Bihar Madrassas Pakistani Books : बिहार के सरकारी अनुदान प्राप्त मदरसों में पाकिस्तान में छपी किताबें पढाई जाती हैं !

  • मदरसों में हिन्दू ‘काफिर’ (नास्तिक) है ऐसा सिखाया जाता है

  • मदरसा पाठ्यक्रम यूनिसेफ द्वारा बनाया गया

  • राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग की राज्य मदरसा बोर्ड को भंग करने की मांग

(‘यूनिसेफ’ का अर्थ ‘युनाइटेड नेशन्स चिल्ड्रंस फंड’)

प्रियांक कानूनगो

नई देहली – बिहार में कुछ सरकारी अनुदान मिलने वाले मदरसों में धार्मिक कट्टरवाद की शिक्षा दी जा रही है। यहां हिन्दुओं को ‘काफिर’ (मूर्तिपूजक, नास्तिक आदि) कहा जाता है। पता चला है कि यहां पढाई जाने वाली कई किताबें पाकिस्तान में छपती है। राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने मांग की है कि सरकार को मदरसा बोर्ड को भंग कर देना चाहिए ।

१. प्रियांक कानूनगो ने अपने एक्स अकाउंट से कुछ पुस्तकों की तस्वीरें पोस्ट कीं तथा लिखा कि ‘तालीम उल इस्लाम’ तथा ऐसी अन्य किताबें बिहार राज्य में सरकारी वित्त पोषित मदरसों में पढाई जा रही हैं । इस पुस्तक में गैर-मुसलमानों को ‘काफिर’ कहा गया है। बताया गया है कि इन मदरसों में हिन्दू बच्चों को भी प्रवेश दिया जाता है; लेकिन बिहार सरकार संख्या के अनुपात के विषय में आधिकारिक जानकारी नहीं देती है ।

२. प्रियांक कानूनगो ने ‘बिहार मदरसा बोर्ड’ की चर्चा करते हुए आगे कहा कि मदरसा पाठ्यक्रम को यूनिसेफ ने प्रमाणित किया है । यह यूनिसेफ तथा मदरसा बोर्ड द्वारा चलाये जा रहे अभियान की परिणति है। बाल संरक्षण के नाम पर सरकार से दान तथा अनुदान लेकर एक कट्टरपंथी पाठ्यक्रम को उचित ठहराना यूनिसेफ का काम नहीं है। यह कृत्य भारत के संविधान के विरुद्ध है। इसकी संयुक्त राष्ट्र द्वारा जांच और देखभाल की जानी चाहिए।’

३.  प्रियांक कानूनगो ने आगे कहा कि मदरसा किसी भी रूप में बच्चों की आधारभूत शिक्षा का स्थान नहीं है । बच्चों को विद्यालयों में शिक्षा देनी चाहिए। कम से कम मदरसों में हिन्दू बच्चों को न पढाएं । कानूनगो ने पोस्ट में प्रधानमंत्री तथा गृह मंत्री के साथ संयुक्त राष्ट्र को भी ‘टैग’ किया है ।

पुस्तकों में क्या छपा है ?

१.  प्रियांक कानूनगो द्वारा प्रसारित ‘स्क्रीनशॉट’ का शीर्षक ‘तालीम उल इस्लाम’ (इस्लाम की शिक्षा) है। पहले प्रश्न ‘तुम्हें किसने बनाया?’ के उत्तर में लिखा है, ‘अल्लाह ने मुझे और विश्व की प्रत्येक वस्तु को बनाया ।’

२.  दूसरा प्रश्न था, ‘अल्लाह ने विश्व कैसे बनाया?’, जिसके उत्तर में लिखा था, ‘अल्लाह ने अपनी शक्ति एवं आदेश से दुनिया बनाई,’ ऐसा लिखा है ।

३.  इस पुस्तक में जो लोग अल्लाह को नहीं मानते उन्हें ‘काफिर’ कहा गया है तथा जो किसी और की पूजा करते हैं उन्हें ‘मुशरिक’ कहा गया है ।

४. उसी पुस्तक में एक और प्रश्न पूछा गया है, ‘क्या बहुदेववादी (एक से अधिक ईश्वर में विश्वास करने वाले) मोक्ष प्राप्त करते हैं ?’ इसका उत्तर लिखा है ‘कभी नहीं’। यह भी कहा गया है कि बहुदेववादियों को दंडित किया जाता है ।

५.  इसके अतिरिक्त पुस्तक के कई पृष्ठों पर इस्लाम धर्म के प्रतीक छपे हुए हैं । इन प्रतीकों में सऊदी अरब की मस्जिद ‘अल नवाबी’ भी सम्मिलित है ।

संपादकीय भूमिका

  • मदरसों को अनुदान देने वाली सरकार का वहां क्या पढाया जा रहा है ? इस पर ध्यान कैसे नहीं है ? या फिर मुस्लिमों के लाभ के लिए इसे स्वेच्छा से अनदेखा किया जा रहा है ?
  • अब हिन्दुओं को पूरे देश में मदरसे बंद करने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाना चाहिए !