नई दिल्ली – हमने १९५० में संविधान अपनाया। बांग्लादेश के उदाहरण से हम देख सकते हैं कि पड़ोसी देश में स्वतंत्रता की अनिश्चितता का परिणाम क्या होता है। यह एक बार पुनः स्वतंत्रता के महत्व को उजागर करता है। स्वतंत्रता को हल्के में लेना अत्यंत सरल है; किंतु ये बातें कितनी महत्वपूर्ण हैं, यह पिछली घटनाओं से समझ में आना चाहिए, ऐसा भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई.चंद्रचूड ने कहा । वह स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राजधानी में आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे ।
मुख्य न्यायाधीश ने आगे कहा कि, हर कोई जानता है कि स्वतंत्रता की लडाई में देश को क्या झेलना पडा, उस समय संविधान एवं कानून की क्या स्थिति थी । हमें उन स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान करना चाहिए जिन्होंने वकालत का व्यवसाय छोडकर स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया।