तो आत्मरक्षा लिए लड़ना ही होगा ।
हिन्दू जिहादी नहीं हैं !
अधिवक्ता पुनालेकर ने आगे कहा कि हिन्दू आतंकवादी नहीं है । गांधी जी की हत्या पंडित नाथूराम गोडसे ने की थी । यदि उससे पहले किसी कारण से गांधी जी की मृत्यु हो जाती तो पंडित नाथूराम गोडसे किसी अन्य की हत्या नहीं करते। इसका कारण पंडित नाथूराम गोडसे की गांधीजी से शत्रुता नहीं थी; किन्तु यदि गांधी जीवित रहे तो भारत और भी खंडित हो जाएगा; इसलिए उन्होंने गांधी की हत्या कर दी। पर यदि अजमल कसाब बम्बई पर हमला नहीं कर पाता तो कहीं और हमला कर देता; क्योंकि उसका उद्देश ‘जिहाद’ था । जिहाद के विरुद्ध सैन्य बल का प्रयोग ही सही निर्णय है ।