सनातन संस्था की ओर से ‘अंधश्रद्धा निर्मूलन’ अथवा छुपा शहरी नक्सलवाद ?’ विषय पर दादर (मुंबई) और पुणे में विशेष कार्यक्रम का आयोजन ।
मुंबई, २० अगस्त – सनातन संस्था के प्रचारक श्री. अभय वर्तक ने कहा कि शहरी नक्सलियों द्वारा लगातार सनातन धर्म को नष्ट करने के षडयंत्र रचे जा रहे हैं । डॉ. नरेंद्र दाभोलकर, कॉ. अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति तथा शहरी नक्सलियों द्वारा गोविंद पानसरे और अन्य प्रगतिवादियों की हत्या में सनातन संस्था को दोषी ठहराने का षड्यंत्र था । यह षड्यंत्र विफल हो गया है । वे सनातन संस्था की ओर से २० अगस्त को दादर (पश्चिम) के कित्ते भंडारी सभागृह में ‘अंधविश्वास निर्मूलन अथवा छुपा शहरी नक्सलवाद ?’ विषय पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे । मुंबई उच्च न्यायालय के वकील संजीव पुनालेकर और प्रसिद्ध सर्जन डॉ. अमित थडानी ने भी इस अवसर पर दर्शकों को संबोधित किया । इस कार्यक्रम में अधिवक्ता, पत्रकार, उद्यमी आदि विभिन्न क्षेत्रों के गणमान्य लोग सम्मिलित हुए ।
ऐसा ही एक कार्यक्रम पुणे में भी आयोजित किया गया । इस समय ‘अस्त्यमेव जयते’ पुस्तक के लेखक श्री. अभिजीत जोग एवं सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस ने दर्शकों को संबोधित किया ।
मुंबई में बोलते हुए श्री. अभय वर्तक ने कहा, ”डॉ. दाभोलकर और पानसरे हत्याकांड में सनातन संस्था को दोषी ठहराकर ‘बलि का बकरा’ बनाने का प्रयास किया गया । डॉ. दाभोलकर हत्याकांड प्रकरण में न्यायालय ने हिन्दू जनजागृति समिति के डॉ. वीरेंद्र सिंह तावडे, सनातन संस्था के साधक श्री. विक्रम भावे और हिन्दू विधिज्ञ परिषद के वकील संजीव पुनालेकर को निर्दोष बरी कर दिया । डॉ. वीरेंद्र सिंह तावडे को इस प्रकरण में ८ वर्ष कारागृह का दंड भोगना पडा । यह उनके साथ अन्याय है । डॉ. तावडे के विरोध में केंद्रीय अन्वेषण यंत्रणा ठोस प्रमाण उपस्थित नहीं कर पाई । उसके उपरांत भी डॉ. तावडे को अन्य प्रकरण में जमानत न मिलना, यह अन्याय है । विक्रम भावे को २ वर्ष और वकील संजीव पुनालेकर को ४२ दिन जेल में रहना पडा । इन तीनों की व्यक्तिगत क्षति की भरपाई कौन करेगा ?
नास्तिकता के प्रसार का आंदोलन राष्ट्रविरोधी एवं धर्मविरोधी है !
श्री. अभय वर्तक ने कहा कि ११ अगस्त २०१२ को मुंबई के आजाद मैदान में धर्मांधों ने पुलिस तथा पत्रकारों पर आक्रमण कर दिया था । महिला पुलिसकर्मियों से छेड़छाड़ की गई । इस प्रकरण में दोषियों को अब तक दंड नहीं मिला है । हिन्दुओं के विरुद्ध कथित ‘हेट स्पीच’ (घृणास्पद भाषण) के प्रकरण प्रविष्ट किए जाते हैं । इसके पीछे शहरी नक्सली जोर-शोर से काम कर रहे हैं । नास्तिकता के नाम के नीचे अंधश्रद्धा निर्मूलन के नाम से आरंभ नास्तिकतावाद का आंदोलन केवल धर्मविरोधी ही नहीं अपितु राष्ट्रविरोधी भी है ।